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हार्टकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा- देश में असरकारी नहीं है कोरोना का नया स्ट्रेन

ब्रिटेन से आया कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन भारत में टिक नहीं पाया है। दरअसल वायरस के म्यूटेशन तो सितंबर से ही आ रहे हैं। सितंबर से ही ब्रिटेन में संक्रमण बढ़ रहा है जबकि भारत में सितंबर से संक्रमण कम हो रहा है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 10:18 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 10:18 AM (IST)
हार्टकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा- देश में असरकारी नहीं है कोरोना का नया स्ट्रेन
भारत में वायरस का नया स्ट्रेन सितंबर में ही आ गया था।

नई दिल्ली। देश व राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार कम हो रहे हैं अैर जल्द ही टीकाकरण शुरू होने की उम्मीद है। इसी बीच ब्रिटेन से आए कोरोना वायरस के नए स्वरूप (स्ट्रेन) ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इसकी वजह से दिल्ली में लगे नाइट कर्फ्यू ने नए साल के जश्न का मजा तो किरकिरा किया ही, भविष्य के लिए भी आंशका पैदा कर दी। इन्हीं सब मुद्दों पर अरविंद कुमार द्विवेदी ने हार्टकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल से बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश।

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दिल्ली में भी ब्रिटेन से आए कोरोना के नए स्ट्रेन की पुष्टि हो गई है। यह राजधानी दिल्ली के लिए कितना बड़ा खतरा है?

- ब्रिटेन से आया कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन भारत में टिक नहीं पाया है। दरअसल, वायरस के म्यूटेशन तो सितंबर से ही आ रहे हैं। सितंबर से ही ब्रिटेन में संक्रमण बढ़ रहा है, जबकि भारत में सितंबर से संक्रमण कम हो रहा है। यानी भारत में वायरस का नया स्ट्रेन सितंबर में ही आ गया था, लेकिन यहां इसका कुछ खास असर नहीं दिख रहा है। अगर यह स्ट्रेन यूके में बच्चों पर ज्यादा प्रभावकारी है तो भारत में भी प्रभावी दिखना चाहिए था, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसलिए देश व दिल्ली को इससे फिलहाल कोई बड़ा खतरा नहीं है।

 

देश में अभी कोरोना संक्रमण की क्या स्थिति है। आने वाले कुछ माह देश के लिए कैसे रहेंगे?

- अगस्त में भारत में सात करोड़ लोगों में एंटी बॉडी पाई गई थी। माना जा रहा है कि सितंबर तक यह आंकड़ा 30 करोड़ हो गया था। अगर हम सितंबर वाले आंकड़े को सही मानकर चलें तो देश के करीब 30-40 करोड़ लोगों में एंटीबाडी डेवलप हो गई है, यानी उन्हें संक्रमण हो चुका है। ऐसे में यदि बचे हुए 20-30 करोड़ लोगों को वैक्सीन मिल जाए तो पहले छह माह में ही भारत में कोरोना का खात्मा हो सकता है। दो-तीन सप्ताह में अगर संक्रमण के मामले 15-20 हजार से ज्यादा नहीं बढ़ते हैं तो माना जा सकता है कि देश में कोरोना का पीक समय खत्म हो गया है। वैसे भी इतने बड़े देश में रोजाना 10-15 हजार मामले तो आएंगे ही।

जब तक वैक्सीन नहीं लग जाती है तब तक फिलहाल क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

- अपना सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) ब्लड टेस्ट करवाते रहें। इसका लेवल एक से कम है, तो वायरस का संक्रमण आने पर भी आपको कोई परेशानी नहीं होगी। वहीं, सीआरपी लेवल एक से अधिक है तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। मधुमेह, हाईपरटेंशन, मोटापा, अधिक कोलेस्ट्राल व हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों का सीआरपी एक से अधिक रहता है। ऐसे लोगों के लिए संक्रमण खतरनाक हो सकता है। सीआरपी ही यह वायरस बढ़ाता है।

संक्रमण के मामले तो कम हो रहे हैं लेकिन पिछले करीब 10 दिनों से मृत्यु दर तीन प्रतिशत से ज्यादा है। इसका क्या कारण है।

- दिल्ली में अभी मृत्यु दर बढ़ी हुई है। हालांकि यह चिंता का विषय नहीं है। ये उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। वैसे भी ये दर करीब 10 दिन पहले की होती है। यह वर्तमान की नहीं होती है। सर्दी के मौसम में श्वसन संबंधी रोगों, निमोनिया व हृदयाघात से मौतें अधिक होती ही हैं। जब ड्राइ विंटर (सूखी सर्दी) की शुरुआत होती है तो हार्टअटैक से मौत के मामले बढ़ जाते हैं। विंटर में प्रो इन्फ्लामेट्री कंडीशन व प्रो थ्राम्बोटिक कंडीशन ज्यादा होती हैं। निमोनिया के कारण भी मौतें होती हैं। इसलिए यह कोई चिंता का विषय नहीं है।

टीकाकरण जल्द ही शुरू होने वाला है। इसे लेकर क्या चुनौतियां होंगी और कोरोना से बचाव में यह कितना कारगर होगा।

- यह टीका सभी के लिए अनिवार्य नहीं है। भारत में 30 प्रतिशत लोगों को टीका लगाया जाना है। जिन लोगों को कोरोना नहीं हुआ है। उन्हें वैक्सीन लग जाए तो देश को कोरोना से मुक्ति मिल जाएगी। वैक्सीन के बारे में अफवाह फैलाने वालों पर महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई भी हो सकती है। वैक्सीन लगना शुरू होने के बाद बिल्कुल निश्चिंत होने की भी जरूरत नहीं है। वैक्सीन की दूसरी खुराक लगने तक सावधान रहना होगा।

वैक्सीन नए स्ट्रेन पर भी प्रभावी रहेगी। टीका लगवाने के लिए लोगों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

- विकसित की गई वैक्सीन कोरोना के नए व पुराने दोनों स्ट्रेन पर ही असरकारी है। पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक लेने के लिए तीन माह का समय रहेगा। वैक्सीन लेने के पहले या बाद में कोरोना टेस्ट करवाने की भी जरूरत नहीं है। भारत के पास वैक्सीन लगाने का बहुत बड़ा नेटवर्क व अनुभव है। पोलियो टीकाकरण में भारत यह साबित कर चुका है, जो वैक्सीनेटर बच्चों को टीका लगा सकते हैं। वे वयस्कों को भी लगा सकते हैं। टीकाकरण के लिए कई चरण में पूर्वाभ्यास व निगरानी हो रही है। वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है। रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस आने के बाद ही संबंधित व्यक्ति अपने बूथ पर जाकर टीका लगवाएगा इसलिए किसी अफरातफरी की आशंका नहीं है।

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