Chhath Puja 2020: छठी मईया की कृपा से पति का स्वास्थ्य हुआ ठीक, अब बच्चों के लिए रख रहीं व्रत
Chhath Puja 2020 छठ बिहार यूपी के लोगों के लिए खासकर एक बड़ा त्योहार है। इस पर्व को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से मनाया जाता है। आइए जानें कैसे लोग बिना पानी और खाने के इतने कड़े व्रत को कर लेते हैं। पढ़िए दो स्टोरी।
नई दिल्ली, रितु राणा। Chhath Puja 2020: कोई संतान प्राप्ति, तो कोई पति की लंबी आयु के लिए पूरी श्रद्धा व उत्साह के साथ छठी मईया का व्रत रखता है। ऐसी ही कुछ वृद्धाएं हैं जो कई वर्षों से आज भी पूरे नियमों के साथ छठी मईया का व्रत रख रही हैं। उन्हीं में से एक है 68 वर्षीय शशिकला पांडेय। तीस वर्ष पहले जब उनके पति के स्वास्थ्य पर दवाइयां भी कोई असर न कर पाई, तो उन्होंने छठी मईया के दरबार में गुहार लगाई।
पति की बिगड़ती तबीयत को लेकर छठ माता से लगाई थी गुहार
दयालपुर में निवासी शशिकला पांडेय ने बताया 1989 में छठ पर्व पर खरना वाले दिन अचानक उनके पति बृंद पांडेय की तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें तुरंत हिंदू राव अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनकी बिगड़ती हालत के आगे डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए थे, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। उसी दिन छठी मईयां से पति के जल्द ठीक होने की कामना करते हुए संकल्प लिया कि अगर उनके पति का स्वास्थ्य ठीक हो जाएगा तो, वह हर वर्ष छठ पर व्रत रखेंगी। कुछ ही दिन में उनके पति का स्वास्थ्य एकदम ठीक हो गया, फिर 1990 से अब तक वह व्रत रखती आ रही हैं। उन्होंने बताया कि 2010 में उनके पति की एक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई लेकिन उन्होंने व्रत नहीं छोड़ा और अब वह अपने बच्चों के लिए व्रत रख रही हैं।
पोते के लिए दादी रख रही 35 वर्षों से छठी मईयां का व्रत
झिलमिल में रहने वाली 86 वर्षीय सीता देवी पिछले 35 वर्षों से अपने पोते की के लिए छठी मईयां का व्रत रख रही हैं। शीतल देवी ने बताया कि उनकी दो पोती हो गई थी। इसके बाद उन्हें एक पोते की कमी खल रही थी। तीसरी बार जब बहु गर्भवती हुई तो उन्होंने पोते की प्राप्ति के लिए छठी मईया का व्रत रखा। पोता होने के बाद से वह आज तक छठी मईया का व्रत रखती आ रही हैं। इस उम्र में भी वह पूरी श्रद्धा व खुशी के साथ यह व्रत रख रही हैं।
कोरोना के चलते इस बार अलग अंदाज
सीता देवी ने बताया कि शुरू के 10 वर्ष उन्होंने वजीराबाद रोड स्थित यमुना घाट पर ही नदी में रहकर सूर्य को अर्घ्य दिया। लेकिन, अब कई वर्षों से वह हनुमान मंदिर परिसर में बने तालाब में अर्घ्य दे रही हैं। उनके पति इस मंदिर के पुजारी हैं, हर वर्ष यहां सामूहिक रूप से लोग अर्घ्य देने आते थे, लेकिन कोरोना के चलते इस बार सिर्फ वही अपने परिवार के लोगों की उपस्थिति में ही अर्घ्य देंगी।
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