दिल्ली में अब सिर्फ इलेक्टिक बसें ही लाएगी AAP सरकार, पढ़िये- मंत्री कैलाश गहलोत का पूरा इंटरव्यू
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि पहले से दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन बढ़े है अब सड़कों पर भी इलेक्ट्रिक वाहन दिख रहे हैं दिल्ली में पहले के एक प्रतिशत की जगह चार प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन हो चुके हैं।
नई दिल्ली। दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन और प्रदूषण दोनों ही बड़े मुद्दे हैं, दोनों सीधे तौर तक जनता से जुड़े हुए हैं और वह इनसे जूझ रही है। हालांकि दिल्ली सरकार दोनों ही मुद्दों को एक ही तीर से साधने की तैयारी कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि लोगों को सार्वजनिक परिवहन की पूरी सुविधाएं तो मिलें ही, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को न्यूनतम किया जाए। इसके लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में अब सरकार ने दिल्ली में केवल इलेक्ट्रिक बसें लाने की योजना बनाई है। क्या है पूरी योजना, राजधानी दिल्ली में कितनी आएंगी बसें और कब तक पूरी होगी योजना, इन्ही सब मुद्दों पर वीके शुक्ला ने परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश।
दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाना है, इसे लेकर क्या-क्या कार्य किए जा रहे हैं?
- हमारा लक्ष्य दिल्ली को इलेक्ट्रिक वाहनों की राजधानी बनाने का है, इसे लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि दिल्ली में जितने भी प्रकार के वाहन चल रहे हैं उन सभी में अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की भागीदारी हो। हमने इलेक्ट्रिक वाहन नीति लागू की है। इसमें हम सभी राज्यों से अधिक सब्सिडी दे रहे हैं। हर वाहन के लिए सब्सिडी दी जा रही है। इलेक्ट्रिक वाहन के लिए रोड टैक्स, पार्किंग आदि माफ की गई है।
इन सब प्रयासों का कितना असर पड़ा है, दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रतिशत कितना बढ़ा है?
-असर पड़ा है। पहले से दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन बढ़े है अब सड़कों पर भी इलेक्ट्रिक वाहन दिख रहे हैं, दिल्ली में पहले के एक प्रतिशत की जगह चार प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन हो चुके हैं। अभी हम 4206 ई-आटो को भी परमिट जारी करने जा रहे हैं। इसमें से 33 प्रतिशत परमिट महिलाओं के लिए हैं। इसके लिए हमने ई-आटो मेला भी लगाया था। वहां काफी आटो चालक पहुंचे हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशनों की क्या स्थिति है?
-इलेक्ट्रिक कारों और दोपहिया के लिए चार्जिग के लिए कोई समस्या नहीं है। लोग अपने घरों पर इन्हें चार्ज कर रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली भर में अलग-अलग इलाकों में 80 चार्जिंग स्टेशन चल रहे हैं। डीटीसी और परिवहन विभरग ने अपनी संपत्तियों पर भी बनाने शुरू कर दिए हैं। इनके अतिरिक्त 100 चार्जिंग स्टेशन के लिए संयुक्त टेंडर पर काम चल रहा है। इसी व्यवस्था के तहत 100 और चार्जिंग स्टेशन बनेंगे।
दिल्ली सरकार अब केवल इलेक्ट्रिक बसें ही लाएगी, यह योजना क्या है?
- जी, यह बिल्कुल सही बात है, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का निर्देश है कि अब दिल्ली में प्रदूषण रहित बसों के बारे में अधिक विचार किया जाए। उनके निर्देश के अनुसार हमने लक्ष्य तैयार किया है कि भविष्य में सीएनजी बस के लिए टेंडर जारी नहीं किए जाएंगे। अभी सीएनजी की जितनी बसों को लाए जाने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, उसे पूरा किया जाएगा। इसके बाद कोई भी सीएनजी बस के लिए टेंडर नहीं होंगे। इसके लिए हमने कैबिनेट नोट तैयार किया है, जिसमें वर्तमान डिपो को इलेक्ट्रिक बसों के डिपो बनाया जाना से लेकर सभी मुद्दे शामिल हैं।
अभी कितनी इलेक्ट्रिक बसों को लेकर योजना बनाई जा रही है?
-हमारी योजना 3500 इलेक्ट्रिक बसों को लाए जाने की है। इनमें से एक साल में दो हजार इलेक्ट्रिक बसों को जमीन पर उतार देने का लक्ष्य है। कुल सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों की बात करेंगे तो अभी डीटीसी के बेड़े में 300 इलेक्ट्रिक बसें शामिल होने जा रही हैं।इनके लिए कंपनी फाइनल हो चुकी है। इसके अलावा क्लस्टर में 160 सीएनजी बसों के लिए कंपनी निर्धारित हो चुकी है। इसके अलावा डीटीसी के तहत सीएनजी की 190 बसों के लिए भी कार्य पूरा हो चुका है। इसके लिए अब केवल कैबिनेट से स्वीकृति ली जानी है। इसके साथ ही डीटीसी बोर्ड ने 1200 ई-बसों के लिए मंजूरी दे दी है। इनके लिए कैबिनेट नोट तैयार कर लिया गया है, जल्द ही इसे कैबिनेट में लाकर मंजूरी दी जाएगी। इन बसों के लिए डिपो तैयार किए जा रहे हैं। इन बसों के रूट छोटे होंगे। इन बसों को क्लस्टर सेवा के तहत लाया जाएगा।
डीटीसी के अंतर्गत 330 इलेक्ट्रिक बसें अक्टूबर-नवंबर से आनी शुरू होनी थीं, ये बसें कब तक आ रही हैं?
- कोरोना को लेकर सभी मामलों में असर पड़ा है, डीटीसी के तहत जो बसें आनी हैं, ये अब जनवरी से आनी शुरू हो जाएंगी।
परिवहन विभाग की सेवाओं को फेसलेस किया गया है। उसका जनता को कितना लाभ मिल रहा है?
-जनता को लाभ ही लाभ है। लोग घर बैठे अपने काम करा रहे हैं। उन्हें परिवहन विभाग के कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं। समय बचा है, लोगों का आने जाने का खर्च बच रहा है। सबसे बड़ी बात है कि उन्हें किसी तरह के दलाल को कोई पैसा नहीं देना पड़ रहा है। 24 घंटे में दिन-रात में जब भी उनके पास समय है, लोग आवेदन कर रहे हैं। लोग लर्निंग लाइसेंस भी घर बैठे बड़ी संख्या में बनवा रहे हैं।