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Delhi Politics: कुर्सी के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार, नहीं मिल रहे अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के सुर-ताल

प्रदेश कांग्रेस में आजकल अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के सुर-ताल भी अलग-अलग हो गए हैं। अध्यक्ष अनिल चौधरी अलग राग अलाप रहे हैं जबकि उपाध्यक्ष अभिषेक दत्त अलग राग। अभिषेक शुरू से ही माकन के करीबी रहे हैं। चौधरी और माकन में 36 का आंकड़ा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 04:01 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 04:01 PM (IST)
Delhi Politics: कुर्सी के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार, नहीं मिल रहे अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के सुर-ताल
भाजपा और कांग्रेस के चुनाव चिन्ह की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कुर्सी की दौड़ में शामिल दिल्ली भाजपा के नेताओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है। लगभग साढ़े तीन माह से कुछ नेता कुर्सी हासिल करने में लगे हुए हैं। जून में पार्टी में हुए बदलाव के बावजूद नई टीम नहीं बन सकी है। इस दौड़ में एक ओर कई पुराने नेता शामिल हैं तो दूसरी ओर नए सूरमा भी दावेदारी पेश कर रहे हैं। ये सभी अपना काम गिनाने के साथ आकाओं के दरबार की परिक्रमा भी कर रहे हैं, लेकिन पदाधिकारियों की घोषणा में देरी हो रही है। मंडल व जिला अध्यक्षों की घोषणा के बाद श्रद्ध पक्ष का हवाला देकर सूची जारी नहीं की गई।

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अब श्रद्ध पक्ष भी खत्म हो गया, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। कुछ इस बात से भी सशंकित हैं कि कहीं देरी से समीकरण उनके खिलाफ न चला जाए, इसलिए वह हर दांवपेच आजमाने में लगे हुए हैं।

सेवा से बेहतरी की उम्मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर भाजपा द्वारा सेवा सप्ताह अभियान चलाया गया। बड़े नेताओं के साथ ही छोटे नेता और कार्यकर्ता भी इसमें योगदान देते दिखे। यह अभियान जनसंघ के संस्थापक पंडित दीन दयाल की जयंती के अवसर पर भी चलेगा और गांधी जयंती पर इसका समापन होगा। इसकी तैयारी भी नेताओं ने शुरू कर दी है। उन्हें उम्मीद है कि इस सेवा के बदले उनका राजनीतिक सफर बेहतर होगा।

दरअसल, मंडल से लेकर प्रदेश तक पदाधिकारियों की नियुक्ति होनी है। इसकी प्रक्रिया भी चल रही है। ऐसे समय में यह अभियान इन नेताओं के लिए अपनी मेहनत व क्षेत्र में पकड़ दिखाने का एक अवसर है। इसे कोई भी हाथ से जाने नहीं देना चाहता है, इसलिए कोरोना संक्रमण की परवाह किए बगैर नेता इस काम में जुटे हुए हैं। उनकी कोशिश अपने क्षेत्र में बड़े नेताओं को बुलाने की है जिससे कि वह उन्हें अपनी क्षमता दिखा सकें।

नहीं मिल रहे अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के सुर-ताल

प्रदेश कांग्रेस में आजकल अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के सुर-ताल भी अलग-अलग हो गए हैं। अध्यक्ष अनिल चौधरी अलग राग अलाप रहे हैं, जबकि उपाध्यक्ष अभिषेक दत्त अलग राग। दरअसल, झुग्गियों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जो चार हफ्ते की रोक लगाई है, उसका श्रेय लेने के लिए पार्टी में ही होड़ मची हुई है। चौधरी उसका श्रेय स्वयं लेना चाहते हैं। अपने ट्वीट और वक्तव्य में भी वह अपना व वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद का ही उल्लेख करते हैं। वहीं अभिषेक दत्त अपने ट्वीट में इसका श्रेय पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन को दे रहे हैं।

समस्या यह है कि चौधरी और माकन में 36 का आंकड़ा है। अभिषेक शुरू से ही माकन के करीबी रहे हैं। उनका विधानसभा क्षेत्र कस्तूरबा नगर भी उसी संसदीय क्षेत्र में पड़ता है जहां से माकन चुनाव लड़ चुके हैं। अब आलम यह है कि अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की इस खींचातानी को ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता चटकारे लेते हुए बयां कर रहे हैं।

.. जब रातोंरात रद हुआ धरना देने का कार्यक्रम

नगर निगम कर्मियों को वेतन दिलाने और कोरोना काल में ड्यूटी देते हुए काल का ग्रास बने सफाई कर्मियों को मुआवजा दिलाने के लिए प्रदेश कांग्रेस आजकल विभिन्न जोन कार्यालयों पर धरना दे रही है। लेकिन, इस धरने पर पुलिस के बाद जिला अध्यक्षों की भी वक्र दृष्टि पड़ गई है। दरअसल, इन जिला अध्यक्षों का आरोप है कि धरने के लिए तंबू, टेबल वे मंगवाते हैं, कार्यकर्ताओं की भीड़ भी जुटाते हैं जबकि प्रदेश उपाध्यक्ष जयकिशन कुछ यूनियन नेताओं के साथ पहुंचकर सारा श्रेय खुद ले जाते हैं।

कहीं जिला अध्यक्ष को मंच से भाषण भी नहीं दिलवाया जाता तो कहीं मीडिया को जारी विज्ञप्ति में उसका नाम तक उड़ा दिया जाता है। इसी के चलते नजफगढ़ जोन कार्यालय का धरना रातोंरात रद करना पड़ गया। कारण तो यह बताया गया कि पुलिस से अनुमति नहीं मिल पाई, लेकिन पर्दे के पीछे का सच जिला अध्यक्षों की अनदेखी ही रहा।

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