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दिल्ली कारोबारी मर्डर व सुसाइड केस: पढ़िए- कैसे जींस के धागे काटते-काटते गुलशन बन गई थी संजना

वासुदेवा के एक पूर्व कार चालक के अनुसार वह उनके हर राज को जानता है। कई ऐसे राज भी जानता है जिनसे घरवाले शायद हमेशा अनजान रहे।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 09:07 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 09:07 AM (IST)
दिल्ली कारोबारी मर्डर व सुसाइड केस: पढ़िए- कैसे जींस के धागे काटते-काटते गुलशन बन गई थी संजना
दिल्ली कारोबारी मर्डर व सुसाइड केस: पढ़िए- कैसे जींस के धागे काटते-काटते गुलशन बन गई थी संजना

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। पूर्वी दिल्ली गांधी नगर मार्केट की एक फैक्ट्री में जींस के धागे काटते-काटते गुलशन कब गुलशन वासुदेवा की चहेती बन गई, किसी को पता ही नहीं चला। भले ही फैक्ट्री के मालिक वासुदेवा थे, लेकिन गुलशन उर्फ संजना वहां की दूसरी बॉस थी। वासुदेवा के एक पूर्व कार चालक के अनुसार, वह उनके हर राज को जानता है। कई ऐसे राज भी जानता है, जिनसे घरवाले शायद हमेशा अनजान रहे। गांधी नगर मार्केट के एक दुकानदार व वासुदेवा के करीबी ने बताया कि 12 वर्ष पहले गुलशन को फैक्ट्री में जींस का धागा काटने की नौकरी मिली थी।

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देखने में सुंदर और होशियार गुलशन जल्द ही वासुदेवा की करीबी बन गई। नजदीकियां बढ़ीं तो गुलशन धर्म परिवर्तन कर संजना बन गईं। आठ माह पहले तक वासुदेवा के कार चालक रहे शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वासुदेवा ने धर्म परिवर्तन कराकर उससे कोर्ट में शादी कर ली थी। इसमें उनका पहला गवाह कार चालक था। शास्त्री नगर निवासी संजना के परिवार को भी सबकुछ पता था, इसलिए उन्होंने उससे दूरी बना ली थी। उधर, वासुदेवा ने अपने घर पर दूसरी शादी के बारे में नहीं बताया था। पांच वर्ष पहले तक संजना को फैक्ट्री व दुकान के कर्मचारी गुलशन नाम से बुलाते थे, लेकिन कुछ समय बाद उसने सभी से कहा कि कोई उसका नाम लेकर नहीं बुलाएगा। वासुदेवा खुद उसे संजना कहकर बुलाने लगे। उन्होंने जब चालक की नौकरी छोड़ी उससे कुछ दिन पहले वासुदेवा ने गुलशन का आधार कार्ड और 1500 रुपये दिए थे। आधार कार्ड में गुलशन का नाम संजना करवाने के लिए।

उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पहले वासुदेवा ने राजनगर एक्सटेंशन स्थित केडब्ल्यू सोसायटी में फ्लैट लिया था, जहां पर संजना रहती थी। वह कई बार कार से दोनों को छोड़कर आए भी हैं और लेकर भी। करीब नौ माह पहले वासुदेवा ने उन्हें और फैक्ट्री के दो कर्मचारियों को राजनगर एक्सटेंशन स्थित फ्लैट पर घर का नया सामान सेट करने के लिए बुलाया था। इस घर के बारे में उन्होंने किसी को नहीं बताया था। गत दिसंबर को बनारस में कपड़ा मेला लगा हुआ था तो वह वासुदेवा और संजना को कार से लेकर गए थे। वहां पर दोनों के बीच वासुदेवा की पहली प}ी को लेकर झगड़ा भी हुआ था। संजना का जन्मदिन वासुदेवा कनॉट प्लेस में मनाते थे।

कर्मचारियों को किया था वाट्सएप मैसेज

पिछले दस वषों से वासुदेवा की फैक्ट्री में काम करने वाले विशाल ने बताया कि सोमवार रात को वाट्सएप पर वासुदेवा का मैसेज आया था। इसमें उन्होंने कहा कि पूर्व कार चालक धीरज को उन्होंने 17 हजार रुपये दिए हैं, मंगलवार को रकम लेकर धीरज आएगा। किसको कितने पैसे देने है, यह भी बताया था।

दुकानदारों को वॉट्सएप मैसेज कर मांगी माफी

गांधी नगर की मल्होत्र गली में गत वर्ष तक वासुदेवा की जींस की दुकान थी, जबकि धर्मपुरा एक्सटेंशन में उनकी फैक्ट्री अब भी है। गांधी नगर के दुकानदार यह बात मानने को तैयार ही नहीं है कि वह खुदकशी कर सकते हैं। वह लोहड़ी पर सभी दुकानदारों को मिठाई बांटते थे। चार दिन पहले वह मार्केट में जाकर दुकानदारों से मिले, हालचाल जाना और सोमवार रात को वाट्सएप पर कई दुकानदारों को मैसेज करके माफी भी मांगी और बताया कि उन्हें किससे कितनी रकम लेनी है और किसे देनी है? वासुदेवा ने मार्केट में यह तक बताया हुआ था कि उनके साढ़ू ने कई करोड़ रुपये लिए हुए हैं, जिसे लौटा नहीं रहे हैं। मार्केट के दुकानदार भी वासुदेवा के बाद संजना को फैक्ट्री प्रमुख मानते थे।

वहीं, श्रेष्ठ विहार स्थित डीएवी स्कूल में रितिक की मौत की खबर से सन्नाटा पसरा हुआ है। विद्यार्थी और शिक्षक से लेकर कर्मचारी तक गमगीन हैं। रितिक नौवीं कक्षा के विद्यार्थी थे। मंगलवार को सामाजिक विज्ञान की परीक्षा थी, जब रितिक नहीं पहुंचे तो उनके दोस्त परेशान हो गए। एक शिक्षक ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही पूरा स्कूल दंग रह गया। रितिक पढ़ाई के साथ ही स्वभाव में काफी अच्छा था। उसने घर से जुड़ी बाते कभी अपने साथियों तक को नहीं बताई। पिछले सप्ताह तक वह स्कूल आया, इस बीच उसका स्वभाव आम दिनों की तरह था।

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