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लंबे समय से रीढ़ के दर्द से जूझते मरीजों के लिए आशा की किरण है रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी

दिल्‍ली के स्‍पाइन सर्जन डॉ सुदीप जैन ने बताया कि लंबे समय से रीढ़ के दर्द से जूझते मरीजों के लिए आशा की किरण है रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी। इससे पुराने दर्द और रीढ़ की कई तकलीफों में मिल जाती है राहत...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 06:05 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 08:47 AM (IST)
लंबे समय से रीढ़ के दर्द से जूझते मरीजों के लिए आशा की किरण है रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी
रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी से उपचार मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। व्यस्त जीवनशैली और एक्सरसाइज की कमी के चलते स्वास्थ्य को लेकर हम काफी हद तक लापरवाह हो चुके हैं। ऐसे में रीढ़ और मांसपेशियों से जुड़ी तकलीफों से दो-चार होने वाले मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। आज अधिकतर लोग ऑस्टियो अर्थराइटिस, रुमेटॉइड अर्थराइटिस, सर्वाइकल, स्पाइनल स्टेनोसिस से ग्रस्त हैं। इसके अलावा बढ़ती उम्र या चोट के कारण कार्टिलेज घिसने लग जाता है, जिससे जोड़ों में सूजन आ जाती है। यह अर्थराइटिस की शुरुआत होती है।

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ज्यादातर रीढ़ की हड्डी की तकलीफ जैसे-ऑस्टियो अर्थराइटिस, स्पाइनल स्टेनोसिस या पीठ की कोई गहरी चोट आदि फैसेट ज्वाइंट में दर्द का मुख्य कारण होती हैं। आमतौर पर इनके प्राथमिक उपचार में मरीज के दर्द के हिसाब से फिजियोथेरेपी, दर्द निवारक दवा या पारंपरिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि अब रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी जैसी अत्याधुनिक तकनीक की मदद से लंबे समय से हो रहे दर्द में राहत देने के लिए रीढ़ की हड्डी का उपचार संभव है।

इस तरह होती है सर्जरी: सर्जरी की इस नई तकनीक रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी में ना के बराबर चीरा लगाया जाता है और सर्जिकल प्रक्रिया ऐसी होती है कि मरीज को उसी दिन डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव्स, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स होती हैं और प्रकाश की गति से तेज चलती हैं, को एक विशेष जनरेटर को उच्चतम तापमान पर रखकर बनाया जाता है। इससे हीट एनर्जी बनाकर सुनिश्चित तंत्रिकाओं तक पहुंचाई जाती है, जो दर्द आवेगों को मस्तिष्क तक लेकर जाती है। रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव्स को सुई की नोक से मिलाया जाता है, जो तंत्रिका को मस्तिष्क तक दर्द के संकेतों को भेजने से बाधित करता है।

होते हैं दो प्रकार : रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी से उपचार मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं: मीडियल ब्रांच न्यूरोटॉमी यानी एब्लेशन, जो फैसेट जोड़ों से दर्द ले जाने वाली तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है और दूसरा, लेटरल ब्रांच न्यूरोटॉमी, जो सेक्रोइलिएक जोड़ों से दर्द ले जाने वाली तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।

हर दर्द से राहत: रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी कई पुराने जोड़ों के दर्द जैसे स्पाइनल आर्थराइटिस, लो बैक पेन, स्पाइनल स्टेनोसिस, सर्वाइकल स्पाइन सर्जरी के बाद का दर्द, फेल्ड बैक सर्जरी सिंड्रोम और अन्य रीढ़ के दर्द में भी असरदार प्रतिक्रिया दिखाती है। यह कुछ न्यूरोपैडिक से जुड़े दर्द जैसे कांप्लेक्स रीजनल पेन और अन्य मिश्रित पुराने दर्द में भी असरदार है। इस इलाज के लिए एक मरीज की उम्मीदवारी आमतौर पर एक डायग्नोस्टिक नर्व ब्लॉक के प्रदर्शन पर निर्धारित होती है।

बेहतर है विकल्प : रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॉमी लंबे समय से हो रहे दर्द में स्टेरॉयड इंजेक्शन के मुकाबले अधिक राहत देती है। अधिसंख्य मरीज इससे उपचार लेने के बाद दर्द से निजात पा लेते हैं। इस विधि में बहुत छोटे चीरे का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए यह किसी अन्य सर्जरी के मुकाबले जल्दी राहत देने वाली होती है। साथ ही इस सर्जरी के निशान भी नहीं पड़ते हैं।

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