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सरोगेसी के नाम पर कैसे रुकेगी बच्चों की खरीद-फरोख्त, डॉ शिवानी ने बताया तरीका

आइसीएमआर के दिशा निर्देश के अनुसार सरोगेसी की सलाह सिर्फ उन्हीं महिलाओं को दी जा सकती है जिन्हें जन्म से गर्भाशय नहीं है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 01:05 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 01:05 PM (IST)
सरोगेसी के नाम पर कैसे रुकेगी बच्चों की खरीद-फरोख्त, डॉ शिवानी ने बताया तरीका
सरोगेसी के नाम पर कैसे रुकेगी बच्चों की खरीद-फरोख्त, डॉ शिवानी ने बताया तरीका

नई दिल्ली। फरीदाबाद में सरोगेसी के नाम पर बच्चों की खरीद-फरोख्त की घटना हैरान करने वाली है। वैसे तो सरोगेसी को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) का स्पष्ट दिशा निर्देश है। यदि उनका ठीक से पालन किया जाए तो फरीदाबाद में जैसी बच्चा खरीद-फरोख्त की घटनाएं हुई, नहीं होंगी। लेकिन मौजूदा प्रावधानों में कई खामियां भी हैं जिसका फायदा उठाकर इसे व्यापार की तरह बना लेते हैं।

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इसलिए इन घटनाओं को रोकने के लिए प्रावधानों को और सत बनाना जरूरी है। साथ ही ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। विदेशी दंपती के लिए भारत में सरोगेसी पर प्रतिबंध है। कोई विदेशी दंपती भारत में सरोगेसी का सहारा नहीं ले सकते हैं। सरोगेसी का प्रावधान सिर्फ भारतीय दंपती के लिए है।

महिला की जांच करने के बाद ही डॉक्टर सरोगेसी अपनाने की सलाह देते हैं

इसके तहत निसंतान दंपती सरोगेसी के लिए आइवीएफ सेंटर में संपर्क कर सकते हैं। संबंधित महिला की जांच करने के बाद ही डॉक्टर सरोगेसी अपनाने की सलाह देते हैं। ऐसा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय सरोगेसी बंद होने के बाद ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो गई। दूसरे देशों के लोग जो वैध तरीके से यहां सरोगेसी का फयदा नहीं ले पा रहे हैं वे खरीद फरोख्त का सहारा ले रहे हैं।

आइसीएमआर के दिशा निर्देश के अनुसार सरोगेसी की सलाह सिर्फ उन्हीं महिलाओं को दी जा सकती है जिन्हें जन्म से गर्भाशय नहीं है, गर्भाशय में बहुत फाइब्रोसिस इत्यादि की परेशानी हो, बार-बार गर्भपात हो जाए या टीबी के कारण बच्चेदानी खराब हो चुकी हो। इसे अल्ट्रासाउंड जांच के जरिये पता लगाया जा सकता है।

नियमों का पालन नहीं किया गया

जांच के बाद ही तय होता है कि सरोगेसी की जरूरत है या नहीं। इसलिए सबसे पहले जरूरी यह है कि जो लोग सरोगेसी कराना चाह रहे हैं उनकी मेडिकल स्थिति के बारे में पूरी जानकारी हो। हाल में सामने आई घटना में उन नियमों का पालन नहीं किया गया। मेडिकल स्तर पर भी लापरवाही बरती गई, इसलिए यह पूरी तरह फर्जीवाडा है। इस पूरे प्रकरण में जो लोग भी शामिल रहे हों उन सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस कार्रवाई के बारे में मीडिया के माध्यम से समाज को बताना चाहिए ताकि दूसरे लोगों को भी सबक मिल सके और कानून का डर पैदा हो। तभी यह चीजें रुकेंगी।

सिर्फ रिश्तेदार ही सरोगेट मदर इसमें संशोधन की सिफारिश

जरूरतमंद दंपती की कोई रिश्तेदार महिला ही सरोगेट मदर हो सकती है। लेकिन संसद की स्थायी समिति ने इसे संशोधन करने की सिफारिश की है। समिति ने यह सिफारिश की है कि कोई अनजान महिला भी सरोगेट मदर बन सकती हैं। समिति यह रिपोर्ट राज्यसभा को सौंप चुकी है। क्योंकि किसी परिचित या रिश्तेदार महिला के ही सरोगेट मदर बनने के प्रावधान से भी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। परिवार के लोग घर की महिलाओं पर इसके लिए दबाव बना सकते हैं। दिल्ली में ऐसी घटना भी सामने आई थी, जिसके बाद यह प्रावधान करने की सिफारिश की गई कि अनजान महिला भी सरोगेट मदर बन सकती हैं।

सरोगेसी को नियमित व नियंत्रित करने के लिए असरदार व स्पष्ट कानून बनाना जरूरी है। मौजूदा सरोगेसी बिल में भी कई चीजें पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इसलिए यदि यह कानून बन भी गया तो इससे ज्यादा फायदा नहीं होगा। इसलिए बिल में यह प्रावधान भी होना चाहिए कि सरोगेट मदर का देश के बाहर प्रसव नहीं हो सकता। मौजूदा समय में यह प्रावधान नहीं है।

(आइवीएफ से जुड़े डॉक्टरों के संगठन इंस्टार की महासचिव डॉ शिवानी सचदेवा की संवाददाता रणविजय से बातचीत पर आधारित)


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