दिल वालों की दिल्ली में उस्ताद जौक से बेरुखी, कभी था मजार पर टॉयलेट
‘कौन जाए जौक दिल्ली की गलियां छोड़कर’ यह शेर कहने वाले दिल्ली पर फिदा मशहूर शायर जौक कहीं बाहर नहीं गए और यहीं रह भी गए मगर दिल्ली वाले ही उन्हें भूल गए।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। यूं तो दिल्ली को दिलवालों का शहर कहा जाता है, लेकिन शायरों को लेकर बेरुखी किसी से छिपी नहीं है। बात चाहे गालिब की है या उनके समकालीन इब्राहिम जौक की हो। दोनों को ही इससे दो-चार होना पड़ा। दिल्ली के बल्लीमारान इलाके की गली कासिम जान में स्थित उर्दू के महान शायर मिर्जा गालिब की हवेली भी इन्हीं दिलवालों की दिल्ली में कभी उजाड़ थी, जिसे बर्षों बाद नया रंग रूप दिया जा सका।
यह अलग बात है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) ने इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक (Heritage Monuments of India) का दर्जा दिया है, मगर अब इसकी हालत ऐसी नहीं रहेगी। एएसआइ ने इसके संरक्षण की योजना बनाई है। योजना के तहत उनकी कब्र के आसपास के क्षेत्र की दशा सुधारी जाएगी। स्मारक के अंदर के फर्श का संरक्षण कार्य किया जाएगा। प्रवेश द्वारा को इस तरह बनाया जाएगा कि वह बेहतर दिखे। इस स्मारक तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं।
यहां पर बता दें कि उस्ताद जौक की मजार नबी करीम की चिन्नौन बस्ती में है। कभी इस मजार पर टॉयलेट हुआ करता था। वर्ष-1996 में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के दखल के बाद इस पर काम हुआ और फिर टॉयलेट को हटाकर फिर से उनकी मजार को सम्मानित तरीके से स्थापित किया गया। अब यह भारतीय पुरातत्व विभाग का स्मारक है।
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