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संक्रमण दर दो सप्ताह तक रहे पांच फीसद तभी काबू में माना जाएगा कोरोनाः राजेश मल्होत्रा

एम्स ट्रॉमा सेंटर में इन दिनों कोरोना अस्पताल में तब्दील है। कोरोना की मौजूदा स्थिति इलाज की चुनौतियां और कोरोना से बचाव के उपायों पर एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉक्टर राजेश मल्होत्रा से संवाददाता रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 08:54 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 08:54 AM (IST)
संक्रमण दर दो सप्ताह तक रहे पांच फीसद तभी काबू में माना जाएगा कोरोनाः राजेश मल्होत्रा
एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉक्टर राजेश मल्होत्रा: जागरण

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले कम होने लगे हैं। इसलिए यह चर्चा शुरू हो गई है कि दिल्ली में दूसरी लहर आकर खत्म हो गई। एम्स ट्रॉमा सेंटर में इन दिनों कोरोना अस्पताल में तब्दील है। कोरोना की मौजूदा स्थिति, इलाज की चुनौतियां और कोरोना से बचाव के उपायों पर एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉक्टर राजेश मल्होत्रा से संवाददाता रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:

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एम्स ट्रॉमा सेंटर लंबे समय से कोरोना के इलाज में जुटा हुआ है, अब तक का अनुभव कैसा रहा है?

जून में जब मामले अधिक आ रहे थे, तब अस्पताल में एक दिन में 225 मरीज भर्ती थे। फिर मरीजों की संख्या घटने लगी और आंकड़ा 125 तक आ गया। बाजार व मेट्रो खुलने के बाद दिल्ली में मरीज दोबारा बढ़ गए। इसका असर अस्पतालों में भी दिखा। तीन-चार सप्ताह से मरीजों की संख्या 226 तक पहुंच गई, लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से मरीजों की संख्या में थोड़ी कमी आ रही है। फिर भी अभी करीब 210 मरीज भर्ती हैं। आवागमन बढ़ने पर एनसीआर के शहरों, उत्तर प्रदेश के दूर के शहरों व बिहार से भी मरीज पहुंच रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि अभी गंभीर मरीज अधिक पहुंच रहे हैं। जिन्हें बहुत ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। पहले यह स्थिति नहीं थी।

गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ने का क्या कारण हो सकता है?

इसका एक कारण यह है कि मरीज देर से इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण फेफड़े को जितना नुकसान होगा मरीज को उतनी ही ऑक्सीजन की जरूरत होगी। बाहर से काफी ऐसे मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जिन्हें अपने शहर के अस्पताल में स्टेरॉयड, रेमडेसिवीर सहित काफी दवाएं शुरुआत में ही दी जा चुकी होती हैं। आइसीयू में पहुंचने पर इलाज के लिए ज्यादा विकल्प बचा नहीं होता। ऐसे मरीजों का इलाज बेहद चुनौतीपूर्ण होता है और कोशिश होती है कि मरीज को हाई फ्लो ऑक्सीजन देकर बचाया जाए। पहले के मुकाबले ऐसे मरीजों की संख्या दोगुनी है जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। आइसीयू में वेंटिलेटर पर पहुंचने वाले मरीज ठीक भी हो रहे हैं, लेकिन मृत्यु दर अधिक है।

दिल्ली में दूसरी लहर आने के बाद संक्रमण ढलान पर होने की बात कही जा रही है, आपको क्या लग रहा है कैसी स्थिति रहने वाली है?

दिल्ली सहित देश भर में कंटेनमेंट जोन बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। इसके बावजूद पिछले कुछ दिनों से नए मामले ज्यादा नहीं बढ़े हैं। इसका मतलब यह हुआ कि संक्रमण बढ़ने की रफ्तार कम हुई है, जबकि जांच भी अधिक हो रही है। यदि सीरो सर्वे में करीब 35 फीसद लोगों में एंटीबॉडी पाई जाती है तो इसका मतलब यह है कि एक बड़ी आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है। यदि सब कुछ खुलने और अधिक जांच के बावजूद मामले कम होने लगे हैं, तो इसका मतलब है कि दिल्ली में संक्रमण के चरम की अवधि निकल चुकी है। लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि लगातार दो सप्ताह तक संक्रमण दर पांच फीसद पर बरकरार रहे तब माना जाएगा कि स्थिति नियंत्रण में है। अभी संक्रमण दर छह से सात फीसद के आसपास है। यदि लोग मास्क लगाकर रखें और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें तो मामले कम हो जाएंगे।

यदि गंभीर मरीज अधिक पहुंच रहे हैं तो ट्रॉमा सेंटर में किस तरह की व्यवस्था की गई है?

ट्रॉमा सेंटर में कोरोना के इलाज के लिए 265 बेड की व्यवस्था है। एक वार्ड को छोड़कर अन्य वार्डो में सभी बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा है। इस तरह करीब 90 फीसद बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है। जिस वार्ड में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन नहीं है, वहां सिलेंडर की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा ट्रॉमा सेंटर में बने बर्न व प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक को बैकअप के रूप में तैयार किया गया है। इसलिए समस्या बेड की नहीं है। समस्या यह है कि गंभीर मरीजों के बढ़ने पर विशेषज्ञ डॉक्टरों व पैरामेडिकल कर्मचारियों की कमी होने लगती है।

सर्दी का मौसम भी आने वाला है, तब प्रदूषण बढ़ने की भी आशंका है, ऐसे में क्या कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं?

कोरोना का संक्रमण सर्दी के मौसम में शुरू हुआ था। सर्दी के मौसम में फ्लू के मामले अधिक देखे जाते हैं। प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियां भी बढ़ जाती हैं। इस वजह से इस बात की चिंता है कि सर्दी में कोरोना का संक्रमण बढ़ सकता है।

लोगों को कोरोना से बचाव के लिए क्या करना चाहिए?

लोग थोड़े लापरवाह हो गए हैं। रेहड़ी लगाने वाले लोग ठीक से मास्क नहीं पहनते। कर्मचारी दफ्तरों में एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। यदि दफ्तर के दरवाजे व खिड़कियां बंद हैं, तो आधे घंटे में इतने वायरस फैल सकते हैं कि उससे संक्रमण हो सकता है। इसलिए नियमों के पालन में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। लोग परिस्थिति समझ नहीं रहे हैं और ठीक से मास्क लगाने से परहेज कर रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि मास्क नहीं पहनने वालों में युवा अधिक शामिल हैं। जब तक टीका नहीं आ जाता तब तक मास्क लगाना, शरीरिक दूरी के नियम का पालन व थोड़े समय के अंतराल में हाथ धोना जरूरी है। बुजुर्ग, बच्चे सहित उन लोगों को भी बचाकर रखना है जिन्हें अभी तक संक्रमण नहीं हुआ है।

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