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Post Covid Health ALERT: कोरोना से ठीक हुए मरीजों में बढ़ रहे हैं डायबिटीज के मामले, रिसर्च में हुआ खुलासा

अस्पताल के वरिष्ठ एंंडोक्राइनोलोजिस्ट डाॅ. सुभाष कुमार ने कहा कि पिछले दो सालों के दौरान हमारी ओपीडी के आंकड़े दर्शाते हैं कि जिन मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी उनमें से 25 फीसद मरीजों में डायबिटीज़ के नए मामले पाए गए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 07:40 AM (IST)
Post Covid Health ALERT: कोरोना से ठीक हुए मरीजों में बढ़ रहे हैं डायबिटीज के मामले, रिसर्च में हुआ खुलासा
अध्ययन में सामने आए डायबिटीज़ के 25 फीसद नए मामले

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। एक अध्ययन में पिछले दो सालों में कोरोना से ठीक हुए मरीजों में डायबिटीज के 25 फीसद नए मामले सामने आए हैं। दरअसल, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल दिल्ली के डाक्टरों ने पिछले दो सालों के दौरान ओपीडी में आने वाले मरीजों पर यह अध्ययन किया है। इसके बारे में बताते हुए अस्पताल के वरिष्ठ एंंडोक्राइनोलोजिस्ट डाॅ. सुभाष कुमार ने कहा कि पिछले दो सालों के दौरान हमारी ओपीडी के आंकड़े दर्शाते हैं कि जिन मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी, उनमें से 25 फीसद मरीजों में डायबिटीज़ के नए मामले पाए गए हैं। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके 10 फीसद मरीजों में हाइपरग्लाइसेमिया के मामले दर्ज किए गए हैं। कोरोना के जिन मरीजों में पहले से डायबिटीज था, उनमें से 60 फीसद से भी अधिक मामलों में मरीजों का ग्लाइसेमिक स्टेटस और खराब हो गया है। इन मरीजों में ऐसी स्थिति तीन महीनों से ज्यादा समय के लिए रही है।

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इन्फ्लामेटरी रिएक्शन के कारण हो रहीं नई बीमारियां

डाक्टर ने बताया कि कोरोना एक वायरल संक्रमण है, जो शरीर में कई तरह के इन्फ्लामेटरी रिएक्शन पैदा करता है। इसकी वजह से जिन लोगों में कोविड-19 के मध्यम से गंभीर लक्षणों का इतिहास रहा है, उनमें डायबिटीज के साथ ही वजन में कमी, कमजोरी, बाल गिरना, मायोकार्डिटिस, थायराइड और हाइपोक्सिया जैसी कई नई बीमारियों देखी जा रही हैं। डाक्टर के अनुसार दुनिया भर में किए गए अध्ययनों में भी पाया गया है कि कोविड-19 से ठीक हुए मरीज़ों में डायबिटीज़ के नए मामले देखे जा रहे हैं।

हाई ब्लड प्रेशर का इलाज न कराना हो सकता है गंभीर

डाक्टर सुभाष ने आगे कहा कि डायबिटीज़ में हाई ब्लड शुगर का अगर इलाज न किया जाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इससे तंत्रिकाओं, किडनी, आंखों एवं अन्य अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पश्चिमी आबादी की तुलना में भारतीयों में डायबिटीज़ 15 साल पहले हो जाता है। इसके कई कारण हैं जैसे ज़्यादा कैलोरी से युक्त आहार, खाने पीने की गलत आदतें और गलत जीवनशैली। इसलिए जिन लोगों में कोविड-19 के गंभीर लक्षण थे, और उन्हें स्टेरायड दवाएं भी दी गईं। उन्हें अपने ब्लड शुगर पर नियमित रूप से निगरानी रखनी चाहिए। डायबिटीज से बचाव के लिए नियमित व्यायाम करें, खाने पीने की अच्छी आदतें अपनाएं और नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराते रहें।


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