हाई कोर्ट से जमानत नही मिलने पर निराश हुए लालू यादव, जानें एम्स से कब मिलेगी छुट्टी
Lalu Prasad Yadav Health Update एम्स में भर्ती लालू यादव को जब सूचना मिली कि उन्हें जमानत नहीं मिली है तो वह निराश हुए। बताया जा रहा है कि एम्स से उन्हें अभी छुट्टी नहीं मिलेगी। क्रिएटिनिन में सुधार होने के बाद उन्हें छुट्टी दी जाएगी।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चार सप्ताह से एम्स में भर्ती हैं। हालांकि, कई पुरानी बीमारियों से पीड़ित लालू यादव की हालत स्थिर बनी हुई है। फिर भी उन्हें लंबे समय तक भर्ती रहना पड़ सकता है। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि किडनी की बीमारी के कारण क्रिएटिनिन का स्तर अभी ज्यादा है। इस वजह से उन्हें भर्ती रखा गया है।
क्रिएटिनिन के स्तर में सुधार होने में तीन से चार सप्ताह लग सकते हैं। इसलिए हाल फिलहाल उन्हें एम्स से छुट्टी नहीं मिलेगी। क्रिएटिनिन में सुधार होने के बाद उन्हें छुट्टी दी जाएगी। बताया जा रहा है कि जमानत नहीं मिल पाने की सूचना से वह थोड़े निराश हुए।
उल्लेखनीय है कि किडनी व दिल की बीमारी के कारण उन्हें 23 जनवरी को रांची से एयर एंबुलेंस से दिल्ली लाकर एम्स में भर्ती किया गया था। एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डा. राकेश यादव के नेतृत्व में उनका इलाज चल रहा है। शुरुआत में कुछ दिन वह आइसीयू में भर्ती थे। क्योंकि जिस वक्त उन्हें एम्स में लाया गया था तब उनकी किडनी व दिल की परेशानी थी। फेफड़े में भी संक्रमण था। संक्रमण में सुधार होने के बाद उन्हें कार्डियक न्यूरो सेंटर के प्राइवेट वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से वह प्राइवेट वार्ड में भर्ती हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अब उन्हें दिल की खास समस्या नहीं है। अभी किडनी की परेशानी है। क्योंकि क्रिएटिनिन का स्तर सामान्य नहीं है। डाक्टर उसके इलाज में जुटे हुए हैं।
झारखंड हाई कोर्ट ने नही दी जमानत
बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनकी आधी सजा पूरी होने में अभी दो महीने का वक्त बचा है। लालू आधी सजा पूरी होने का हवाला देते हुए जमानत मांग रहे थे। वह चारा घोटाले के एक मामले में सात साल जेल की सजा काट रहे हैं। तबीयत ठीक नहीं होने के कारण वह दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं। जहां पर वे डॉक्टरों की निगरानी में हैं।