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Kisan Andolan: किसान नेता राकेश टिकैत को लगातार मिल रही हार, फिर भी हैं 'खुश' जानिये पूरा मामला

Kisan Andolan राकेश टिकैत का साफ-साफ कहना है कि जब तक तीनों केंद्रीय काले कृषि कानून केंद्र सरकार पूरी तरह से वापस नहीं ले लेती है तब तक किसान दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर इसी तरह अपना धरना जारी रखेंगे।

By Jp YadavEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 11:39 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 08:40 AM (IST)
Kisan Andolan: किसान नेता राकेश टिकैत को लगातार मिल रही हार, फिर भी हैं 'खुश' जानिये पूरा मामला
Kisan Andolan: किसान नेता राकेश टिकैत लगातार मिल रही हार फिर भी हैं 'खुश', जानिये पूरा मामला

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। अपने राजनीतिक दांव से विरोधियों को चित करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait, national spokesperson of Bharatiya Kisan Union) का दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर बुरा हाल है। गाजीपुर बार्डर पर अस्थाई तौर पर बनाए गए अखाड़े में होने वाली कबड्डी में राकेश टिकैत हर बार बुजुर्ग किसानों से मात खा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस अखाड़े में तकरीबन हर दिन शाम को होने वाली कबड्डी में कई बार बुजुर्ग किसानों ने किसान नेता राकेश टिकैत को भी चित कर दिया है। वहीं राकेश टिकैत का कहना है कि बुजुर्गों से हार कोई हार होती है, यह तो आशीर्वाद की तरह है। गौरतलब है कि गाजीपुर बार्डर पर बने अस्थाई अखाड़े में प्रत्येक शाम को कबड्डी आयोजित होती है, जिसमें बड़ी संख्या में कबड्डी के खेल में बुजुर्ग किसान भी हिस्सा लेते हैं। इस दौरान बुजुर्ग किसानों के दांव से राकेश टिकैत की टीम चित हो जाती है। 

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गौरतलब है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (शाहजहांपुर, गाजीपुर, टीकरी और सिंघु) पर यूपी, पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान धरने पर बैठे हैं। आगामी 27 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले चल रहे इस किसान आंदोलन को 11 महीने पूरे हो जाएंगे। वहीं किसान संगठनों को साफ-साफ कहना है कि जब तक तीनों केंद्रीय काले कृषि कानून केंद्र सरकार पूरी तरह से वापस नहीं ले लेती है, तब तक किसान दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर इसी तरह अपना धरना जारी रखेंगे। 

उधर, गाजीपुर बार्डर पर चल रही कबड्डी को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत पर प्रतिक्रिया दी है। किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि यह यूपी का ही नहीं, बल्कि देशभर के गांवों का एक पारंपरिक खेल हैं। वैसे तो यह युवाओं को खेल हैं, लेकिन बुजुर्ग किसान भी गाजीपुर बार्डर पर कबड्डी खेल रहे हैं। राकेश टिकैत का कहना है कि आंदोलन जारी रहेगा, जबकि केंद्र सरकार हमारी बातें नहीं मान लेती।

बता दें कि किसान आंदोलन के शुरू होने के बाद 3 महीने के भीतर ही भाकियू नेता राकेश टिकैत बड़े नेताओं में शुमार हो गए। हुआ यूं कि 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किला पर हिंसा के बाद लगा कि आंदोलन खत्म हो जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर में शामिल दो तीन किसान संगठनों ने आंदोलन और धरने से हटने का मीडिया के सामने आकर ऐलान किया। इसी कड़ी में राकेश टिकैत ने भी गाजीपुर बार्डर से आंदोलन खत्म करने का तकरीबन तकरीबन ऐलान कर ही दिया था।  इस बीच कहीं से अफवाह उड़ी कि लोनी से भारतीय जनता पार्टी के विधायक नंद किशोर गुर्जर प्रदर्शन स्थल के आसपास हैं। इस पर राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायक प्रदर्शनकारी किसान नेताओं को पीटने के इरादे से आ रहे हैं। इसके बाद तो पूरी बाजी ही पलट गई। अपने बयान के दौरान राकेश टिकैत की आंखों में आंसू भर आए और वह रोने लगे। इसका असर यह हुआ कि भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के अध्यक्ष और उनके बड़े भाई ने मुजफ्फर नगर से ऐलान कर दिया कि बड़ी संख्या में किसान यूपी बार्डर पर पहुंचे। इसके बाद राकेश टिकैत किसान आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शुमार हो चुके हैं। कहा जाता है कि लखीमपुरी खीरी जिले में 3 अक्टूबर को किसान नेताओं पर तथाकथित गाड़ी चढ़ाने से 4 की मौत हुई तो राकेश टिकैत ही आगे आए और उन्होंने मृतकों को 40 लाख रुपये और सरकारी नौकरी दिलाने में मदद की थी।


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