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पढ़िए- इस 'लिट्टी मैन' की अनोखी कहानी, कलाकार से लेकर नेता तक हुए मुरीद

लिट्टी-चोखा की लोकप्रियता ने देवेंद्र को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने मोटी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ लिट्टी-चोखे की दुकान खोल ली। चंद सालों में ही उनकी लिट्टी बहुत प्रसिद्ध हो गई।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 04 Feb 2019 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 01:35 PM (IST)
पढ़िए- इस 'लिट्टी मैन' की अनोखी कहानी, कलाकार से लेकर नेता तक हुए मुरीद
पढ़िए- इस 'लिट्टी मैन' की अनोखी कहानी, कलाकार से लेकर नेता तक हुए मुरीद

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। बिहार के छोटे से गांव से चलकर आटे की गोल लोई जब दिल्ली पहुंची तो क्या नेता और क्या अभिनेता सभी इसके कायल हो गए। चने की सत्तू और बैंगन ने भी इसका खूब साथ निभाया...फिर तो सबने मिलकर स्वाद का ऐसा जादू बिखेरा कि हरदिल अजीज हो गया लिट्टी-चोखा। क्या चौक-चौराहा और रेहड़ी अब तो पांच सितारा होटलों में विदेशी पर्यटक तक इसका सुस्वाद ले रहे हैं। लिट्टी-चोखा की लोकप्रियता ने देवेंद्र सिंह को इस कदर प्रभावित किया कि उन्होंने मोटी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ लिट्टी-चोखे की दुकान खोल ली। चंद सालों में ही उनकी लिट्टी इस कदर प्रसिद्ध हो गई कि वह देवेंद्र सिंह से मिस्टर लिट्टीमैन बन गए।

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पर्यटक बोलते हैं ‘साहब अथेंटिक’

बिहार उत्सव हो या इंडिया ट्रेड फेयर तमाम फूड फेस्टिवल में मिस्टर लिट्टी वाला का स्टॉल लोगों को इस बिहारी जायके का सुस्वाद चखाने के लिए मशहूर है। विदेशी पर्यटक तो इसके ऐसे दीवाने हैं कि उन्होंने देवेंद्र को ‘साहब ऑथेंटिक’ बुलाना शुरू कर दिया।

स्वाद के साथ समझौता नहीं

लिट्टी में खालिस बिहारीपन बरकरार रहे, इसलिए देवेंद्र बिहार से ही सत्तू मंगाते हैं। इसे बनाने का तरीका भी वही पुराना है। इसके कोयले की आंच पर ही सेका जाता है। गुणवत्ता की वजह से ही आज आनंद विहार रेलवे स्टेशन, बिहार निवास, निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन एवं मंडावली में चार- चार दुकान है।

बनाने का पारंपरिक अंदाज

आटे में नमक और अजवाइन मिलाकर अच्छी तरह गूंथा जाता है। चने के सत्तू में सरसों का तेल, नींबू, नमक, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च मिलाकर आटे में भरकर गोला बनाते हैं। फिर उसे कोयले पर सेक कर देशी घी में डुबाकर ग्राहकों को परोसा जाता है। वहीं चोखा बनाने के लिए आलू, बैंगन और टमाटर को कोयले की तेज आंच पर पकाते हैं। फिर इसमें अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, सरसों का तेल, नमक, काली मिर्च पाउडर मिलाकर मैश करते हैं। यहां की एक और खासियत है पीली सरसों की चटनी, जो बेहद लाजवाब है।

पीली सरसों की चटनी है खास

पीली सरसो को भिगोकर एक दिन सामान्य तापमान में रखने के बाद इसमें मूंगफली और सरसों का तेल मिलाकर पीसा जाता है। मूंगफली की वजह से सरसों का स्वाद एकदम जुदा हो जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए लाल मिर्च पाउडर, आमचूर, नमक भी मिलाते हैं। चटनी को एक दिन के लिए खमीर उठने के लिए रखते हैं। अगले दिन गरमा-गरम लिट्टी-चोखा और कच्ची प्याज के साथ सरसों की चटनी परोसी जाती है।

नेता भी हैं लिट्टी के दीवाने

सांसद एवं अभिनेता मनोज तिवारी से लेकर रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तक नियमित रूप से लिट्टी खाने आते हैं।

मेडिकल की तैयारी छोड़ बनाने लगे लिट्टी

देवेंद्र मूलरूप से बिहा के छपरा जिले के रहने वाले हैं। 1992 में 10वीं पास करने के बाद वे मेडिकल की तैयारी करने लगे। पांच साल बाद बीआइटी एग्रीकल्चर में उनका चयन भी हो गया। लेकिन उन्हें तो कुछ और ही करना था, लिहाजा अपना लक्ष्य बदल कर होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई शुरू कर दी। अशोका होटल में ट्रेनिंग और होटल ताज व ग्रैंड हयात में भी काम किया।

सालभर में जम गया काम

देवेन्द्र कहते हैं कि डेढ़ साल ऐसे ही बीत गया। 2003 में शादी के बाद विशाल मेगामार्ट में नौकरी मिली। यहां मैंने पूरे भारत में करीब 55 फूड कोर्ट खोले। 1999 से 2010 तक मैंने बड़े-बड़े होटलों में काम किया, ठेलों के चाट-पकौड़े भी खाए, लेकिन किसी भी रेस्त्रां के मेन्यू में मैंने लिट्टी नहीं देखी। तभी जेहन में बैठा लिया कि दिल्ली में लिट्टी चोखा को ब्रांड बना कर मशहूर करूंगा। साल 2010 में नौकरी छोड़ लक्ष्मी नगर (अब मंडावली में) में पहला आउटलेट खोला। खुद के दम पर इस कपंनी को खड़ा किया। सालभर में काम जमने लगा था।


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