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डिप्रेशन और तनाव को दूर करने में मददगार हैं 5 यौगिक आदतें, 1 मिनट के ध्यान से बदल जाएगी आपकी जिंदगी

Depression Stress News नामी लेखक राजीव तुली का कहना है कि पतंजलि का योग सूत्र मानव जीवन की मनोवैज्ञानिक पीड़ाओं के कारणों पर गहन शोध करने के बाद उन्हें दूर करने के उपाय भी सुझाता है।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 10:14 AM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 10:40 AM (IST)
डिप्रेशन और तनाव को दूर करने में मददगार हैं 5 यौगिक आदतें, 1 मिनट के ध्यान से बदल जाएगी आपकी जिंदगी
डिप्रेशन और तनाव को दूर करने में मददगार हैं 5 यौगिक आदतें,1 मिनट के ध्यान से बदल जाएगी आपकी जिंदगी

नई दिल्ली [राजीव तुली]। पतंजलि का योग सूत्र जीवन के उद्देश्य पर आधारित पुस्तक है। इस उद्देश्य को कैसे हासिल किया जाए? और लक्ष्य तक कैसे पहुंचा जाए? इसकी व्याख्या पुस्तक में की गई है। भारतीय परंपराओं पर आधारित उत्कृष्ट पुस्तकों में यह एक है। इस पुस्तक की विषय वस्तु योग, उसका उद्देश्य और इसके फायदे हैं। व्यापक तौर पर यह पुस्तक जीवन के उद्देश्य, उसे हासिल करने के तरीके और इस दौरान आने वाली बाधाओं से पार पाने के रास्तों के बारे में बताता है। इस स्तर पर पहुंचने के लिए कुछ विशेष और निश्चित कायदे-कानून हैं। ये कायदे-कानून जीवन संबंधी हैं और प्राकृतिक भी हैं।

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मजेदार यह है कि पतंजलि का योग सूत्र मानव जीवन की मनोवैज्ञानिक परेशानियों के कारणों पर गहन शोध करने के बाद उन्हें दूर करने के उपाय सुझाता है। इस आडंबर रहित पुस्तक का कोई मुकाबला नहीं है। इसे मनोविज्ञान की जननी भी कहा जा सकता है। प्रचाीन भारत के संत ने इस पुस्तक की शोध आधारित रचना इतने साधारण और बेहतरीन तरीके से की है कि इसे मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और धर्मनिरपेक्षता संबंधी मानव जीवन की समस्याओं व परेशानियों के कारणों व उनके निदान के पाठ्यपुस्तक की संज्ञा दी जा सकती है।

डिप्रेशन यानी अवसाद क्या है

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मुताबिक अवसाद, निराशा की एक ऐसी अवस्था है जो लंबे तक लोगों को परेशान रखता है। इस दौरान लोगों का किसी काम में मन नहीं लगता और मन भी उदास रहता है। इस बारे में योग सूत्र की मान्यता क्लेश की अवधारणा पर आधारित है। क्लेश उन मुख्य कारकों में है, जिसकी वजह से दिमाग और शरीर के साथ ही भावनात्मक और बौद्धिक स्तर पर मन:स्थिति प्रभावित होती है। इसलिए तब तक कोई व्यक्ति अपने स्व की पहचान नहीं कर सकता जब तक कि वह क्लेश को खत्म ना कर ले।

इस पीड़ा का पहला कारण अनभिज्ञता है। हमारा दिमाग दुनिया में सबसे ज्यादा अस्थिर रहता है। यह एक नदी की तरह है, जिसमें विचार आता है और फिर पानी की तरह बह जाता है। दिमाग की मन:स्थिति और उसमें इस प्रकार की अस्थिरता से हमारा संबद्ध होना मनुष्य जीवन की एक सामान्य प्रकृति है। हम जब भी किसी सोच विशेष से खुद को संबद्ध करते हैं तो उस सोच से हमें लगाव हो जाता है और फिर वही सोच हमारी आसक्ति का कारण बनती है। लगाव से जुड़ी गतिविधियां ही दुख का कारण बनती हैं।

कर्ता नहीं, प्रेक्षक बनिए

इसके लिए योग सूत्र में बताया गया है कि व्यक्ति को सोच और गतिविधि की दुनिया में क्या हो रहा है, उसके बारे में अवलोकन करते रहना चाहिए। इसका आसान तरीका है कि आप लगाव वाली गतिविधि से पीछे हटने के लिए प्रेक्षक की भूमिका में आ जाएं ना कि कर्ता की भूमिका में रहें। यानी आप इन गतिविधयों का गौर से अवलोकन करते रहें।

जो गतिविधि हो रही हैं उनके लिए आप एक प्रेक्षक बनें, ना कि यह मानकर चलें कि वह आप ही कर रहे हैं। इससे आप अपनी किसी गतिविधि के उम्मीद के अनुरूप परिणाम पाने की चिंता और तनाव से मुक्त हो जाएंगे। वैसे भी यह किसी के हाथों में नहीं होता है।

एक मिनट का ध्यान

यह सबसे सरलतम आदतों में शुमार है। आपका दिमाग बगैर रुकावट के विचारों में बहता रहता है। औसत तौर पर हम एक दिन में हमारे मन में 60,000 विचार आते हैं और मजे की बात यह है कि इनमें से 90 प्रतिशत की पुनरावृत्ति होती है।

इस पैटर्न को रोकने के लिए आपको चक्रीय सोच की प्रक्रिया को तोड़ना होगा

जब भी आप कोई काम आरंभ करते हैं, तो आपको एक मिनट का ध्यान करना चाहिए। ध्यान से आपका दिमाग स्थिर होता है, आप तनावरहित महसूस करते हैं और यह आपको शांतचित्त रखता है। एक कुर्सी पर बैठिए, अपनी रीढ़ को सीधी रखें और आंखे बंद कर लें। यह ध्यान का श्रेष्ठ तरीका है। इसके बाद आप सांस को अंदर और बाहर करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें। इससे आप अपने दिन की शुरुआत बेहतर तरीके से कर पाएंगे। आप योजना बना सकते हैं, आराम कर सकते हैं और बेहद दक्ष व शांतचित्त हो सकते हैं।

दिमाग के चक्रीय पैटर्न पर नियंत्रण

योग सूत्र के अनुसार योग दिमाग के चक्रीय पैटर्न को रोकता है। योग सूत्र बताता है कि दिमाग के पांच चक्रीय पैटर्न है। ज्ञान, गलत ज्ञान, कल्पना, नींद और याददाश्त। हमार दिमाग इन्हीं पांच के ईदगिर्द रहता है ओर योग हमें दिमाग के इन पांच प्रकारों (चित्त, वृत्ति और निरोध पर नियंत्रण में मदद करता है। दिमाग के इन पांचों को सिर्फ नजरअंदाज कर ही आप दिमाग पर विजय हासिल कर सकते हैं क्योंकि यही सभी प्रकार की मनोवैज्ञानिक पीड़ाओं की जड़ है। आप दिमाग के पैटर्न को समझकर और नियंत्रण करके ही उस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

उच्च आदर्शों पर ध्यान केंद्रित करें

दिमाग की शक्ति और ऊर्जा को दिशा देने के लिए अपनी सोच और अपने होने की वर्तमान अवस्था से ऊपर की सोच व अवस्था विकसित करने पर ध्यान देना अनिवार्य है। यह सोच उच्च और आदर्श हो सकती है, गतिविधि या लक्ष्य हो सकते हैं। जब तक कि आप नयी ऊर्जा और दिमाग की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, तब तक आप दिमाग के चक्रीय पैटर्न को नहीं तोड़ सकते हैं।

यौगिक आहार

योगी अपना जीवन जीने के लिए खाना खाते हैं ना कि खाने के लिए जीवन जीते हैं। दिमाग और शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य रखने और ऊर्जा का स्तर बढ़ाने में आहार महत्वपूर्ण निभाते हैं। यह मूड में बार बार होने वाले बदलाव की भी रक्षा करते हैं। यौगिक आहार प्राथमिक तौर पर प्लांट-बेस्ड आहार होते हैं। यानी पौधों के स्रोत से प्राप्त आहार होते हैं। योगिक आहार नैसर्गिक और अप्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ पर जोर देता है, जिसमें कैफीन, मदिरा, और परिष्कृत चीनी जैसे उत्तेजक खाद्य पदार्थों का कोई स्थान नहीं होता है। यौगिक आहार से आरोग्यकर, संतुलन और आंतरिक शांति को बढ़ावा मिलता है।

(लेखक राजीव तुली एक स्वतंत्र स्तंभकार हैं और लेख में यह उनके निजी विचार हैं।


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