अमेरिका से वापस लाई जाएंगी तकरीबन 100 बेशकीमती मूर्तियां, ASI ने दी जानकारी
एसआइ के एक वरिष्ठ अधिेकारी ने कहा कि जो मूर्तियां आई हैं इनकी कीमत नहीं आंकी जा सकती है ये अमूल्य हैं। उन्होंने बताया कि मूर्ति तस्कर सुभाष कपूर द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से चोरी कर इन्हें अमेरिका में बेचा गया था।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। देश के अलग अलग समय में चोरी कर विदेश में बेच दी गईं 157 में से 63 मूर्तियां देश में लौट आई हैं। ये सभी देश की धरोहर हैं और इसमें से कुछ दो हजार साल तक पुरानी हैं। मूर्तियां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को मिल गई हैं। इन्हें कहां प्रदशित किया जाएगा इस पर अभी आधिकारिक रूप से फैसला नहीं हुआ है। मगर माना जा रहा है कि इन्हें पुराना किला के संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। वह लगभग बनकर तैयार है। इस संग्रहालय को दूसरे चरण के तहत तैयार किया गया है।मूर्तियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जो हर एंगल से मूर्तियों को कवर करेंगे।
एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिेकारी ने कहा कि जो मूर्तियां आई हैं इनकी कीमत नहीं आंकी जा सकती है, ये अमूल्य हैं। उन्होंने बताया कि मूर्ति तस्कर सुभाष कपूर द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से चोरी कर इन्हें अमेरिका में बेचा गया था। सुभाष कपूर 2011 में पकड़ा गया था जो अभी तमिलनाडु की जेल में बंद है। यह अमेरिकी में मूर्तियों की गैलरी चलाता था। भारत से चोरी कर अमेरिका ले जाकर वहां उसने अपनी गैलरी से तमाम मूर्तियों को बेचा था। बताया जा रहा है कि इन मूर्तियों को उसने महंगे दामों पर बेचा था। सुभाष कपूर के पकड़े जाने पर वहां के लोगों ने मूर्तियों को अमेरिका प्रशासन को लौटा दिया था।
अमेरिका ने कुछ समय पहले इन्हें अमेरिका के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लौटा दिया था। उन्होंने कहा कि कौन सी मूर्ति अपने देश से कब और कहां से चोरी हुई है, इसके बारे में अभी जानकारी उपलब्ध नहीं है।एएसआइ इन मूर्तियों का अध्ययन कर चुकी है, जिसमें सभी असली मूर्तियां पाई गई हैं।
एएसआइ इस बात की भी जानकारी जुटा रहा है कि मूर्तियां कहां से चोरी हुई हैं। अगर किसी राज्य में इनमें से किसी मूर्ति के बारे में एफआइआर दर्ज है और वह राज्य मूर्तियों को वापस लेना चाहता है तो एएसआइ इस बारे में विचार करेगा। जो मूर्तियां बची हुई हैं वे भी जल्द अमेरिका से वापस लौटेंगी। अभी जो मूर्तियां वापस आई हैं, इनमें अधिकतर देवी देवताओं की मूर्तियां हैं।
किसी देश द्वारा प्रधानमंत्री को लौटाई जाने वाली धरोहरों की यह सबसे बड़ी संख्या है। इन कुल मूर्तियों की सूची में 10वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर की मूर्तियों से लेकर कांस्य की बनीं नटराज की मूर्तियां तक शामिल हैं। इनमें अधिकतर 10 वीं शताब्दी से 14 वीं शताब्दी के दौरान की हैं। इसमें 2000 साल ईसा पूर्व की कापर से बनी मानवकृति के अलावा एक याक्षी भी शामिल है। अधिकतर मूर्तियां हिंदू धर्म , बौद्ध धर्म और जैन धर्म से संबंधित हैं। इन मूर्तियों का निर्माण धातु, पत्थर और टेराकोटा के हुआ है। कांस्य की मूर्तियों में लक्ष्मी नारायण, बुद्ध, शिव पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की प्रसिद्ध मुद्राओं की हैं। इसके अलावा ¨हदू धर्म की धार्मिक मूर्तियां तीन सिर वाले ब्रह्मा, रथ के साथ सूर्य, विष्णु की मूर्तियां शामिल हैं।