पढ़िए अब सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावरों को गिराने के काम को कौन सी विदेशी कंपनी देगी अंजाम
हाईकोर्ट ने अप्रैल 2014 में दोनों टावरों को अवैध करार दिया। उन्हें गिराने का आदेश दे दिया। हाईकोर्ट ने कहा था कि एपेक्स व सियान नाम के इन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर किया गया है। इसी फैसले के खिलाफ सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
नई दिल्ली नोएडा/जागरण संवाददाता। सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावर एपेक्स व सियान का ध्वस्तीकरण अमेरिकी कंपनी एडफिस इंजीनियरिंग करेगी। सुपरटेक प्रवक्ता ने बताया कि इसके लिए कंपनी के साथ अनुबंध कर लिया गया है, जिसकी कापी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया जाएगा। इसके लिए कंपनी को कुछ भुगतान भी किया गया है।
हालांकि इससे पहले बिल्डर की ओर से दस विभागों से एनओसी का आवेदन कर दिया गया है, एनओसी जल्द से जल्द दिलवाने के लिए नोएडा प्राधिकरण को अनुबंध की कापी के साथ कव¨रग लेटर लगाकर भी भेज दिया गया है। अनुबंधन की कापी सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत होने के बाद एडफिस इंजीनिय¨रग की ओर से ध्वस्तीकरण को लेकर जो कार्ययोजना प्रस्तुत की गई है, उस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से संज्ञान लिया जाएगा। इसके बाद ही फाइनल तिथि पर आदेश हो सकेगा।
यहां से ली जाएगी एनओसी
-जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर
-सिटी मजिस्ट्रेट नोएडा
-डीसीपी सेंट्रल जोन गौतमबुद्धनगर
-डीसीपी ट्रैफिक
-मुख्य अग्निशमन अधिकारी गौतमबुद्धनगर
-क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
-जीएम गेल
-एमडी यूपीपीसीएल
-ज्वाइंट चीफ कंट्रोलर आफ एक्सप्लोसिव
टावर ध्वस्तीकरण के लिए देना था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को सुपरटेक के दोनों टावर एपेक्स व सियान को ध्वस्त करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया था। टावर तय समय में ध्वस्त नहीं किए जा सके। कोर्ट ने 17 जनवरी को कंपनी के साथ अनुबंध कर जवाब देने के लिए कहा था। सोमवार को सुपरटेक कोर्ट में अपना जवाब देगी।
इसलिए गिराए जा रहे हैं दोनों टावर
सुपरटेक बिल्डर ने एमराल्ड कोर्ट नाम के बिल्डिंग परिसर में 40 और 39 मंजिल के दो नए टावर खड़े कर दिए। 950 फ्लैट वाले दोनों टावर बनाते समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति नहीं ली गई। नक्शे के हिसाब से यह निर्माण सोसायटी के खुले क्षेत्र में उस जगह किया गया, जहां से पार्क में जाने का रास्ता था। इस विशाल निर्माण से इमारतों के बीच की दूरी बहुत कम हो गई। पहले से रह रहे लोगों को रोशनी और हवा पाने में भी समस्या होने लगी।
सोसायटी के आरडब्ल्यूए ने नोएडा प्राधिकरण से निर्माण के बारे में जानकारी मांगी, तो उन्हें मना कर दिया गया। एमराल्ड कोर्ट निवासी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने अप्रैल 2014 में दोनों टावरों को अवैध करार दिया। उन्हें गिराने का आदेश दे दिया। हाईकोर्ट ने कहा था कि एपेक्स व सियान नाम के इन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर किया गया है। इसी फैसले के खिलाफ सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।