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100 साल बाद कुतुबमीनार में होगा मरम्‍मत का कार्य, नहीं होगा सीमेंट का इस्तेमाल; जानें वजह

Qutub Minar Delhi News Update एएसआइ के नियम के तहत जो पत्थर जिस रंग और जिस गुणवत्ता वाला है। उसी गुणवत्ता वाला उस रंग का पत्थर कुतुब मीनार में लगाया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 07:21 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 08:15 PM (IST)
100 साल बाद कुतुबमीनार में होगा मरम्‍मत का कार्य, नहीं होगा सीमेंट का इस्तेमाल; जानें वजह
100 साल बाद कुतुबमीनार में होगा मरम्‍मत का कार्य, नहीं होगा सीमेंट का इस्तेमाल; जानें वजह

नई दिल्ली [वी.के.शुक्ला]। Qutub Minar Delhi News Update: जिस विश्व धरोहर कुतुबमीनार की भव्यता की देश से लेकर विदेश में चर्चा है। इस मीनार के अंदर की 179 सीढ़ियां बदली जाएंगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा सुरक्षा को लेकर कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि मीनार की 379 सीढ़ियों में से 200 के करीब सीढ़ियां ही अच्छी स्थिति में हैं, अन्य को बदले जाने की जरूरत है।

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इतने बड़े स्तर पर करीब सौ साल बाद मीनार में काम होने जा रहा है। यह काम मीनार को मजबूती प्रदान करनेब के लिए होगा। एएसआइ का मीनार में पर्यटकों के प्रवेश के लिए कोई इरादा नहीं है।

सीढ़ियों में लगी हैं कहीं लाल और कहीं हल्का काला पत्थर

एएसआइ के सूत्रों के अनुसार सीढ़ियों पर पत्थर अलग अलग रंग के हैं। कुछ सीढ़ियों में लाल पत्थर है कुछ में हल्का काला पत्थर है। एएसआइ के नियम के तहत जो पत्थर जिस रंग और जिस गुणवत्ता वाला है। उसी गुणवत्ता वाला उस रंग का पत्थर लगाया जाएगा। इसके लिए सीढ़ियों के पत्थरों का सर्वे कराया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगले तीन माह में सीढ़ियों के पत्थर बदलने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

छह माह के अंदर पूरा किया जाएगा काम

काम शुरू करने के छह माह के अंदर इस कार्य को पूरा किया जाएगा। क्योंकि इस कार्य में अधिक समय लगने की संभावना है। सभी सीढ़ियां दोनो ओर मीनार की दीवार में अदर तक घुसी हुई हैं। सुरक्षा के लिहाज से मीनार की दीवारों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकजी है। इसलिए इस कार्य को इस तरह से किया जाएगा कि सीढ़ियां भी बदल जाएं और मीनार की सुरक्षा भी बरकरार रहे।

सीमेंट नहीं, चूना, गुड़, उड़द,बेल पत्र के फल का होगा उपयोग

सीढ़ियों को लगाने के लिए सीमेंट का इस्तेमाल नहीं होगा। बल्कि चूना, गुड़, उड़द,बेल पत्र के फल, गोंद, सुर्खी जैसी चीजें इस्तेमाल में लाई जाएंगी। इसका गारा बनाकर तैयार किया जाएगा। यह ऐसी पद्धति है जिसे बनी इमारतें सैकड़ों सालों तक खराब नहीं होती हैं। स्मारकों के निर्माण में इसी पद्धति का इस्तेमाल किया गया है। इस कार्य के अलावा मीराना के अंदर रोशनी की भी व्यवस्था की जाएगी।

2018 में कबूतरों और चमगादड़ों का बंद किया गया था मीनार में रास्ता

कुतुबमीनार एएसआइ के उन स्मारकों में शामिल है, जिनमें साल भर पर्यटकों की भीड़ रहती है। 2018 में मीनार के खराब हो चुके पत्थर और मीनार के अंदर सीढ़ियों के साथ हर मंजिल पर बने रोशनदान बदले गए थे। कुतुब परिसर को बेहतर किया गया है। परिसर से खुरदुरे पत्थरों को हटाया गया है ताकि पर्यटक आसानी से चल फिर सकें। प्रवेश द्वार और बाहर निकलने वाले द्वार को बेहतर किया गया है। स्मारक में प्रवेश और बाहर जाने के लिए अलग अलग रास्ते बनाए गए हैं। कुतुब परिसर को और दिव्यांग फ्रेंडली किया जाएगा। दिव्यांगों के रास्ते और बेहतर किए जाएंगे।

बता दें कि कुछ हादसों की वजह से मीनार के अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं है। मीनार का डिजाइन इस तरह किया गया है कि हर मंजिल पर खास पैटर्न नजर आता है।


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