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Health Update: थर्मल अब्लेशन से 40 सेकेंड में हो सकेगा शुरुआती सर्वाइकल कैंसर का इलाज

एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि थर्मल अब्लेशन से 40 सेकेंड में शुरुआती सर्वाइकल कैंसर का इलाज हो सकेगा। आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की मदद से इस तकनीक से ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व छोटे अस्पतालों में भी इलाज संभव हो सकेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 07:50 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 07:50 AM (IST)
Health Update: थर्मल अब्लेशन से 40 सेकेंड में हो सकेगा शुरुआती सर्वाइकल कैंसर का इलाज
डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक 15 साल की उम्र की लड़कियों को एचपीवी का टीका देने का लक्ष्य तय किया है।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। देश में महिलाओं में कैंसर का दूसरा बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) 17 नवंबर को इस बीमारी को वर्ष 2030 तक खत्म करने के लिए विश्वव्यापी अभियान शुरू करेगा। इसके मद्देनजर एम्स मंगलवार को एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित कर रहा है। इसमें देश भर के विशेषज्ञ सर्वाइकल कैंसर की जांच व इलाज की नई तकनीक पर चर्चा करेंगे,ताकि डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित समय के अंदर इस बीमारी को देश से खत्म किया जा सके। एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि थर्मल अब्लेशन से 40 सेकेंड में शुरुआती सर्वाइकल कैंसर का इलाज हो सकेगा। आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की मदद से इस तकनीक से ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व छोटे अस्पतालों में भी इलाज संभव हो सकेगा। देश में सर्वाइकल कैंसर से हर साल 95 हजार महिलाएं पीड़ित होती हैं और करीब 60 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है।

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एम्स की गायनी विभाग की प्रोफेसर डाॅ. नीरजा भाटला ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 2030 तक 15 साल की उम्र के 90 फीसद लड़कियों को एचपीवी का टीका देने का लक्ष्य तय किया है। वहीं 45 साल की उम्र के 70 फीसद महिलाओं की स्क्रिनिंग करनी है। यह स्क्रिनिंग पेपस्मियर जांच से नहीं बल्कि एचपीवी टेस्ट के माध्यम से करने के लिए कहा है। स्क्रिनिंग में 6-7 फीसद महिलाओं में एचपीवी का संक्रमण मिल सकता है, लेकिन एक से दो फीसद को ही इलाज की जरूरत पड़ेगी। इलाज के लिए कई नई सुविधाएं उपलब्ध हो गई है, जिसमें थर्मल अब्लेशन भी शामिल है। इससे 40 सेकेंड में शुरुआती स्टेज के सर्वाइकल कैंसर का इलाज हो सकेगा। इसके लिए मरीज को एनीस्थिसिथा देने की जरूरत नहीं होती।

अब बैटरी से संचालित होने वाले कोलपोस्‍कोप उपलब्ध हो गए हैं। जो एक बार चार्ज होने के बाद आठ घंटे तक कार्यरत रह सकते हैं। एम्स में हुए शोध में यह साबित हो गया है कि प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर कोलपोस्कोप से जांच कर इंटरनेट से लीजन (जख्म) की तस्वीर डॉक्टर को भेज सकते हैं। डाॅक्टर उसे देखकर फोन पर ही इलाज के बारे में बता सकते हैं। लीजन छोटा या प्रि-कैंसर की स्थिति में होने पर स्वास्थ्य कर्मचारी डाॅक्टर के निर्देश पर थर्मल अब्लेशन कर सकेंगे। इस तकनीक से 100 से 120 डिग्री पर घाव को बर्न कर दिया जाता है। इससे मरीज को दर्द भी नहीं होता, लेकिन कैंसर गंभीर स्थिति में होने पर मरीज को अस्पताल आना पड़ेगा। सर्वाइकल कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंचने पर शरीर के कई हिस्से में फैल जाता है। ऐसी स्थिति में पैलिएटिव केयर की जरूरत पड़ती है। यह सुविधा भी घर के नजदीक उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाएगा।

अगले साल आएगा सर्वाइकल कैंसर का स्वदेशी टीका

एचपीवी का टीका अभी बहुत महंगा है। सीरम इंस्टीट्यूट ने स्वदेशी टीका विकसित की है, जो बहुत प्रभावी है। उसका फेज तीन का ट्रायल चल रहा है। कोरोना के कारण थोड़ा काम प्रभावित हुआ है, लेकिन अगले साल एचपीवी का स्वदेशी टीका आ जाएगा। जो सस्ता होगा। तब सर्वाइकल कैंसर के टीके को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाएगा।

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