पढ़िये किन वजहों से एक स्कूल की पांच मंजिला इमारत को गुंबद में कर दिया गया तब्दील, प्रदूषण से क्या है नाता?
इमारत के सभी दरवाजे खिड़कियों को एयरप्रूफ बनाकर स्वच्छ हवा प्रसारित करने की मशीनें लगा दी गई हैं। इससे स्कूल के अंदर का वातावरण बाहर के वातावरण की तुलना में करीब 85 प्रतिशत अधिक स्वच्छ हो जाता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। न्यू फ्रेंड्स कालोनी स्थित द आरडी स्कूल ने बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए पांच मंजिला इमारत को गुंबद में तब्दील कर दिया है। इमारत के सभी दरवाजे, खिड़कियों को एयरप्रूफ बनाकर स्वच्छ हवा प्रसारित करने की मशीनें लगा दी गई हैं। इससे स्कूल के अंदर का वातावरण बाहर के वातावरण की तुलना में करीब 85 प्रतिशत अधिक स्वच्छ हो जाता है। स्कूल के अंदर के वातावरण का एक्यूआइ 50 से 100 के बीच रखने का प्रयास किया जाता है, जिससे बच्चों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
स्कूल के निदेशक और हेड आफ बिजनेस डेवलेपमेंट अरमान वर्मा ने बताया कि वर्ष 2017 में इनडोर एक्टिविटी के लिए बनाए गए हाल में एयर प्यूरीफायर लगाया गया था, जो 15 हजार स्क्वायर फीट के हाल को एक घंटे में स्वच्छ कर देता था। इसका मकसद प्रदूषण की वजह से बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी से दूर न होने देना था। हम प्रयास कर रहे हैं कि बच्चे घर से अधिक स्कूल में सुरक्षित रहें। अगस्त 2021 में कार्बन डाइआक्साइड से मुक्त वातावरण के लिए उन्होंने एयर प्यूरीफाइंग प्लांट लगाया गया।
प्लांट न केवल कार्बन डाइआक्साइड बल्कि पीएम-10 और पीएम- 2.5 पार्टिकल को भी हवा से दूर कर देता है।
प्लांट विद्युत चुंबकीय सिद्धांत पर काम करता है, जिस कारण नेगेटिव व पाजिटिव चार्ज अलग-अलग पार्टिकल पहले स्तर पर ही हवा से दूर हो जाते हैं। हवा स्वच्छ करने के बाद डक्ट के जरिये प्रत्येक तल पर दबाव के साथ छोड़ा जाता है। दबाव के साथ हवा आने से फ्लोर पर प्रत्येक एक घंटे में तीन बार हवा स्वच्छ हो जाती है।
अरमान ने बताया कि शुरू में प्रत्येक कक्षा में एयर प्यूरीफायर लगाने का प्रयास किया लेकिन यह सफल नहीं हुआ। इसके बाद पूरे परिसर को ही प्रदूषण मुक्त रखने के प्लान पर काम शुरू किया। पूरी इमारत के दरवाजे, खिड़कियों को एयरप्रूफ बनाया गया और इमारत के बीच में बने खाली स्थान को ऊपर से ढक दिया। इससे पूरा परिसर एक गुंबद के आकार में आ गया जिसमें नए वातावरण का निर्माण किया जा सका। स्कूल की चेयरपर्सन शैफाली वर्मा व निर्वाणा बीइंग के जयधर गुप्ता का इसमें काफी सहयोग रहा।