पीयूष तिवारी। इसी साल तीन फरवरी को राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-1 पर पंजाब के सर्रंहद के पास घने कोहरे के कारण ट्रक पलट गया और लुधियाना निवासी उसके हेल्पर की जान चली गई। इससे एक किलोमीटर दूर ही भारी सामग्री से लदा एक कैंटर सेना के ट्रक से टकरा गया, जिसके कारण वहां भीषण जाम लग गया। इसमें 50 से ज्यादा वाहन फंस गए और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। दिसंबर व जनवरी महीने में देश के खतरनाक राजमार्गों पर इस प्रकार की दुर्घटनाएं आम हो चुकी हैं।
खराब मौसम, जैसे- कोहरा व ओलावृष्टि के कारण जहां दृश्यता प्रभावित होती है, वहीं सड़कों पर फिसलन भी बढ़ जाती है। इसके कारण दुर्घटनाओं की आशंका भी ज्यादा हो जाती है। सबसे खतरनाक यह है कि कोहरा और धुंध के कारण न सिर्फ दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है, बल्कि साल दर साल मौतों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2014 के बाद कोहरे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में 100 फीसद से भी ज्यादा इजाफा हुआ है।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कोहरा व धुंध के कारण वर्ष 2019 में वर्ष 2018 के मुकाबले सड़क हादसों में 20 फीसद का इजाफा हुआ है। वर्ष 2018 में जहां 28,026 हादसे हुए थे, वहीं वर्ष 2019 में इनकी संख्या 33,602 हो गई। कोहरा व धुंध के कारण होने वाले हादसों में इतना इजाफा अब तक कभी नहीं हुआ, जबकि बारिश व ओलावृष्टि की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आई है।
सड़क हादसों व मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश (4,177) सबसे आगे रहा। इसके बाद बिहार (1,884), तमिलनाडु (1,053), हरियाणा (825) व मध्य प्रदेश (702) का नंबर आता है। 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों की बात करें तो सबसे ज्यादा खराब स्थिति चेन्नई, दिल्ली व कानपुर की रही। चेन्नई में वर्ष 2019 में हुए कुल 5,251 सड़क हादसों में 926 लोग मारे गए। इन हादसों ने उस भ्रम को भी खत्म कर दिया कि कोहरे के कारण सड़क हादसे सिर्फ उत्तर भारत में होते हैं।
शोध बताते हैं कि कोहरे के कारण होने वाले हादसों में मौतों की दर खराब मौसम के दूसरे पहलुओं के मुकाबले ज्यादा है। कोहरा व बर्फबारी के कारण कई वाहनों के टकराने से मौत का खतरा (रिस्क रेशियो) बारिश के दिनों में होने वाले सड़क हादसों से छह गुना ज्यादा है। बर्फबारी में ये खतरा 158, जबकि कोहरे में 171 है। सड़क के डिजाइन व लेआउट में खामी, खराब रखरखाव, समुचित पथ प्रकाश का अभाव तथा हेडलाइट के उचित इस्तेमाल न होने के कारण भी कोहरे के मौसम में हादसे बढ़ जाते हैं।
भारत में कोहरा के कारण होने वाले सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए दूसरे देशों के सफल प्रयोगों को अपनाया जाना चाहिए। जैसे, न्यूजीलैंड में कोहरा से होने वाले हादसों को कम करने के लिए सड़कों के किनारे आपातकालीन मार्ग को चौड़ा करने अथवा उसकी सीलबंदी जैसे कदम उठाए जाते हैं। वाहन चालकों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वार्निंग डिवाइस के इस्तेमाल के अलावा रंबल स्ट्रिप्स व गार्ड के उपयोग को बढ़ावा दिया जाता है। दूसरे देशों में दृश्यता को बढ़ावा देने वाले उपायों को अमल में लाया जाता है।
इनमें वाणिज्यिक वाहनों पर रेफ्लैक्टिंग टैप लगाना व दुर्गम इलाकों में चलने वाले वाहनों में फॉग लैंप का इस्तेमाल अनिवार्य किए जाने जैसे उपाय शामिल हैं। ब्रिटेन व अमेरिका के परिवहन विभाग कोहरे में वाहन चालकों को हादसों से बचाने के लिए विशेष दिशानिर्देश व टिप्स जारी करते हैं। इनमें कार से समुचित दूरी बनाने, लो बीम लाइट चालू रखने, गति धीमी रखने, फुटपाथ के करीब वाहन चलाने व खड़े वाहनों से सतर्क रहने जैसे टिप्स शामिल होते हैं।
हमें कोहरा के कारण होने वाले हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सड़क के बुनियादी ढांचे, खतरनाक व दुर्गम क्षेत्रों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने व बेहतर नीतियों के निर्माण जैसे कदम उठाने चाहिए। सड़क पर लेन के चिह्न का समुचित निर्धारण, वाहन चालकों और खासकर राजमार्गों पर गाड़ी चलाने वालों की मदद के लिए आवश्यक चेतावनी व संकेत का उल्लेख बहुत जरूरी है। सड़कों के डार्क जोन (खतरनाक क्षेत्रों) में पुलिस की तैनाती किए जाने पर भी कोहरा के कारण होने वाले हादसों में कमी आ सकती है।
केंद्रीय मोटर वाहन नियम-1998 के अनुच्छेद 125बी में पहाड़ियों पर चलने वाले वाहनों के लिए सुरक्षा उपकरणों की जरूरतों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इनमें चार पहिया वाहनों में फॉग लैंप्स, पावर स्टेयरिंग व डिमाइस्टिंग प्रणाली तथा एम-2 वर्ग की बसों में एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि शामिल हैं। इसके साथ ही सड़क सुरक्षा नियोजन से कोहरा हटाने की जरूरत है, जिससे सड़क हादसों व उनमें होने वाली मौतों पर अंकुश लगाया जा सके।
[संस्थापक, सेव लाइफ फाउंडेशन, नई दिल्ली]
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