Delhi Unlock 6.0 guidelines: पाबंदियां रहेंगी बरकरार, छठ-दिवाली के मद्देनजर आज जारी हो सकती है गाइडलाइन
Delhi Unlock 6.0 guidelines दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (Delhi Disaster Management Authority) की ओर से बुधवार तक पाबंदियों पर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि बृहस्पतिवार तक इस बारे में आदेश जारी हो सकता है।
नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। Delhi Unlock 6.0 guidelines: एक नवंबर से शुरू होने जा रहे अनलॉक-6 में राजधानी दिल्ली में लगातार जारी कुछ पाबंदियों को लेकर एक नवंबर से किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। शहर में स्कूलों को अगले आदेश तक बंद करना का एलान बुधवार को ही हो चुका है, वहीं दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि व्यावसायिक गतिविधियों को नहीं रोका जाएगा। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (Delhi Disaster Management Authority) की ओर से बुधवार तक पाबंदियों पर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि बृहस्पतिवार तक इस बारे में आदेश जारी हो सकता है। इसमें हो सकता है दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ रहे मामलों के चलते कुछ गतिविधियों पर रोक लगा दी जाए। बता देें दिल्ली में मल्टीप्लेक्स, सिनेमा हॉल और सिनेमाघरों को अपनी अनलॉक योजनाओं के तहत फिर से खोलने की अनुमति मिल चुकी है।
दिल्ली में सिर्फ 50 लोग ही हो सकते हैं एक जगह पर इकट्ठा
फिलहाल केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स के मुताबिक, दिल्ली में 100 लोगों की मौजूदगी में सभा करने की अनुमति दी गई है, लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक इसकी अधिसूचना नहीं दी है। ऐसे में दिल्ली में 50 से अधिक लोगों का एक साथ इकट्ठा होना प्रतिबंधित है। शुरुआत में 50 लोगों की अधिकतम सीमा शादियों के लिए निर्धारित की गई थी। दिल्ली में वर्तमान में लागू दिशानिर्देशों के तहत, यह राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक आदि साभाओं पर लागू होता है।
नवंबर महीने में दिवाली, करवाचौथ और छठ का आयोजन होना है, लेकिन अभी तक कोई गाइडलाइन्स नहीं आने से आयोजक असमंजस में हैं। अभी तक उन्हें दिल्ली सरकार या दिल्ली पुलिस से कोई सूचना नहीं मिली है।
होटल-रेस्तरां के लिए मानक तय करने की मांग
वहीं, राजधानी दिल्ली में होटल एवं रेस्तरां के लिए मानक तय करने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। अदालत ने डीडीएमए को याचिका को बतौर प्रतिवेदन लेकर तीन सप्ताह के अंदर फैसला लेने को कहा है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने कहा कि निर्णय लेते समय याचिकाकर्ता के सुझाए हुए मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करें।
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