दिल्ली अग्निकांड में असली हीरो राजेश शुक्ला ने पेश की साहस की मिसाल, अकेले बचाई 12 जिंदगियां
Rajesh shukla रांची के राजेश शुक्ला और उनकी टीम ने अपनी जान की परवाह किए बिना 12 लोगों को बचाया। इस काम में राजेश भी घायल हो गए और उन्हें लोकनायक अस्पातल में भर्ती कराना पड़ा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Fire Rajesh shukla:दिल्ली में भीषण अग्निकांड में 43 लोगों की जान चली गई, लेकिन अग्निशमन विभाग के बहादुर एडीओ (असिस्टेंट डिवीजन ऑफिसर) राजेश शुक्ला और उनकी टीम न होती तो हादसा और भयावह हो सकता था। रांची के राजेश शुक्ला और उनकी टीम ने अपनी जान की परवाह किए बिना 12 लोगों को बचाया। इस काम में राजेश भी घायल हो गए और उन्हें लोकनायक अस्पातल में भर्ती कराना पड़ा, जहां उन्हें ऑक्सीजन दी गई। जब उनसे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मिलने पहुंचे तो उन्होंने व्यथित मन से उन्हें हादसे की जानकारी दी और कहा-सर थोड़ा पहले मौके पर पहुंच जाते तो और लोगों भी जान बच जाती।
दैनिक जागरण से बातचीत में पुरानी दिल्ली इलाके के एडीओ राजेश शुक्ला ने मौके का आंखों देखा हाल बयान किया। राजेश ने बताया कि आग फैक्ट्री में तीन मंजिल तक पहुंच चुकी थी। उन्हें वहां मौजूद लोगों से जानकारी मिली कि कुछ लोग अंदर फंसे हैं। इसके बाद वह ऑक्सीजन सिलेंडर के बगैर ही दो-तीन अन्य दमकल कर्मियों के साथ दरवाजा तोड़कर फैक्ट्री के अंदर घुस गए।
कमरे में गूंज रही थी आवाज
बचाव कार्य के दौरान फैक्ट्री के अंदर दूसरी मंजिल पर बने कमरे में पहुंचे तो दो लोगों को छोड़कर सब बेहोश पड़े थे। उनकी सांसें इतनी तेज चल रहीं थीं कि पूरे कमरे में आवाजें गूंज रही थीं। जो लोग होश में थे, उन्हें साथ ले आए। जो बेहोश थे उन्हें भी बाहर लाने का काम शुरू किया गया। तीन-चार दमकलकर्मियों ने मिलकर पहली बार में 12 लोगों को बाहर निकाला, जिनमें दो बच्चे भी थे।
एक ही हॉल में 30 से ज्यादा लोग पड़े थे बेहोश
राजेश शुक्ला ने बताया कि पहली बार में कमरे से लोगों को बाहर निकालने में काफी धुआं सांस के जरिये शरीर में चला गया था। इसलिए दूसरी बार में फंसे लोगों को खोजकर बाहर निकालने के लिए सुरक्षा उपकरण के साथ अंदर प्रवेश किया। अंदर का दृश्य हृदयविदारक था। एक ही हॉल में 30 से ज्यादा लोग बेहोश पड़े थे। इनमें से ज्यादातर लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी। सभी को निकालकर बाहर भेजने का काम शुरू किया गया। तब तक मौके पर पर्याप्त एंबुलेंस भी नहीं पहुंचीं थीं। ऐसे में कई पीडि़तों को खुद की गाड़ी से अस्पताल भेजना पड़ा।
आग बुझाना और लोगों को निकालना दोहरी चुनौती
राजेश ने कहा कि आग बुझाना और लोगों को बाहर निकालना, यह दोहरी चुनौती थी। गली इतनी संकरी है कि एक साथ फायर ब्रिगेड व एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंच सकती थीं। इस वजह से फायर ब्रिगेड की गाडि़यां आग बुझाने में लगी थीं, उस वक्त पीडि़तों को उठाकर गली के बाहर एंबुलेंस तक लाना पड़ रहा था। बचाव कार्य के दौरान बेहोश व्यक्ति को बाहर निकालते वक्त वह गिर पड़े। इस वजह से उनके घुटने में चोट भी लग गई।
सोशल मीडिया पर दिलेरी के चर्चे
रांची के नामकुम तेतरी टोला के राजेश शुक्ला का नाम हर किसी की जुबां पर है। सोशल मीडिया पर राजेश की दिलेरी के चर्चे हो रहे हैं। दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन ने ट्वीट कर राजेश शुक्ला को असली हीरो बताया। राजेश शुक्ला 2004 से दिल्ली अग्निशमन में सेवारत हैं। इसके पूर्व भी गुजरात के भूकंप और दिल्ली में कई हादसों में कई लोगों की जान बचा चुके हैं।
मंत्री ने क्या कहा
राजेश शुक्ला सही मायने में असली नायक हैं। वह आग से घिरी इमारत में घुसने वाले पहले शख्स थे। वहां उन्होंने 11 की जान बचाई। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी उन्होंने अपनी ड्यूटी निभाई। इस बहादुर को मेरा सलाम।
सत्येंद्र जैन, स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली सरकार