जेएनयू दीक्षा समारोह: राष्ट्रपति ने कहा- छात्रों को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों की याद दिलाएगी प्रतिमा
राष्ट्रपति ने जेएनयू की सराहना की और कहा कि यहां के छात्रों शोध ने दुनिया भर में अपना प्रभाव छोड़ा है। जेएनयू युवाओं के कौशल विकास और उन्हें रोजगार दिए जाने के उद्देश्य से नए केंद्र स्थापित करने के लिए कदम उठा रहा है।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षा समारोह बुधवार को आयोजित हुआ। समारोह में जेएनयू के 15 विभिन्न स्कूलों व केंद्रों के 603 पीएचडी छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी छात्रों को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने की जेएनयू की सराहना
राष्ट्रपति ने जेएनयू की सराहना की और कहा कि यहां के छात्रों, शोध ने दुनिया भर में अपना प्रभाव छोड़ा है। जेएनयू युवाओं के कौशल विकास और उन्हें रोजगार दिए जाने के उद्देश्य से नए केंद्र स्थापित करने के लिए कदम उठा रहा है। जेएनयू को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद से उच्चतम श्रेणी का ग्रेड मिला है। यह भारत सरकार के राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग के तहत सभी विश्वविद्यालयों के बीच लगातार नंबर 2 पर है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह छात्रों के लिए गर्व की बात होनी चाहिए कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर जेएनयू के पूर्व छात्र रहे हैं।
राष्ट्रपति के संबोधन में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का जिक्र
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में जेएनयू परिसर में स्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का भी जिक्र किया, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। उन्होने कहा, विवेकानंद की प्रतिमा जिसका हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण किया गया था, वह छात्रों को स्वामीजी द्वारा प्रचारित और प्रचलित सार्वभौमिक आदर्शों की याद दिलाती रहेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि जेएनयू के करीब 80 हजार से ज्यादा पूर्व छात्रों में से कई सिविल सेवा, शिक्षा, राजनीति, सामाजिक कार्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मीडिया और संचार, ललित कला और व्यापार नेतृत्व में अपना योगदान दे रहे हैं।
विचारधारा को राष्ट्रीय धारा से जोड़ना जरूरी
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि विचारधारा को राष्ट्रीय धारा से जोड़कर हम राष्ट्रनिर्माण का लक्ष्य पूरा कर सकते हैं। उन्होने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि जेएनयू के छात्र-छात्राएं भारत की शैक्षणिक व्यवस्था के ब्रांड एम्बेसडर हैं। और पूरे विश्व में नाम रोशन कर रहे हैं। गुरु शिष्य परंपरा वाले भारत में पहले शिक्षा फिर दीक्षा और उसके बाद दीक्षांत और अंत में गुरु दक्षिणा का नंबर आता है। मैं आप सभी छात्रों से अनुरोध करना चाहूंगा कि यदि आपके मन में गुरुओं को गुरु दक्षिणा देने का भाव प्रकट होता है तो जरूर आप विद्यादान और ज्ञानदान दीजिए। साथ ही अपनी क्षमताओं से राष्ट्र को मजबूत कीजिए। उन्होंने कहा आप जहां भी जाएं अपनी जड़ों से जुड़े रहें। आपके कार्यक्षेत्र में भारतीय जीवन मूल्यों की स्पष्ट छाप दिखनी चाहिए। आप खुद को लगातार अपडेट, अपग्रेड और एजुकेट करते हुए आगे बढ़ें, वरना आउटडेट होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
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