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प्रिंसिपल डा. बिजयलक्ष्मी नंदा ने बताया, कोरोना काल में भी कैसे मिरांडा हाउस कालेज बना रहा नंबर वन,

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी इस रैंकिंग में डीयू के मिरांडा हाउस कालेज ने कालेज श्रेणी में पहला स्थान प्राप्त किया। लगातार पांचवें साल (2017 से 2021 तक) कालेज एनआइआरएफ रैंकिंग में नंबर एक की पायदान पर काबिज रहा।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 10:11 AM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 10:11 AM (IST)
प्रिंसिपल डा. बिजयलक्ष्मी नंदा ने बताया, कोरोना काल में भी कैसे मिरांडा हाउस कालेज बना रहा नंबर वन,
प्रिंसिपल डा. बिजयलक्ष्मी नंदा ने बताया, कोरोना काल में भी कैसे मिरांडा हाउस कालेज बना रहा नंबर वन,

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के चलते उच्च शिक्षण संस्थान लंबे समय से बंद हैं। परीक्षा एवं पढ़ाई आनलाइन ही आयोजित की जा रही है। महामारी के कारण पढ़ाई के परंपरागत तरीकों में अचानक आए बदलावों के चलते कालेजों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शायद यही कारण था कि नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) पर पूरे अकादमिक जगत की निगाहें टिकी हुई थीं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी इस रैंकिंग में डीयू के मिरांडा हाउस कालेज ने कालेज श्रेणी में पहला स्थान प्राप्त किया। लगातार पांचवें साल (2017 से 2021 तक) कालेज एनआइआरएफ रैंकिंग में नंबर एक की पायदान पर काबिज रहा। कोरोना काल में पढ़ाई के तौर तरीकों में बदलाव, रैंकिंग बरकरार रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों समेत विभिन्न मसलों पर प्राचार्य डा. बिजयलक्ष्मी नंदा से संजीव कुमार मिश्र ने बातचीत की है। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

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कोरोना काल में जारी रैंकिंग में भी कालेज नंबर एक पर कायम है। इस उपलब्धि को किस तरह देखती हैं आप?

-कोरोना संक्रमण के दौर में यह उपलब्धि कालेज के लिए बहुत मायने रखती है। इसका श्रेय टीम वर्क को जाता है। कालेज के शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कर्मचारियों ने कोरोना काल में बहुत सराहनीय कार्य किया। कालेज की छात्रओं ने पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर योगदान दिया। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे लोगों की बहुत मदद की। गवर्निंग बाडी के चेयरमैन एवं सदस्यों ने अपने फैसलों से कालेज को हमेशा प्रोत्साहित किया। सभी कालेज बहुत मेहनत कर रहे हैं। कोरोना की वजह से सहयोग की भावना और प्रबल हुई है।

कोरोना काल में नंबर- 1 रैंकिंग बरकरार रखना काफी चुनौतीपूर्ण था। कालेज ने किन खास क्षेत्रों में अधिक ध्यान दिया?

- सामंजस्य व निरंतरता सफलता की कुंजी है। इसलिए हमने मौजूदा मानकों में सुधार करने की कोशिश की। पिछले साल हमने उन्नत भारत अभियान पर जोर दिया था। इस साल हमने मल्टी-डिसिप्लिनरी लर्निंग, रिसर्च, आउटरीच गतिविधियों पर काफी ध्यान दिया। कोरोना काल में प्लेसमेंट क्षेत्र पर काफी ध्यान दिया गया। कई छात्रओं को बढ़िया प्लेसमेंट मिला। यह सब कालेज प्रबंधन के प्लेसमेंट व्यवस्था को लगार बेहतर करने के बाद ही संभव हो सका है।

कोरोना संक्रमण के दौर में पढ़ाई एवं परीक्षा आनलाइन हो रही है। कालेज को किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा?

- चूंकि कोरोना के चलते उच्च शिक्षण संस्थान बंद थे। कालेज परिसर में कक्षाएं नहीं चल सकती थीं। ऐसे में आनलाइन पढ़ाई ही एकमात्र तरीका था। ऐसे में ‘डिजिटल डिवाइड’ एक बड़ी समस्या थी। कुछ के पास कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल था, तो कुछ के पास इन सुविधाओं का अभाव था। कुछ के पास ये सब चीजें थीं, लेकिन उनके इस्तेमाल करने की सही जानकारी का अभाव था। छात्रओं की इन सभी परेशानियों व शिकायतों को कालेज ने तकनीकी कर्मचारियों के माध्यम से दूर किया। वहीं डीयू ने भी शिकायत प्रबंधन की एक प्रभावी प्रणाली प्रदान की थी। इससे भी छात्रों को आनलाइन पढ़ाई में काफी राहत मिली है।

रैंकिंग के दो पैरामीटर ईएससीएस (20 में सिर्फ 1 अंक) एवं पीयू (70 में से 38 अंक) में प्रदर्शन सुधार की काफी गुंजाइश है?

- कालेज में होने वाली बैठक में हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। जिन पैरामीटर में कमियां हैं, उन्हें दूर की जाएगी। डीयू के सहयोग के चलते अब कालेज के संकाय सदस्यों को प्रोफेसर बनाया जा सकेगा। इसका फायदा यह होगा कि वे रिसर्च पत्रिकाओं में लिखने के लिए प्रेरित होंगे। इससे कालेज को भी लाभ होगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्रओं के लिए सभी अनिवार्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। सरकारी छात्रवृत्ति के साथ-साथ कालेज भी अपने स्तर पर छात्रओं की मदद करता है। छात्रवृत्ति, डिजिटल उपकरणों को छात्रओं तक पहुंचाने के लिए हमें और अधिक फंड की आवश्यकता है। कालेज इस दिशा में कार्य कर रहा है।


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