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दक्षिणी दिल्ली निगम के स्वास्थ्य विभाग के निजीकरण की तैयारी, नौकरी की तलाश करने वालों को झटका

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के निजीकरण की तैयारी हो रही है। इससे नौकरी की तलाश करने वालों को झटका लगने वाला है। अब उनकी नियुक्‍ति थर्ड पार्टी के द्वारा होगी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 03:56 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 04:00 PM (IST)
दक्षिणी दिल्ली निगम के स्वास्थ्य विभाग के निजीकरण की तैयारी, नौकरी की तलाश करने वालों को झटका
दक्षिणी दिल्ली निगम के स्वास्थ्य विभाग के निजीकरण की तैयारी, नौकरी की तलाश करने वालों को झटका

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के निजीकरण की तैयारी हो रही है। इसके तहत सहायक मलेरिया निरीक्षक (एएमआइ) और सहायक लोक स्वास्थ्य निरीक्षक (एपीएचआइ) के पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति किसी तीसरी कंपनी द्वारा की जाएगी। यानि कर्मचारियों को नियुक्त करने से लेकर वेतन देने का कार्य निजी कंपनी का ही होगा। इस मामले में निगम की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। निगम के स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए योजना बना ली है।

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योजना के अनुसार विभाग के पास अनुबंधित कर्मचारियों को नियुक्त करने की वजह से कोर्ट केस का बोझ बढ़ जाता है क्योंकि निगम के अनुबंधित कर्मचारी नियमित करने से लेकर अन्य कर्मचारियों की दी जाने वाली सेवाओं के लिए कोर्ट में केस डालते हैं।

इसकी वजह से निगम के अधिकारियों का भी समय बर्बाद होता है और निगम का कोर्ट के लिए वकीलों की ली जाने वाली सेवा पर भी काफी खर्च आता है। इसलिए विभाग ने इन पदों पर निजी कंपनी के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव बनाया है। हालांकि, इस प्रस्ताव को अभी स्थायी समिति से लेकर सदन की मंजूरी दी जानी बाकी है।

उल्लेखनीय है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 324 पद एएमआइ और 60 पद एपीएचआइ के स्वीकृत हैं। स्थायी तौर पर इसमें से 255 एएमआइ और 37 एपीएचाइ के पद रिक्त हैं। इन रिक्त पदों में 115 एएमआइ और 24 एपीएचआइ अनुबंधित तौर पर कार्य कर रहे हैं। अगर निजी कंपनी द्वारा इन कर्मचारियों की नियुक्ति होती है तो वर्तमान अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। हालांकि, वह अगर कंपनी के माध्यम से आएंगे तो उन्हें उम्र व अनुभव में छूट दी जाएगी। इसमें 40 वर्ष तक का कर्मचारी कंपनी के माध्यम से आने के लिए आवेदन कर सकेगा। जबकि सामान्य के लिए यह आयु 27 वर्ष तक होगी।

नेताओं ने कहा-

यह कर्मचारियों के खिलाफ है। अगर, कुछ पदों से निजीकरण की शुरुआत हुई तो धीरे-धीरे सभी पदों का निजीकरण हो जाएगा। इस प्रस्ताव पर रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि इससे निगम के खर्चे भी कम नहीं होंगे और न ही काम।

अभिषेक दत्त, नेता कांग्रेस

हम देखेंगे कि विभाग ने क्या प्रस्ताव बनाया है। किसी भी कीमत पर कर्मचारियों का अहित नहीं होने देंगे। वैसे, प्रस्ताव अभी हमारे पास नहीं आया है।

कमलजीत सहरावत, नेता सदन


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