Delhi Violence: किसान के नाम पर उपद्रवियों ने पुलिस में तैनात किसान के बेटों को पीटा, नहीं आई रहम
उपद्रवियों के हमले में पहाड़गंज के एसीपी ओपी लेखवाल को काफी चोटें आयी हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सुबह पांच बजे से ही उनकी ड्यूटी आइटीओ चौराहे पर थी। साकेत थाने के एसएचओ अनिल कुमार मलिक पर उपद्रवियों ने ग्रील की राड लाठी और पत्थर से हमला कर दिया था।
नई दिल्ली [संतोष शर्मा]। गणंतत्र दिवस के दिन किसान के नाम पर दिल्ली में घंटो उत्पात मचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने वाले किसी भी सूरत में किसान नहीं हो सकते। क्योंकि किसान अन्नदाता होता है। वह लोगों का पेट भर उन्हें जीवन प्रदान करता है। भारत के किसान सभ्य और सुशील हैं। वह हमले की सोच भी नहीं सकते। यह कहना है ट्रैक्टर परेड के दौरान उपद्रवियों के हमले में घायल हुए दिल्ली पुलिस के अधिकारी व कर्मियों की।
दरअसल ट्रैक्टर परेड के दौरान किसान के नाम पर उपद्रवियों ने पुलिस में तैनात किसान के बेटों को ही पीटा था। जबकि पुलिसकर्मियों का यह भरक प्रयास था कि उनकी वजह से कोई भी बेगुनाह घायल ना हो। हमले में घायल ज्यादातर पुलिसकरर्मी उन्हीं राज्यों से आते हैं जिस राज्यों के किसान कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं और इसे वापस करने की मांग को लेकर उन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड निकालने का आह्वान किया था। लेकिन परेड में शामिल उपद्रवियों ने भारी हिंसा मचाई थी।
उपद्रवियों के हमले में पहाड़गंज के एसीपी ओपी लेखवाल को काफी चोटें आयी हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सुबह पांच बजे से ही उनकी ड्यूटी आइटीओ चौराहे पर थी। ओपी लेखवाल ने बताया कि फिरोज शाह रोड से गणतंत्र दिवस परडे की झाकियां गुजर ही रही थी कि भारी संख्या में किसान ट्रैक्टर लेकर वहां आ गए थे। वे सभी नई दिल्ली की ओर जाने की फिराक में थे। उन्हें रोकने के लिए वहां पुलिस की भारी तैनाती की गई थी। वे सबसे आगे थे।
इसी बीच दोपहर में लोहे की राड से लैस उपद्रवियों में पुलिसकर्मियों पर हमला करना शुरू कर दिया। इसमें उनके हाथ की ऊंगली टूट गई और हथेली का मांस फट गया। बावजूद इसके वे ड्यूटी पर तैनात रहे और मामला शांत होने पर रात 10 वे इलाज के लिए ट्रामा सेंटर में भर्ती हुए। मूल रूप से हरियाणा हिसार निवासी पुलिस अधिकारी का परिवार किसानी करता है। उन्होंने बताया कि पुलिस पर हमला करने वाले किसान हो ही नहीं सकते।
साकेत थाने के एसएचओ अनिल कुमार मलिक की ड्यूटी भी उस दिन आइटीओ चौराहे पर थी। इसी दौरान उपद्रवियों ने ग्रील की राड, लाठी और पत्थर से उनपर अचानक हमला कर दिया था। इस हमले में उनके हाथ और पैर में काफी चोटें आईं। बाद में उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अनिल मलिक मूल रूप से हरियाणा सोनीपत के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि खुद को किसान परिवार का बता उन्होंने उपद्रवियों को समझाने की काफी कोशिश की। लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और जमकर उत्पात मचाया। आइटीओ पर तैनात तीसरा बटालियन के नाहर सिंह मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू जिले के निवासी हैं। उन्हें भी हमले में गंभीर चोटें आइ हैं। भीड़ को रोकने के प्रयास में दोपहर करीब एक बजे उपद्रवियों ने उनपर लोहे की राड से हमला कर दिया था। इसमें उनके बाएं हाथ की कोहनी का मांस फट गया। चोट के बाद भी वे ड्यूटी करते रहे और मामला शांत होने पर आरएमएल अस्पताल में अपना इलाज कराया।
किसान परिवार के ताल्लुक रखने वाले पुलिसकर्मी ने बताया कि पुलिस और भारत की पहचान लाल किला पर हमला करने वाले कभी भी किसान नहीं हो सकते। अप्सरा बोर्डर पर उपद्रवियों के हमले में घायल हेड कांस्टेबल वीर पाल ने भी इस घटना को देश विरोधी बताया। शाहदार जिला में तैनात पुलिसकर्मी के भाई मेरठ में किसानी करते हैं। उनका कहना है कि कोई भी सच्चा किसान गणतंत्र दिवस के दिन इसप्रकार की शर्मनाक हरकत नहीं कर सकता।
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