ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रेलवे कर्मचारी खुद करते हैं असुरक्षित महसूस, जानें कैसे
कर्मचारियों का कहना है कि पर्याप्त वर्दी नहीं होने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। अधिकारियों के सामने कई बार मुद्दा उठने के बाद भी समस्या हल नहीं हुई है।
नई दिल्ली (संतोष कुमार सिंह)। अपने यात्रियों को सुरक्षित लक्ष्य तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सिग्नल एंड टेलीकम्युनिकेशन (एसएंडटी) के रेलवे कर्मचारी खुद असुरक्षित हैं। एक तो कर्मचारियों की कमी है ऊपर से उन्हें सुरक्षा उपकरण भी नहीं मिलते हैं। इस कारण वे जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं। गत मई में दो कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है।
सिग्नल ठीक करते हुए मई में पलवल स्टेशन और मुरादाबाद रेल मंडल में दो कर्मचारी ट्रेन की चपेट में आ गए थे। इन दुर्घटनाओं के बाद सभी रेल मंडलों को काम के दौरान सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी गई है। इसके लिए उत्तर रेलवे की ओर से जारी पत्र में कर्मचारियों की कमी और उन्हें मिलने वाले सुरक्षा उपकरणों की अनुपल्बधता का भी जिक्र किया गया है।
ट्रैक पर काम के दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कर्मचारी चमकने वाला जैकेट पहनता है, जिससे कि दूर से वह नजर आ जाए। नियमत: कर्मचारियों को दो साल में एक जैकेट उपलब्ध कराया जाता है। इसी तरह से तीन साल में एक बरसाती और प्रत्येक वर्ष एक जोड़ी जूते दिए जाते हैं, लेकिन इस नियम का उल्लंघन हो रहा है। दिल्ली मंडल में 1929 कर्मचारियों को जैकेट मिलना चाहिए था, लेकिन एक भी कर्मचारी को यह नहीं मिला है।
मुरादाबाद मंडल को छोड़ दें तो उत्तर रेलवे के अन्य मंडलों का भी यही हाल है। लखनऊ मंडल में भी कर्मचारियों को जैकेट नहीं मिला है। वहीं, फिरोजपुर व अंबाला में कुछ कर्मचारियों को ही जैकेट मिल सका है, जबकि किसी भी मंडल में अधिकारियों ने इन कर्मचारियों को जूते उपलब्ध कराना जरूरी नहीं समझा।
कर्मचारियों का कहना है कि पर्याप्त वर्दी नहीं होने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। अधिकारियों के सामने कई बार मुद्दा उठने के बाद भी समस्या हल नहीं हुई है। मुख्य सिग्नल इंजीनियर ने भी सभी रेल मंडल प्रबंधकों को पत्र लिखकर कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने को कहा है।
उत्तर रेलवे के कर्मचारी यूनियन के मंडल मंत्री इंद्रजीत सिंह का कहना है कि कर्मचारी प्रतिकूल परिस्थितियों में सामग्री के बगैर काम कर रहे हैं। ठेका कर्मियों से कराया जाने वाला काम भी इन कर्मचारियों से कराया जा रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए। वहीं उत्तर रेलवे के मुख्य प्रवक्ता नितिन चौधरी का कहना है कि रेल कर्मियों की सुरक्षा को लेकर रेल प्रशासन गंभीर है।