Pandit Rajan Mishra: बात बात में हंसाने वाला यूं रुलाकर चला गया, राजन मिश्र के निधन पर बोले मशहूर कलाकार
पंडित राजन मिश्र जी का जाना भारतीय संगीत की अपूरणीय क्षति है।राजन मिश्र बनारस की शान थे। गायन में गंभीर थे। लेकिन बात-बात पर हंसा देने वाले थे। सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खां ने कहा कि संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
नई दिल्ली। बनारस घराने की मशहूर मिश्र बंधू की जोड़ी टूट गई। रविवार को राजन मिश्र का निधन हो गया। राजन मिश्र का जाना शास्त्रीय संगीत जगत के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। निधन की खबर सुनते ही दुनियाभर में मौजूद प्रशसंक शोक में डूब गए। प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी कहते हैं कि 40 साल से हम परिचित थे। उनके जैसा गायक आज तक नहीं देखा। अक्सर कार्यक्रमों के बहाने हम मिलते जुलते रहते थे। कई कार्यक्रमों में तो साथ प्रस्तुति दी। राजन मिश्र बनारस की शान थे। गायन में गंभीर थे। लेकिन बात-बात पर हंसा देने वाले थे।
प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने फेसबुक पर लिखा कि जैसे असाधारण कलाकार,वैसा ही उदार गुरु गरिमामय व्यक्तित्व! ऐसी मुस्कान, ऐसा बड़प्पन, ऐसा बनारसी अपनापन! चार दशकों की स्मृतियों की सुरीली धरोहर को अपने से कैसे अलग करूं। पंडित राजन मिश्र जी का जाना भारतीय संगीत की अपूरणीय क्षति है। मेरे बड़े भाई आज मुझसे बिछुड़ गए, शत शत नमन पंडित जी को।
शास्त्रीय संगीत गायिका विद्या शाह कहती हैं कि वो बहुत ही सहज व्यक्तित्व के थे। लंदन में एक विवि में वो छात्रों को पढ़ाने गए थे। छात्रों को यमन की एक बंदिश सीखा रहे थे। मैं भी वहीं छात्रों के बीच जाकर बैठ गई। वो बड़े सरल व सहज तरीके से छात्रों को संगीत की बारीकियां बता रहे थे। बकौल विद्या शाह लोदी रोड पर एक कार्यक्रम था। प्रस्तुति के बाद एक सज्जन राजन जी से बोले कि कुछ भजन आइटम हो जाए। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि माफ करिएगा, मैं आइटम नहीं सुनाता।
शास्त्रीय संगीत गायिका मीता पंडित बताती है कि कोरोना काल से ठीक पहले बनारस में एक कार्यक्रम था। जिसमें मैंने अष्टपदी गाया था। राजन मिश्र जी दर्शकदीर्घा में बैठे थे। कार्यक्रम समाप्त हुआ तो पता चला। मैं हैरान भी हुई और प्रसन्न भी की। उन्होंने गायन को सराहा और आशीर्वाद दिया।
वहीं, सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खां ने कहा कि संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। अफसोस है कि उनकी मौत वेंटिलेटर नहीं मिलने की वजह से हुई। अस्पताल में यदि वेंटिलेटर होता तो शायद उनको बचा लिया गया होता। हमारी सरकार को अस्पतालों का निरीक्षण करना चाहिए कि आखिर संसाधनों की कमी क्यों है।
राजन मिश्र को सन 2007 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। 1978 में श्रीलंका में अपना पहला संगीत कार्यक्रम दिया और इसके बाद उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्टि्रया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूएसएसआर, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश समेत दुनिया भर के कई देशों में प्रस्तुति दी।