Move to Jagran APP

सर्दी में सड़क हादसे की बड़ी वजह हैं साइन बोर्ड, रिफ्लेक्टर और ब्लिंकर्स की कमी

वर्ष 2018 में दिल्ली में भारी वाहनों के कारण 25 हादसे हुए जिनमें 37 घायल हुए और सात लोगों की मौत हो गई। वहीं बैलगाड़ी और तांगे के कारण 19 हादसे हुए जिसमें तीन की मौत हो गई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:46 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 09:51 AM (IST)
सर्दी में सड़क हादसे की बड़ी वजह हैं साइन बोर्ड, रिफ्लेक्टर और ब्लिंकर्स की कमी
मोदी मिल फ्लाईओवर पर यातायात नियमों का उल्लंघन कर डिवाइडर को पार करता बाइक सवार। जागरण

राहुल चौहान, नई दिल्ली। राजधानी में सर्दी ने दस्तक दे दी है और कोहरा भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। ऐसे में सड़कों की खामियां, गड्ढे और वाहन चालकों की लापरवाही हादसे की बड़ी वजह बन सकती है। पिछले सालों में ऐसे कई हादसों में लोगों ने जान तक गंवाई है, जो सड़क की खामी और वाहन चालकों की लापरवाही की वजह से हुए थे। ऐसे में इस वर्ष भी यह बड़ा खतरा फिर से लोगों की धड़कनें थाम सकता है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी और विभाग राजधानी की सड़कों से इन खामियों को दूर करने के लिए गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं।

loksabha election banner

यहां हादसे का सबसे ज्यादा खतरा : कहीं सड़क पर गड्ढे हैं तो कहीं तीव्र मोड़ पर भी अंधेरा रहता है। कुछ ऐसे कर्व भी हैं, जहां बने हुए ब्रेकर और सड़क दोनों ही टूटे हुए हैं। वहीं कई सड़कों पर लेन मार्किंग (सफेद पट्टी), ब्रेकर पर पेंट और तमाम तरह की खामियां हैं, जो कोहरे के कारण सड़क हादसे का कारण बन सकती है। आइटीओ से विकास मार्ग होते हुए नोएडा और अक्षरधाम जाने वाले रास्ते पर तीव्र मोड़ होने के बावजूद यहां पर सड़क और ब्रेकर दोनों ही टूटे हुए हैं। इसके साथ ही यहां पुल के नीचे अंधेरा भी रहता है। वहीं अक्षरधाम के सामने से एनएच-9 पर आने वाले रास्ते पर हाईमास्ट लाइट खराब है, जो दुर्घटना का कारण बन सकता है।

इसके साथ ही आनंद विहार से आने वाले स्वामी दयानंद मार्ग पर लेन मार्किंग नहीं है और सड़क भी टूटी है। वहीं कड़कड़ी मोड़ फ्लाईओवर के ऊपर से पुश्ता रोड को जाने वाले रास्ते पर मोड़ के साथ दिशा सूचक भी नहीं है। अनफिट वाहन भी कई हादसों की बड़ी वजह बनते हैं। इसके बावजूद न तो ऐसे वाहनों की फिटनेस को ठीक कराने का कोई इंतजाम है और न ही वाहन चालक इस पर खुद ध्यान देने के लिए तैयार हैं। अधिकतर भारी वाहनों की फिटनेस को लेकर बड़ी समस्या है, जिसको दूर करने पर चालान कटने के बाद भी ध्यान नहीं दिया जाता है।

इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के सीनियर फेलो सुरिंदर पाल सिंह ने बताया कि यातायात नियमों का पालन करना हमारे व्यवहार में नहीं है। अधिकतर लोग आज भी रेड लाइट के समय जेब्रा क्रॉसिंग पर ही गाड़ी रोकते हैं और सिग्नल ग्रीन होते ही तेजी से भागते हैं। लोगों की यह लापरवाही भी दुर्घटना का कारण बनती है। कोहरे के समय हादसों की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। इस दौरान गाड़ी की फॉग लाइट जलाकर रखनी चाहिए। कोहरे के समय वाहन की गति को भी कम ही रखना चाहिए। वहीं, यातायात पुलिस को चालान काटने से ज्यादा जोर वाहन चालकों को जागरूक पर करना चाहिए। साल में एक बार सिर्फ यातायात सप्ताह के दौरान ही कुछ जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इससे समस्या के समाधान में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है।

सड़क सुरक्षा व सड़क सुधार के कार्यकर्ता के अतुल रणजीत कुमार ने बताया कि सर्दी के मौसम में सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह साइन बोर्ड, रिफ्लेक्टर, ब्लिंकर्स आदि न होना है। इसके लिए नवंबर के अंत तक सड़कों की सतह की मरम्मत, साइन बोर्ड सहित रिफ्लेक्टर्स व ब्लिंकर्स आदि लगाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। वाहन चालकों को भी अपने वाहनों विशेषकर भारी वाहनों के आगे-पीछे उच्च गुणवत्ता के रिफ्लेक्टर आदि लगाना चाहिए। स्थायी समाधान के रूप में प्राथमिक शिक्षा स्तर से ही छात्रों को यातायात नियमों की शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए। ऐसा करने से वयस्क होने व वाहन चलाना शुरू करने से पहले ही सभी को यातायात नियमों का स्वाभाविक ज्ञान होगा। संयुक्त आयुक्त यातायात की मीनू चौधरी ने बताया कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ लगातार चालान करने की कार्रवाई की जा रही है। रात के समय भी जगह-जगह यातायात पुलिस चेकिंग कर कार्रवाई कर रही है। बिना रिफ्लेक्टर वाले वाहनों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कहीं डिवाइडर टूटा तो कहीं सड़क पर खड़े रहते वाहन : मोती नगर फ्लाईओवर पर खड़े गार्डर लदे हुए ट्रॉले में कार टकराने से कुछ दिन पहले ही तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसका कारण ट्रॉले में रिफ्लेक्टर न लगे होना और तेज रफ्तार था। इसी तरह अन्य कई जगहों पर भी भारी वाहन सड़कों पर खड़े रहते हैं। इसके साथ ही दक्षिणी दिल्ली में मोदी मिल के पास बीच में डिवाइडर पर रेलिंग न लगी होने के कारण लोग यातायात नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए मनमाने ढंग से सड़क पार करते हैं, जो कभी भी हादसे का कारण बन सकता है। इसी इलाके में सावित्री कॉलेज के पास अधूरा बना डिवाइडर भी हादसे का कारण बन सकता है।

वहीं बाहरी दिल्ली के आजादपुर टर्मिनल के पास रेलिंग टूटी होने के कारण पैदल यात्री सड़क पार करने के लिए उसके बीच से निकलते हैं। इसके अलावा शराब पीकर गाड़ी चलाना, गलत दिशा में वाहन चलाना, खराब यातायात सिग्नल, सड़क पर गलत पार्किंग, सड़क पर खड़े खराब वाहन, बैलगाड़ी और ओवरलोडेड वाहन भी हादसे का कारण बनते हैं। वहीं 2019 में भारी वाहनों के कारण 24 हादसे हुए और 10 की मौत हो गई।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.