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Kisan Andolan: राकेश टिकैत हों या फिर गुरनाम सिंह चढ़ूनी, दोनों लगातार बरगला रहे किसानों को

Rakesh Tikait And Gurnam Singh Chaduni कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच संयुक्त किसान मोर्चा धरने से पीछे हटने को तैयार नहीं है। आंदोलन का एक सच यह भी सामने आने लगा है कि प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों की अच्छाई को न समझकर अपने नेताओं के आदेश पर चल रहे हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 07:30 AM (IST)
Kisan Andolan: राकेश टिकैत हों या फिर गुरनाम सिंह चढ़ूनी, दोनों लगातार बरगला रहे किसानों को
गुरनाम सिंह चढ़ूनी और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार किसानों का गुमराह कर रहे हैं।

नई दिल्ली/गाजियाबाद/सोनीपत [सोनू राणा/संजय निधि/अवनीश मिश्र]। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों का धरना जारी है। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते खतरे और प्रभाव के बीच संयुक्त किसान मोर्चा धरना प्रदर्शन से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। धीरे-धीरे किसान आंदोलन का एक सच यह भी सामने आने लगा है कि प्रदर्शनकारी तीनों कृषि कानूनों की अच्छाई को न समझकर अपने नेताओं-आंकाओं के आदेश पर चल रहे हैं। खासकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के अलावा, भाकियू (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार किसानों का गुमराह कर रहे हैं। यह भी एक सच्चाई है कि दोनों ही नेता एक दूसरे को पसंद नहीं करते और आरोप-प्रत्यारोप तक लगा चुके हैं।

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सरकार हमारे आंदोलन को जबरन खत्म नहीं करवा सकती : गुरनाम सिंह

इस बीच कृषि कानूनों में सुधार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में चार माह बाद भाकियू (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम चढ़ूनी सोमवार को टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहुंचे। मंच पर आए गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि सरकार हमारे आंदोलन को जबरन खत्म नहीं करवा सकती। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार यह न सोचे कि किसानों को दबाव में घर भेज दिया जाएगा।

राकेश टिकैत भी कर चुके हैं एलान, लॉकडाउन में भी जारी रहेगा आंदोलन

यहां पर बता दें कि दिल्ली में लॉकडाउन लगने से पहले ही भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एलान कर दिया था कि लॉकडाउन लगने के बावजूद यूपी बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन नहीं थमेगा। दरअसल, राकेश टिकैत का किसानों पर प्रभाव है, ऐसे में उनके बयान असर करते हैं। यही वजह है कि किसान न तो तीनों कृषि कानूनों की अच्छाई समझ पा रहे हैं और न ही इस पर हो रही राजनीति की गहराई तक पहुंच सके हैं। 

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आंदोलनकारियों के बीच कोई कोरोना वायरस नहीं

इस मंच से चढ़ूनी ने कोरोना संक्रमण को लेकर भी अजीबो-गरीब बात कही। तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के कारण दिल्ली में एक सप्ताह का पूर्ण लॉकडाउन लग चुका है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली सीमा के अंदर ही चल रहे इस आंदोलन के मंच से गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि आंदोलनकारियों के बीच कोरोना नहीं है। यह आंदोलन को खत्म करवाने का षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के बीच कोरोना संक्रमण का फैलाव होता तो काफी किसानों की मौत हो चुकी होती। किसान बीमार नहीं हैं।

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सरकार यदि हमें डराकर यहां से उठाएगी तो हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि यहां बेशक जलियांवाला बाग बना दो, लेकिन हमें घर नहीं भेज सकते। जब तक हम नहीं जीतेंगे, तब तक घर नहीं जाएंगे।दरअसल, गुरनाम चढ़ूनी टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहले 16 दिसंबर, 2020 को पहुंचे थे। तब यहां उनके साथ दु‌र्व्यवहार हुआ था। उनके मंच पर बोलने को लेकर पंजाब के किसानों ने आपत्ति जताई थी। गुरनाम चढ़ूनी इससे नाराज होकर स्टेज से उतर गए थे। बाद में अन्य किसान नेता उन्हें दोबारा मंच पर ले गए थे। इसके बाद उन्होंने कहा था कि मंच साझा है। अगर इस तरह का व्यवहार हुआ तो आंदोलन टूट जाएगा।

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वहीं, आंदोलन तो चलता रहा, गुरनाम चढ़ूनी भी बहादुरगढ़ में आंदोलनकारियों के बीच कई बार आए, लेकिन टीकरी बॉर्डर के मंच पर कभी नहीं चढ़े। चार माह बाद सोमवार को इस मंच पर फिर से पहुंचे गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि इन कृषि कानूनों के बनने से पहले भी किसान सुखी नहीं थे। कई किसानों ने आत्महत्या की है। देश में सभी संसाधन हैं, लेकिन उनका ठीक तरह से बंटवारा नहीं हुआ। इन संसाधनों पर पूंजीपतियों का कब्जा है। गरीबों की आय घटती जा रही है। पूंजीपतियों की आय बढ़ रही है।

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