हिंदूराव अस्पताल में हड़ताल खत्म, वेतन मिलते ही काम पर वापस आए डॉक्टर
हिंदूराव अस्पताल में हड़ताल पर गए रेजिडेंट डॉक्टर वेतन मिलने के साथ ही काम पर वापस आ गए हैं। नाराज डॉक्टरों ने सोमवार को सड़क पर ओपीडी लगा मरीजों को देखा था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सबसे बड़े अस्पताल हिन्दूराव में अनुबंध पर कार्य कर रहे डॉक्टरों ने वेतन आने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल मंगलवार को खत्म हो गई। यह हड़ताल सोमवार से शुरू हुई थी।
बता दें कि तीन माह से वेतन न मिलने से नाराज डॉक्टरों ने सोमवार को सड़क पर ही ओपीडी लगाकर मरीजों को देखा। हालांकि, इसका मरीजों को कोई लाभ नहीं हुआ, क्योंकि अस्पताल के मेडिकल स्टोर से हड़ताली डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाइयां देने से इन्कार कर दिया। वहीं, कुछ देर बाद अस्पताल प्रशासन ने कोर्ट के निर्देश का हवाला देकर सड़क पर चल रही ओपीडी बंद करा दी और स्थायी कर्मचारियों की मदद से अस्पताल में ओपीडी सेवा शुरू करवाई।
अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि हड़ताल से मरीजों को कोई परेशानी नहीं हुई। सामान्य दिनों की तरह ओपीडी और सर्जरी की व्यवस्था चलती रही, लेकिन कई ऐसे मरीज अस्पताल में दिखे, जो हड़ताल की वजह से परेशान थे। कोई मध्य प्रदेश से आया था तो कोई दिल्ली के नरेला से यहां अपना इलाज कराने आया था। हड़ताल से मरीज इधर-उधर भटकते रहे।
वेतन मिलते ही खत्म हुई हड़ताल
डॉक्टरों की हड़ताल वेतन मिलने के साथ ही खत्म हो गई। इससे पहले उत्तरी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त वर्षा जोशी ने बताया था कि उन्हें दिल्ली सरकार से 206.5 करोड़ रुपये मिल गया है। तय नियमों के अनुसार राशि को अस्पताल प्रशासन के खाते में भेज दिया गया है।
सीनियर डॉक्टरों की भी हड़ताल की चेतावनी
रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के बाद अब अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों ने भी हड़ताल की चेतावनी दे दिया था। म्युनिसिपल डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरआर गौतम ने कहा कि सीनियर डॉक्टरों को भी तीन माह से वेतन नहीं मिला है। जिससे उनका घर चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में जल्द एसोसिएशन की जर्नल बॉडी की बैठक बुलाकर हड़ताल पर फैसला लिया जाएगा।
प्रशासन ने 2024 तो हड़ताली डॉक्टरों ने देखे 200 मरीज
निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा की गई हड़ताल से मरीजों को कोई परेशानी नहीं हुई है। अस्पताल में सोमवार को 2024 मरीजों का इलाज किया। इसमें 1500 मरीज नए थे। इसके साथ ही 22 मरीजों का ऑपरेशन भी किया गया। वहीं, हड़ताली डॉक्टरों का दावा है कि उन्होंने सड़क पर ओपीडी लगाकर करीब दौ सौ मरीजों का इलाज किया। हालांकि, प्रशासन के तमाम दावों पर इलाज कराने आए मरीजों ने ही सवाल उठा दिए। कई मरीज ऐसे थे जो इधर-उधर भटकते रहे।
राष्ट्रपति से मांगी सामूहिक आत्मदाह की अनुमति
वेतन न मिलने से नाराज डॉक्टर एक ओर हड़ताल पर चले गए वहीं कई डॉक्टरों ने भीख मांगने का फैसला किया। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. संजीव चौधरी ने कहा कि डॉक्टरों के पास अब घर चलाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। जिससे वे सड़क पर आ गए हैं। इसके साथ ही डॉक्टरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सामूहिक आत्महत्या की अनुमति मांगी है। संजीव चौधरी ने बताया कि समय पर वेतन, पीने का साफ पानी, डाक्टरों को सुरक्षा, जूनियर व सीनियर डाक्टरों के लिए समय-समय पर साक्षात्कार करवाने के संबंध में प्रशासन से लगातार बातचीत भी चल रही है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस कदम प्रशासन की ओर से नहीं उठाया गया है। इससे वे बेहद परेशान हैं।
फोर्डा का था समर्थन
हिंदूराव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने समर्थन किया। फोर्डा के अध्यक्ष डॉ. सुमेध ने कहा कि दिल्ली सरकार और निगम के अस्पतालों में डॉक्टरों को वेतन की समस्या अब आम हो चुकी है। डॉक्टरों के पास आय के कोई अन्य स्रोत नहीं हैं, ऐसे में अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल का हम समर्थन करते हैं और हम उनके साथ हैं।
हिंदूराव अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक संगीता नांगिया ने कहा, ‘डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए हमने वरिष्ठ डॉक्टर व मेडिकल अफसर तैनात किए हैं। उच्च अधिकारी डॉक्टरों को वेतन दिलाने के प्रयास में लगे हैं। जब तक रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे, तब तक हम वरिष्ठ डॉक्टरों को अकादमिक एवं अन्य कामों से हटाकर सिर्फ इलाज के काम पर लगाएंगे।’
मरीजों को परेशानी
इलाज के लिए आयी मरीज गायत्री देवी ने कहा, ‘मैं एक माह से अस्पताल में इलाज करा रही हूं। घुटनों में तकलीफ है। दवाई का असर नहीं हो रहा था इसलिए दिखाने आई थी, लेकिन अस्पताल में हड़ताल की वजह से इलाज नहीं मिल पाया।’ मध्यप्रदेश से आयी रेखा ने कहा, ‘मैं मध्यप्रदेश से आई हूं। मेरी सासू मां का इलाज होना है, लेकिन हड़ताल की वजह से काफी परेशानी हो रही है। डॉक्टरों के कमरे में गए तो वहां कमरा खाली पड़ा था।’ वहीं बवाना से आए रामसेवक ने कहा, ‘बवाना से आया हूं। मेरा पहले से इलाज चल रहा है, लेकिन हड़ताल होने की वजह से आज इलाज नहीं हो पाया। दाहिने हाथ में रॉड डाली गई थी, अब रॉड को निकालने के लिए बुलाया था। किराया खर्च करके अस्पताल आने पर भी इलाज नहीं हो पाया।’
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