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कोरोना मृतकों के स्वजन को मिलेगा मुआवजा, जिला प्रशासन कर रहा पहल

Corona Death Compensation अधिकारियों के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण से हुई मौत के मामले में मुआवजे के लिए 3582 फाइलें आई थी जिसमें से 362 फाइलों को कागजात पूरे नहीं होने के कारण खारिज कर दिया गया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 06:01 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 06:01 PM (IST)
कोरोना मृतकों के स्वजन को मिलेगा मुआवजा, जिला प्रशासन कर रहा पहल
पश्चिमी जिला प्रशासन ने गठित की विशेष टीम

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में पिता को खोने के बाद मुआवजे की आस छोड़ चुके पटेल नगर निवासी समित जैन को जिला प्रशासन की पहल ने एक नई उम्मीद की किरण दी है। पिछले वर्ष 25 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण पिता की मृत्यु के बाद से समित मुआवजे की राशि प्राप्त करने के लिए जिला उपायुक्त कार्यालय के चक्कर लगा रहे थे, पर पिता की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है इसकी पुष्टि कर पाने में असमर्थ होने के कारण उनकी फाइल को अधिकारियों ने एक नहीं बल्कि दाे बार खारिज कर दिया था। पर अब जिला प्रशासन ने एक कमेटी गठित की जो मुआवजे के लिए आई फाइलों का पुनर्मूल्यांकन कर रहा है, ताकि जरूरतमंद स्वजन को मुआवजे की राशि प्राप्त हो।

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क्या हुई परेशानी

समित बताते हैं कि 19 अप्रैल को उनके पिता को बुखार की शिकायत हुई थी। जिसके बाद वे उन्हें लेकर चिकित्सक के पास गए। जहां चिकित्सक ने उनकी कोरोना जांच कराने की कोई सलाह नहीं दी। चिकित्सीय परामर्श पर उनका घर में इलाज चल रहा था कि 22 अप्रैल को उनका आक्सीजन स्तर कम होने लगा। समित जैसे-तैसे पिता को गंगा राम अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उन्हें कोरोना जांच की सलाह जरूर दी पर जांच केंद्रों पर भीड़ के बीच वे जांच करा पाने में असमर्थ थे।

काफी दौड़ भाग करने के बाद समित ने उत्तम नगर स्थित एक निजी अस्पताल में पिता के लिए बेड का बंदोबस्त किया। पिता की तबियत ज्यादा खराब होने के कारण अस्पताल में चिकित्सकों ने जांच में समय बर्बाद करने के बजाय उन्हें कोरोना संक्रमित मानकर उनका इलाज शुरू किया। इलाज के दौरान उनकी स्थिति संभलने के बजाय और बिगड़ती गई और 25 अप्रैल को पिता की मौत हो गई।

समित ने बताया कि सितंबर में सरकारी मुआवजे के लिए उन्होंने आवेदन दिया था। पर अधिकारियों ने उनकी फाइल को इसलिए खारिज कर दिया, क्योंकि उनके पास पिता की कोविड जांच रिपोर्ट नहीं थी। समित ने हार नहीं मानी और एक बार फिर मुआवजा प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया, पर दूसरी बार भी फाइल को खारिज कर दिया। जिसके बाद समित ने मुआवजे की आस छोड़ दी। समित बताते हैं कि शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय से उन्हें फोन आया और उन्हें फाइल के साथ आने को कहा गया। प्रशासन की इस पहल ने समित व उनके परिवार को नई उम्मीद दी है।

209 फाइलों को दी गई मंजूरी

अधिकारियों के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण से हुई मौत के मामले में मुआवजे के लिए 3,582 फाइलें आई थी, जिसमें से 362 फाइलों को कागजात पूरे नहीं होने के कारण खारिज कर दिया गया था। खारिज हुई इन फाइलों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए अतिरिक्त जिला उपायुक्त धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है। अब तक 362 फाइलों में से 209 फाइलों को पास कर दिया गया है। शेष फाइलों का पुनर्मूल्यांकन जारी है। अधिकारियों ने बताया कि पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए जो दूसरे जिले के थे। उन मामलों की फाइलों को संबंधित जिले की टीम को सौंप दिया गया है। इसके अलावा फाइलों में जहां जो कमी है, उन्हें पूरा कर मुआवजा देने का प्रयास जारी है।

कमेटी के समक्ष दे सकते हैं आवेदन

ऐसे लोग जिनके स्वजन की कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु हुई थी और उन्हें अभी तक सरकारी मुआवजे का लाभ नहीं मिला है, वे कमेटी के समक्ष आवेदन दे सकते हैं। मुआवजे का लाभ मिले इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। बशर्ते पीड़ित परिवार के पास मृतक के कोरोना संक्रमण से मृत्यु से जुड़े कागजात हो।

धर्मेंद्र कुमार, अतिरिक्त जिला उपायुक्त, पश्चिमी जिला


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