RSS IN JNU: देश-दुनिया के नामी संस्थानों में शुमार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ रहा संघ का दबदबा
RSS IN JNU वामपंथी विचारधारा के गढ़ रहे जेएनयू में अभी तक एक-दो छात्र ही संघ की सदस्यता लेते थे। पहली बार हुआ है जब बड़ी संख्या में जेएनयू छात्रों ने संघ के प्रशिक्षण वर्ग में भाग लिया है। प्रशिक्षण वर्ग 24 से 31 मार्च तक चला।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। वामपंथी विचारधारा के गढ़ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने सेंध लगानी शुरू कर दी है। यहां अब संघ की विचारधारा को मानने वाले छात्रों की संख्या बढ़ने लगी है। संघ के प्राथमिक प्रशिक्षण वर्ग (आइटीसी) में पहली बार 16 छात्रों ने भाग लिया है। इसमें एक मुस्लिम छात्र भी शामिल है। इसे संघ की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। यह दावा जेएनयू में एबीवीपी ईकाई के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने किया है।
जानकारी के मुताबिक वामपंथी विचारधारा के गढ़ रहे जेएनयू में अभी तक एक-दो छात्र ही संघ की सदस्यता लेते थे। ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में जेएनयू छात्रों ने संघ के प्रशिक्षण वर्ग में भाग लिया है। यह प्रशिक्षण वर्ग 24 से 31 मार्च तक आरके पुरम स्थित ललित महाजन स्कूल में चला। प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों में रविराज, विक्रम, कृष्णा झा, महेश्वरी, सुजीत शर्मा, विक्रम पालीवाल, अंकुश आनंद, गजेंद्र, आदेश पांडेय, ओमप्रकाश आदि शामिल हैं। इनके अलावा एक मुस्लिम छात्र फिरोज अहमद भी इसमें शामिल है। इसमें ज्यादातर छात्र एमफिल, पीएचडी, स्नातक और स्नातकोत्तर के हैं। फिरोज ने बताया कि गृह नगर गोरखपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के समय से उन्हें संघ के बारे में जानने की जिज्ञासा थी। इसके लिए वह कई बार संघ से जुड़े छात्रों से इस संगठन के बारे में जानकारी लेते थे। इसके बाद मित्र जयदीप गुप्ता की सलाह पर उन्होंने प्रशिक्षण वर्ग में जाकर संघ को जानने और समझने का निर्णय लिया। जेएनयू में उन्हें संघ के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का अवसर मिला।
मुस्लिम होने की वजह से पहले तो उन्हें लगा कि संघ के प्रशिक्षण वर्ग में उन्हें शामिल नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन प्रोफेसर मजहर आसिफ ने उनकी इस आशंका को दूर किया। इस सात दिवसीय प्रशिक्षण में बौद्धिक और शारीरिक रूप से काफी कुछ सीखने को मिला। वहीं, संघ के बारे में जाति, धर्म और संप्रदाय को लेकर जो बातें कही जाती हैं, वैसा कुछ भी नहीं देखने को मिला। वहां भाईचारे के भाव के साथ वर्ग के नियमों और दिनचर्या का पालन करते हुए देखा। फिरोज कहते हैं कि अब पीएचडी की पढ़ाई के बीच से समय निकालकर वह प्रथम वर्ष में जाने का प्रयास करेंगे।