पढ़िये- AAP-BJP और कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी है 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत
28 फरवरी को जिन पांच सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से चार सीटों कोंडली चौहान बांगर रोहिणी सी और त्रिलोकपुरी पूर्व पर आम आदमी पार्टी का कब्जा था। भाजपा के खाते में सिर्फ शालीमार बाग उत्तर वार्ड था। AAP की कोशिश सभी सीटें जीतने की है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। अगले वर्ष होने वाले नगर निगम चुनाव से पहले पांच वार्डों में होने जा रहे उपचुनाव में भाजपा, आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के लिए अपनी सियासी ताकत दिखाने का मौका है। यह उपचुनाव मुख्य मुकाबले के लिए आधार तैयार करेगा, क्योंकि बेहतर प्रदर्शन करने वाली पार्टी को मुख्य चुनाव की तैयारी के लिए मानसिक तौर पर मजबूती मिलेगी। भाजपा इसे ध्यान में रखकर रणनीति तैयार करने में जुट गई है।
बता दें कि 28 फरवरी को जिन पांच सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से चार सीटों कोंडली, चौहान बांगर, रोहिणी सी और त्रिलोकपुरी पूर्व पर आम आदमी पार्टी का कब्जा था। भाजपा के खाते में सिर्फ शालीमार बाग उत्तर वार्ड था। AAP की कोशिश सभी सीटें जीतने की है। वहीं, भाजपा अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखने के साथ ही AAP की सीटों में सेंध लगाने की जुगत में है। पार्टी ने इसके लिए सभी सीटों के लिए प्रभारी व सह प्रभारी तैनात किए हैं और उनकी देखरेख में चुनाव अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है।
विधायकों को दी गई है चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी
भाजपा ने विधायकों व प्रदेश महामंत्रियों को अलग-अलग वार्ड की जिम्मेदारी है। विधायक अजय महावर को चौहान बांगर, विधायक अभय वर्मा को कल्याणपुरी, विधायक जितेंद्र महाजन को त्रिलोकपुरी पूर्व, प्रदेश महामंत्री दिनेश प्रताप सिंह को रोहिणी सी और प्रदेश महामंत्री हर्ष मल्होत्रा शालीमार बाग उत्तर वार्ड का चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
दूसरे वार्डों से भेजे गए हैं नेता
चुनाव प्रचार के लिए प्रत्येक वार्ड में दूसरे वार्डों से नेताओं की टीम भेजी गई है। इनमें पदाधिकारियों के साथ ही अलग-अलग वर्ग से संबंधित नेता शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
निगम फंड को बनाया जा रहा मुद्दा
स्थानीय मुद्दों के साथ ही पार्टी दिल्ली के मुद्दे भी जोरशोर से उठा रही है। निगमों का बकाया फंड मुख्य मुद्दा है। कार्यकर्ताओं को जनसंपर्क के दौरान लोगों को यह विस्तार से बताने को कहा गया है कि किस तरह से बकाया फंड नहीं मिलने से निगम का काम बाधित हो रहा है। कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की सड़कों और लाल किले में किए गए उत्पात को भी मुद्दा बनाया जा रहा है।