Professor Shamsher : जिस संस्थान से पढ़े अब उसी में कुलपति पद पर सेवाएं देंगे प्रो. शमशेर, यूपी की नामी यूनिवर्सिटी में मिला मौका
Professor Shamsher प्रोफेसर शमशेर 2000 से डीटीयू के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत हैं। वर्तमान में वह डीटीयू में कुलसचिव के साथ-साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष भी हैं। उन्हें मैकेनिकल इंजीनियरिंग व पावर इंजीनियरिंग में करीब 30 साल का अनुभव है।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत प्रोफेसर शमशेर को हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) कानपुर का कुलपति बनाया गया है। वह वर्ष 2000 से डीटीयू के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत हैं। वर्तमान में वह डीटीयू में कुलसचिव के साथ-साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष भी हैं। उन्हें मैकेनिकल इंजीनियरिंग व पावर इंजीनियरिंग में करीब 30 साल का अनुभव है। डॉ. शमशेर ने बताया कि यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि उन्होंने जिस संस्थान से पढ़ाई की है, उसी संस्थान का कुलपति बनने का उन्हें मौका मिला है।शमशेर मूल रूप से कानपुर की घाटमपुर तहसील के दामोदरपुर गांव के निवासी हैं। उन्होंने एचबीटीयू कानपुर (तत्कालीन एचबीटीआइ) से वर्ष 1987 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1988 में एनटीपीसी दिल्ली में एग्जिक्यूटिव इंजीनियर के पद से की थी। यहां उन्होंने करीब साढ़े तीन वर्ष तक कार्य किया। इसके बाद 1994 में आइआइटी दिल्ली से एनर्जी स्टडीज में एमटेक किया। साथ ही 2005 में आइआइटी दिल्ली से ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की। इसके साथ ही वह नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फरीदाबाद, दिल्ली कालेज ऑफ इंजीनियरिंग, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इन्फारमेशन टेक्नोलाजी, दिल्ली और डॉ. भीम राव अंबेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी जालंधर में भी विभिन्न पदों पर कार्यरत रह चुके हैं।
पावर प्लांट इंजीनियरिंग में उनकी विशेष रुचि है। इससे संबंधित उनकी तीन किताबें अभी तक प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके साथ ही उनके 80 से ज्यादा शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। बुधवार को उनकी नियुक्ति के बाबत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आदेश जारी कर दिए। उनका कार्यकाल तीन साल का होगा। अब तक प्रो. एनबी सिंह इस पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद समय बढ़ाया गया था।