दिल्ली के आइटीओ इलाके में जलभराव से मुक्ति के लिए लोक निर्माण विभाग ने की तैयारी, आप भी जानें क्या है प्लान?
रिंग रोड के आइटीओ इलाके में डब्ल्यूएचओ इमारत के पास हो रहे भारी जलभराव से मुक्ति के लिए लोक निर्माण विभाग ने योजना तैयार कर ली है। इस समस्या के हल के लिए पानी भरने वाले स्थान के पास ढाई लाख लीटर पानी की क्षमता वाला भूमिगत टैंक बनेगा।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। रिंग रोड के आइटीओ इलाके में डब्ल्यूएचओ इमारत के पास हो रहे भारी जलभराव से मुक्ति के लिए लोक निर्माण विभाग ने योजना तैयार कर ली है। इस समस्या के हल के लिए पानी भरने वाले स्थान के पास ढाई लाख लीटर पानी की क्षमता वाला भूमिगत टैंक बनेगा। बारिश होने पर यहां का पानी इस टैंक में डाला जाएगा। इसके बाद टैंक से निकालकर यमुना तक पहुंचाया जाएगा। इस तरह रिंग रोड के इस प्वाइंट पर जलभराव की समस्या का समाधान किया जाएगा। लोक निर्माण विभाग और यातायात पुलिस के सर्वे में इस बार सड़कों पर जलभराव वाले अतिसंवेदनशील 147 प्वाइंट पाए गए हैं। उनमें रिंग रोड का डब्ल्यूएचओ प्वाइंट भी शामिल है।
मगर, यह प्वाइंट इस बार इतनी बड़ी समस्या बन गया है कि इसने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का तनाव बढ़ा दिया है। यहां पर इस बार पानी इतना भर रहा है कि भारी बारिश होने पर सुबह से लेकर शाम तक जाम लग रहा है। इस प्वाइंट पर लोक निर्माण विभाग ने पहले से ही चार डीजल पंप लगे हुए हैं। कुछ समय पहले ही बिजली वाले पावरफुल दो पंप और लगाए गए हैं, मगर पानी इतना हो जा रहा है कि इसे निकालने में कई कई घंटे लग जा रहे हैं।
लोक निर्माण विभाग के अनुसार पानी बढ़ने का कारण पुरानी दिल्ली से आ रही सीवर लाइन का यहां ओवरफ्लो हो जाना भी है। यहां पर सीवर लाइन के मेनहोल ओवरफ्लो हो रहे हैं। यह सीवर लाइन डब्ल्यूएचओ से 500 मीटर आगे तक ही जाती है, जहां से अभी तक पानी सीधे यमुना में डाला जा रहा था। मगर अब सीवर लाइन के अंत में जल बोर्ड ने सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगा दिया है। इसे शोधित कर पानी यमुना में डाला जा रहा है। प्लांट लगने के बाद सीवर के पानी का बहाव कम हुआ है।
इससे बारिश होने पर अतिरिक्त पानी यहां ओवरफ्लो हो जाता है। डब्ल्यूएचओ प्वाइंट पर मेन होल से पानी ओवरफ्लो होने की समस्या पिछले साल से बढ़ी है। इसे देखते हुए लोक निर्माण विभाग डब्ल्यूएचओ के पास दूसरी लेन में ग्रीन एरिया में टैंक बनाएगा। इसके लिए अगले माह में टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद इसे बनाने का काम शुरू होगा। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यहां के जलभराव को दूर करने के लिए यही एक रास्ता है।