Delhi: म्यूकरमाइकोसिस के लिए राहत भरी खबर, इलाज के लिए आरएमएल के डाक्टर ने बताई सस्ती दवा
डा. सरदाना ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस की संक्रमण से पीडि़त 56 वर्षीय महिला का पोटेशियम आयोडाइड से इलाज किया गया। उन्हें मधुमेह भी है। संक्रमण नाक से त्वचा में फैल गया था। एम्फोटेरेसिन बी दवा दी थी लेकिन वह ठीक नहीं हुईं।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में एम्फोटेरेसिन बी दवा की कमी आड़े आ रही है। इस बीच आरएमएल अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. कबीर सरदाना ने सस्ती दवा बताई है। उनका सुझाव है कि पोटेशियम आयोडाइड (केआइ) से इस फंगस संक्रमण का इलाज संभव है, जो अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन को भी ट्वीट कर सुझाव दिया है कि पोटेशियम आयोडाइड के इस्तेमाल से म्यूकरमाइकोसिस का इलाज संभव है। हालांकि, ईएनटी के विशेष कहते हैं कि म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में पोटेशियम आयोडाइड दवा एम्फोटेरिसिन बी का बेहतर विकल्प नहीं हो सकती है।
बरहहाल, डा. सरदाना ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस की संक्रमण से पीडि़त 56 वर्षीय महिला का पोटेशियम आयोडाइड से इलाज किया गया। उन्हें मधुमेह भी है। संक्रमण नाक से त्वचा में फैल गया था। एम्फोटेरेसिन बी दवा दी थी लेकिन वह ठीक नहीं हुईं। बाद में पोटेशियम आयोडाइड (केआइ) दवा दी गई। यह बहुत सुरक्षित दवा है। जहां पर एम्फोटेरेसिन बी दवा उपलब्ध नहीं है वहां पोटेशियम आयोडाइड दवा कारगर साबित हो सकती है। एक बोतल की कीमत 200 रुपये होती है। फल के जूस के साथ पांच बूंद दिन में तीन बार दिया जाता है। सरकारी अस्पतालों में यह दवा उपलब्ध होती है। इसके अलावा दिल्ली में करीब 20 ऐसे केमिस्ट है जहां यह दवा उपलब्ध है। ज्यादातर यह दवा त्वचा में फंगल संक्रमण होने पर दी जाती है।
अपोलो अस्पताल के ईएनटी सर्जन डा. अमित किशोर ने कहा कि पोटेशियम आयोडाइड बहुत पुरानी दवा है, जो कुछ फंगस संक्रमण में दी जाती है। लेकिन यह म्यूकरमाइकोसिस में यह ज्यादा प्रभावी नहीं है। पोटेशियम आयोडाइड फ्रेश बनना पड़ता है। क्योंकि अधिक समय तक दवा बनाकर रखने पर वह असर नहीं करती। उन्होंने कहा कि यह दवा एम्फोटेरेसिन बी का विकल्प नहीं है।
एम्फोटेरिसिन बी में भी दो तरह की दवा आती है। एक एम्फोटेरिसिन बी डीआक्सीकोलेट व दूसरी एम्फोटेरिसिन बी लिपोसोमल। एम्फोटेरिसिन बी लिपोसोमल यह ज्यादा अच्छी दवा है। इसका खास दुष्प्रभाव भी नहीं है। यह दवा मिलने में ही दिक्कत है। एम्फोटेरिसिन बी डीआक्सीकोलेट इंजेक्शन मिलने में परेशानी नहीं है। इसके अलावा कई अन्य एंटीफंगल दवाएं हैं, जो पोटेशियम आयोडाइड से ज्यादा अच्छी हैं। उनका इस्तेमाल भी हो रहा है लेकिन म्यूकरमाइकोसिस ज्यादा घातक संक्रमण है। इसलिए शुरुआत में एम्फोटेरिसिन बी देकर फंगस को नष्ट करने की जरूरत होती है। बाद में वैकल्पिक दवाएं चलानी पड़ती है। हल्के संक्रमण में पोटेशियम आयोडाइड दवा काम आ सकती है।