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Delhi Politics: कोरोना ने फेरा 'नेता जी' के उम्मीदों पर पानी, प्रभारी संग बैठक का इंतजार

Delhi MCD Politics News कहा तो यह जाता है कि डर के आगे जीत है। लेकिन कांग्रेसियों के लिए इन दिनों जिम्मेदारी के आगे कोरोना हो गया है। कोविड-19 संक्रमण का भय उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रहा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 03:50 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 03:50 PM (IST)
Delhi Politics: कोरोना ने फेरा 'नेता जी' के उम्मीदों पर पानी, प्रभारी संग बैठक का इंतजार
प्रदूषण के खिलाफ चल रही जंग में दिल्ली सरकार जी-जान से लगी हुई है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना ने जनता का कई तरह से नुकसान किया है। तमाम लोग जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं। हजारों लोगों का रोजगार चौपट हो गया है। अनेक लोगों की नौकरी छूट गई है। इन सब के बीच दिल्ली में वे लोग भी दुखी हैं जो नेता बनने का सपना देख रहे थे, लेकिन कोरोना ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। दरअसल, गत फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली के सात निगम पार्षद विधायक बन गए थे। उस समय से ये सीटें खाली हैं। चुनाव के बाद इन इलाकों के कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि जल्द चुनाव होंगे और उन्हें नेता बनने यानी निगम पार्षद बनने का मौका मिलेगा।

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मगर मार्च के अंत से कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। उसके बाद से हालात ऐसे बने हुए हैं कि पूरा सिस्टम ही बिगड़ गया है। हालांकि चुनाव लड़ने वाले कार्यकर्ताओं ने कोरोना काल में पीड़ित लोगों की पूरी मदद की है। वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें इसका फल उनकी पार्टियों से टिकट के रूप में जरूर मिलेगा।

जिम्मेदारी के आगे कोरोना है

कहा तो यह जाता है कि डर के आगे जीत है। लेकिन, कांग्रेसियों के लिए इन दिनों जिम्मेदारी के आगे कोरोना हो गया है। कोविड-19 संक्रमण का भय उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रहा। अब बिहार चुनाव को ही ले लीजिए। चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है, दिल्ली के नेताओं को भी प्रचार के लिए बिहार जाने को कहा जा रहा है। लेकिन, कोरोना का भय ऐसा है कि सभी पीछे हट रहे हैं। अधिकतर नेताओं का मानना है कि प्रचार के चक्कर में अगर संक्रमण हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इसीलिए बहानेबाजी करके सभी बिहार जाने से बचना चाह रहे हैं। हालांकि दिल्ली से बिहार की दूरी भी एक कारण है। वहीं हरियाणा पास है। प्रदेश उपाध्यक्ष जयकिशन बड़ौत सीट के उपचुनाव में अपनी जिम्मेदारी निभाने हरियाणा पहुंच गए हैं। कहते हैं, कोरोना संक्रमण का डर तो है ही, लेकिन पार्टी की जिम्मेदारी पूरी करना भी जरूरी है।

प्रभारी संग बैठक का इंतजार, एजेंडा तैयार

दिल्ली कांग्रेस के पदाधिकारी इन दिनों बिहार चुनाव और दिवाली के निपटने का इंतजार कर रहे हैं। वे पार्टी के दिल्ली प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के साथ भावी रणनीति पर विस्तार से चर्चा करना चाह रहे हैं। बेशक नगर निगम चुनावों में अभी करीब डेढ़ साल का समय है, लेकिन इन नेताओं को लगता है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा की आक्रामक रणनीति को देखते हुए उनको भी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इसके अलावा कई उपाध्यक्षों एवं जिलाध्यक्षों को वो नीति भी समझ नहीं आ रही है, जिस पर फिलहाल पार्टी चल रही है। इनका कहना है कि महज धरना-प्रदर्शन करने और आप व भाजपा को कोसने से काम नहीं चल पाएगा। जनता का भरोसा जीतना भी जरूरी है। इसके लिए सभी ने कुछ प्वाइंट्स का एजेंडा भी तैयार कर लिया है। अब प्रभारी महोदय दिल्ली आएं तो इस एजेंडे पर चर्चा हो।

आप ने उतारे अपने लड़ाके

प्रदूषण के खिलाफ चल रही जंग में दिल्ली सरकार जी-जान से लगी हुई है। सरकार अपने स्तर पर प्रदूषण को रोकने के लिए सख्ती से काम कर रही है। प्रदूषण का उल्लंघन मिलने पर पर्यावरण मंत्री इलाकों में दौरा कर रहे हैं और जिम्मेदार एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रहे हैं। सरकार के अन्य मंत्री भी प्रदूषण को लेकर भाजपा और केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी के तेज तर्रार नेता या यूं कहें कि लड़ाके भी प्रदूषण की इस जंग में कूद गए हैं। ये लड़ाके पड़ोसी राज्यों से आ रहे पराली के धुएं को लेकर वहां की सरकारों पर हमलावर हैं। यही नहीं, इनका यह भी कहना है कि इन राज्यों में चल रहे थर्मल प्लांटों की वजह से भी दिल्ली में प्रदूषण फैल रहा है। इन्हें बंद किया जाए।

सफाई कर्मियों की सुरक्षा का सवाल

बदरपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछले दिनों सेप्टिक टैंक की सफाई करने के दौरान दो लोगों की मौत हो गई। एक व्यक्ति का अस्पताल में इलाज चल रहा है। यह पहला मामला नहीं है। पहले भी दिल्ली में असुरक्षित तरीके से सफाई करते हुए कर्मचारियों की जान जा चुकी है। इस तरह की घटना बेहद शर्मनाक है, लेकिन सबसे गंभीर मामला इसे लेकर होने वाली राजनीति है। जब भी किसी की जान जाती है तो राजनीतिक पार्टियां इसे लेकर हो हल्ला मचाती हैं। एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराती हैं। बाद में किसी को भी इन सफाई कर्मचारियों की जान की परवाह नहीं रहती है। बदरपुर की घटना के बाद भाजपा आक्रामक तरीके से दिल्ली सरकार को घेर रही है। इस मुद्दे पर सियासत करने के बजाय ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है, जिससे कि किसी को इस तरह से जान न गंवाना पड़े।

रेलवे में बोनस को लेकर मचा घमासान

कोरोना संकट के बीच रेलवे में बोनस को लेकर घमासान मचा हुआ है। कर्मचारी संगठनों ने बोनस भुगतान नहीं होने पर रेल का पहिया जाम करने का एलान कर दिया है। रेल प्रशासन और कर्मचारी संगठनों के बीच खींचतान से यात्रियों की चिंता बढ़ गई है। दरअसल, कोरोना संक्रमण की वजह से नियमित ट्रेनों का परिचालन बंद है। विशेष ट्रेनों के सहारे उनका सफर पूरा हो रहा है।

त्योहारों को ध्यान में रखकर विशेष ट्रेनों की संख्या बढ़ाई गई है, जिससे कि लोग आसानी से सफर कर सकें। लोग ट्रेन चलाने की घोषणा होते ही सीटें आरक्षित करवा ले रहे हैं। इस बीच कर्मचारी संगठनों के तेवर से उन्हें अपनी यात्र स्थगित होने की चिंता सता रही है। उनका कहना है कि नवरात्र के दौरान इस तरह के टकराव को उचित नहीं कहा जा सकता है। रेल प्रशासन और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को बैठकर यात्रियों और देशहित में बोनस का विवाद सुलझाना चाहिए।

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