सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने कोरोना वैक्सीन पर उठाए सवाल
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट किया कि युवा कोरोना से मर रहे हैं यह कैसा वैक्सीन अभियान है कोरोना से जो लोग ठीक हुए हैं उनके शरीर में वैक्सीन लगवाने वालों के मुकाबले ज्यादा इम्युनिटी है। ऐसे में वैक्सीन लगवाने का क्या फायदा रह जाता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देश के जाने माने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Eminent lawyer of Supreme Court Prashant Bhushan) एक बार फिर कोरोना वैक्सीन के विरोध को लेकर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने एक ट्वीट किया कि युवा कोरोना से मर रहे हैं, यह कैसा वैक्सीन अभियान है, कोरोना से जो लोग ठीक हुए हैं, उनके शरीर में वैक्सीन लगवाने वालों के मुकाबले ज्यादा इम्युनिटी है। ऐसे में वैक्सीन लगवाने का क्या फायदा रह जाता है।
उधर, कभी आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे प्रशांत भूषण के ट्वीट को लोगों ने खूब रीट्वीट किया और अपनी प्रतिक्रिया दी। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने उनसे असहमति भी जताई है। उधर, विरोध को देखते हुए उन्होंने एक और ट्वीट किया। इसमें लिखा कि उनके परिवार और पहचान वाले उन्हें वैक्सीन विरोधी बता रहे हैं, लेकिन यह सच नहीं है। वह वैक्सीन विरोधी नहीं हैं, लेकिन इसका प्रचार भी नहीं कर सकते और उन्हें इसकी जरूरत है। इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट करके बताया कि अब तक उन्होंने वैक्सीन नहीं ली है और न ही लेने की इच्छा है।
स्वास्थ्य पर राज्यों में समन्वय का अभाव: रणदीप गुलेरिया
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का मानना है कि स्वास्थ्य के मुद्दे पर राज्यों के बीच समन्वय का अभाव है। जबकि, स्वास्थ्य राज्य का ही विषय है।
डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य तंत्र एवं जन स्वास्थ्य ढांचे को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसने हमारे सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। हमें भविष्य में इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारी करनी होगी। वह कंफेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) द्वारा आनलाइन आयोजित स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन, 2021 को संबोधित कर रहे थे।
डा. रणदीप गुलेरिया सीआइआइ के पब्लिक हेल्थ काउंसिल के चेयरमैन भी हैं। डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हमारी कोशिश दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच बनाने की होनी चाहिए। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत है। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को तकनीक से जोड़ना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में टेली-हेल्थ और टेली-डायग्नोस्टिक को पहुंचना होगा। इसमें उद्योग जगत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। देश में एक मजबूत इलेक्ट्रानिक स्वास्थ्य व्यवस्था की जरूरत है। इसके अलावा हमें रोगी की तुलना में डाक्टर और नर्स के अनुपात को भी बढ़ाना होगा। अपने बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कदम उठाने होंगे।