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Covid-19 Affects Fertility: कोरोना से कम हो सकती है पुरुषों की फर्टिलिटी क्षमता! शोध में खुलासा

Covid-19 Affects Fertility एक अध्ययन में यह साबित हुआ है कि कोरोना से पीड़ित कुछ पुरुष मरीजों में यौन हार्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) की कमी पाई गई है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 01:32 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 06:20 PM (IST)
Covid-19 Affects Fertility: कोरोना से कम हो सकती है पुरुषों की फर्टिलिटी क्षमता! शोध में खुलासा
Covid-19 Affects Fertility: कोरोना से कम हो सकती है पुरुषों की फर्टिलिटी क्षमता! शोध में खुलासा

नई दिल्ली [रणविजय सिंह। Covid-19 Affects Fertility:  कोरोना सिर्फ फेफड़े ही नहीं बल्कि शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों पर भी असर डाल रहा है। एक अध्ययन में यह साबित हुआ है कि कोरोना से पीड़ित कुछ पुरुष मरीजों में यौन हार्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) की कमी पाई गई है। इस वजह से पीडि़त युवाओं में प्रजनन क्षमता प्रभावित होने का खतरा है, इसलिए एम्स के डॉक्टर कोरोना पीड़ित युवा पुरुष मरीजों के ठीक होने के बाद भी फॉलोअप की जरूरत बता रहे हैं।

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एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि लंबे समय तक फॉलोअप करने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि प्रजनन क्षमता पर कोरोना किस तरह और कितना असर डाल रहा है। पुराने सार्स कोरोना वायरस के संक्रमण से कुछ मरीजों में इस तरह की परेशानी देखी गई है। इसलिए कोविड-19 से पीड़ित युवा पुरुष मरीजों के फॉलोअप में प्रजनन स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। एक दिन पहले एम्स के डॉक्टरों ने राष्ट्रीय ग्रैंड राउंड-5 में डाटा जारी करते हुए बताया कि सार्स कोरोना वायरस से पीड़ित कुछ मरीजों में वायरल ऑर्काइटिस की बीमारी देखी जा चुकी है। इसके कारण अंडकोष में सूजन होने लगती है।

एम्स के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित 81 पुरुषों पर किए गए एक शोध में प्रजनन क्षमता प्रभावित होने का पता चला है। इनमें टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन कम हो गया था, इसलिए मरीजों का फॉलोअप जरूरी है, लेकिन वायरल ऑर्काइटिस जैसे मामले अभी तक इस कोरोना वायरस के मरीजों में नहीं देखे गए हैं।

दरअसल कोरोना वायरस एसीई-2 (एंजियोटेंसिन कन्वर्टिग एंजाइम-2) प्रोटीन पर अटैक करता है। इसलिए फेफड़ा सहित शरीर के उन हिस्सों पर कोरोना का संक्रमण अधिक देखा जा रहा है, जिसमें एसीई-2 मौजूद होता है। पुरुषों के अंडकोष में भी इसकी मौजूदगी होती है। इस वजह से प्रजनन क्षमता प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।

गौरतलब है कि व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता किस तरह काम करती है और किसी वायरस या बैक्टीरिया के लिए इसका रिऐक्शन कैसा होता है? यह किसी हद तक टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन पर निर्भर करता है। टेस्टोस्टेरॉन हमारे शरीर में इम्युनिटी से जुड़ी हुई ज्यादातर प्रक्रियाओं में शामिल होता है। वायरल के खिलाफ ऐंटिबॉडीज बनाने में सहायता करना भी इनमें शामिल है। वहीं, टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन महिला और पुरुष दोनों के ही शरीर में पाया जाता है। लेकिन यह मुख्य रूप से एक पुरुष हॉर्मोन है क्योंकि यह पुरुषों के यौन जीवन को संचालित करने में मुख्य भूमिका अदा करता है। यदि पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम हो जाए तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता सही तरीके से काम नहीं करती है। एक स्टडी के मुताबिक, महिलाओं में 60 फीसद टेस्टोस्टेरॉन ही काफी होता है, वहीं पुरुषों में इसका स्तर 68 फीसद होने पर भी कम माना जाता है।

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