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ढाई गुना बढ़ा था विदेशी बच्चे का दिल, भारत में हुई दुर्लभ सर्जरी से बची जान

पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ. मुथु जोथी ने बताया कि बच्चे के दिल में जन्म से बड़ा छेद था और बाएं वाल्व (मिट्रल वाल्व) में रिसाव हो रहा था। ढाई साल पहले वाल्व रिपेयर किया गया था।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 01:56 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 01:56 PM (IST)
ढाई गुना बढ़ा था विदेशी बच्चे का दिल, भारत में हुई दुर्लभ सर्जरी से बची जान
ढाई गुना बढ़ा था विदेशी बच्चे का दिल, भारत में हुई दुर्लभ सर्जरी से बची जान

नई दिल्ली, जेएनएन। हृदय की जन्मजात बीमारी से पीड़ित व दो वाल्व में खराबी के कारण म्यांमार के रहने वाले पांच वर्षीय बच्चे का दिल सामान्य से ढाई गुना बड़ा हो गया। इससे उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। हालांकि, अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी कर उसकी जान बचा ली है। अस्पताल ने इसे दुर्लभ सर्जरी बताया है।

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अस्पताल के पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ. मुथु जोथी ने बताया कि बच्चे के दिल में जन्म से बड़ा छेद था और बाएं वाल्व (मिट्रल वाल्व) में रिसाव हो रहा था। ढाई साल पहले वाल्व रिपेयर किया गया था। लेकिन, बाद में मिट्रल वाल्व में संक्रमण से उसकी तबीयत बिगड़ गई।

इस पर परिजन दोबारा उसे लेकर अपोलो अस्पताल पहुंचे। जांच में पता चला कि दिल के बाएं हिस्से में मिट्रल वाल्व के अलावा दाएं हिस्से में ट्राईकस्पिड वाल्व में भी रिसाव हो रहा है। इससे ब्लड बाएं वेंट्रिकल (मुख्य पम्पिंग चैम्बर) से बाएं एट्रियम में वापस आ रहा था। इससे फेफड़े पर दबाव बढ़ने से दिल का आकार सामान्य से ढाई गुना बढ़ चुका था।

सर्जरी के दौरान सबसे पहले हार्ट लंग मशीन से बच्चे के दिल को छोटा किया गया। इसके बाद बाईपास सर्जरी की गई। पहली बार ग्रोईन ब्लड वेसल्स से बाईपास सर्जरी की गई। इसके अलावा संक्रमित मिट्रल वाल्व की जगह कृत्रिम वाल्व लगाने के बाद दाएं वाल्व के रिसाव को मरम्मत करके रोका गया।

इस सर्जरी में आठ से 10 घंटे का समय लगा। सर्जरी के दुसरे दिन कई बार उसकी धड़कन प्रति मिनट 200 से 220 तक पहुंच गई। इस वजह से करीब 25 बार शॉक देना पड़ा पर अब वह स्वस्थ है। छह माह तक उसे दवाओं के सहारे रखना होगा।


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