Air Pollution: ...तो क्या पटाखों की बजाय इस वजह से बढ़ा दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर
सियासी लोग भले ही दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के लिए पटाखों और पराली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन विशेषज्ञ इससे सहमति नहीं रखते। उनका कहना है कि दिल्ली में जब भी प्रदूषण गहराता है तो इसकी मुख्य वजह मौसमी परिस्थितियां होती हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सियासी लोग भले ही दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के लिए पटाखों और पराली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ इससे सहमति नहीं रखते। उनका कहना है कि दिल्ली में जब भी प्रदूषण गहराता है तो इसकी मुख्य वजह मौसमी परिस्थितियां होती हैं। यहां तक कि इसमें सुधार भी मौसम की मेहरबानी से ही होता है। इसके अलावा एयर शेड की समस्या को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय की विशेषज्ञ समिति के सदस्य पर्यावरण विज्ञानी डा. डी. साहा कहते हैं कि मौसम विभाग मौजूदा हालात के लिए कई दिन पहले ही पूर्वानुमान जारी कर चुका था जिसमें यह साफ बताया गया था कि दीपावली के दिन से हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी हो जाएगी। इस दिशा से आने वाली हवा से प्रदूषण में इजाफा होता है। यह भी बताया गया था कि दीपावली से अगले तीन दिन तक हवा की रफ्तार बहुत ज्यादा नहीं रहेगी। ऐसे में वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी तक पहुंच सकती है।
सफर इंडिया ने भी पूर्वानुमान दिया था कि पटाखे जलें या नहीं, लेकिन दीपावली पर हवा दमघोंटू ही होगी। डा. साहा के मुताबिक एयर शेड की समस्या भी दिल्ली के लिए बड़ा मुद्दा है। दिल्ली की भौगोलिक स्थिति ढलान वाली है। इसीलिए 300 किमी के दायरे में दिल्ली से बाहर जो भी गतिविधियां होती हैं, उनका सीधा असर यहां तक पहुंचता है। फिर वह चाहे औद्योगिक प्रदूषण हो या वाहनों का धुआं, या फिर दिल्ली एवं देश के बाहरी हिस्सों से आने वाली धूल.., सभी का असर दिल्ली के प्रदूषण पर साफ दिखता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पूर्व अपर निदेशक डा. एसके त्यागी भी डा. साहा के मत से सहमति जताते हैं। वह कहते हैं, तेज हवा और बारिश ही दिल्ली के प्रदूषण को खत्म करने का स्थायी निदान है, पर मौसम पर किसी का जोर नहीं है।
वह कहते हैं कि दिल्ली के प्रदूषण की रोकथाम के लिए वृहद स्तर पर कार्ययोजना बनाने की जरूरत है। कोई भी नियम सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं, समूचे एनसीआर के लिए एकसमान होना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकार को आपस में मिलकर काम करना होगा। प्रदूषण मानकों का भी नए सिरे से निर्धारण करने की आवश्यकता है और किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने से पहले उसका विकल्प उपलब्ध कराना भी जरूरी है। मसलन, सभी महत्वपूर्ण या पटाखे जलाने वाले ऐसे किसी भी त्योहार के दिन एयर इंडेक्स प्रति घंटा रिकार्ड होना चाहिए। पटाखे छोड़ने के लिए केवल मध्यम श्रेणी का एयर इंडेक्स ही मानदंड होना चाहिए।
इसके अलावा यदि ग्रीन पटाखों ने एयर इंडेक्स को गंभीर बना दिया है तो उनके उपयोग पर भी प्रभावशीलता के फिर से मुल्यांकन की आवश्यकता है।