Delhi factory fire: भीषण अग्निकांड की नहीं होगी जांच, दिल्ली HC ने खारिज की याचिका
दिल्ली भाजपा ने सोमवार को फिल्मिस्तान अग्निकांड की अपने स्तर पर जांच कराने की घोषणा की है। इसके लिए एक जांच समिति बनाई गई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददादा/एएनआइ। फिल्मिस्तान अनाज मंडी स्थित फैक्ट्री में रविवार सुबह करीब पांच बजे लगी आग की न्यायिक जांच के लिए दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर की गई थी, इसे कोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई में खारिज कर दिया।
भाजपा अपने स्तर पर कराएगी अग्निकांड की जांच
दिल्ली भाजपा ने सोमवार को फिल्मिस्तान अग्निकांड की अपने स्तर पर जांच कराने की घोषणा की है। इसके लिए एक जांच समिति बनाई गई है। समिति एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट देगी। हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मूलचंद गर्ग, सेवानिवृत्त विधि सचिव पीके मल्होत्र, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डॉ. यशपाल चंद्र धनगे और पूर्व पुलिस अधिकारी भैरों सिंह गुर्जर इस समिति के सदस्य हैं। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर अगला कदम उठाया जाएगा।
34 घंटे बाद 42 शवों की हुई पहचान
आग के 34 घंटे बाद सोमवार अपराह्न तीन बजे तक 43 शवों में 42 की पहचान हो गई। एक शव की पहचान अभी नहीं हो पाई है। 34 शव लोकनायक अस्पताल और 9 शवों को लेडी हार्डिंग अस्पताल में रखा गया है। इनमें से 17 शवों को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया। मृतकों में 36 बिहार और छह उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे।
रविवार तड़के हादसे के बाद अपनों की तलाश में परिजन जिस तरह से अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, कुछ ऐसी ही स्थिति सोमवार को भी बनी रही। रविवार को 43 मृतकों में से 30 की पहचान हुई थी, जबकि सोमवार को 12 और शवों की पहचान की गई। सुबह से ही परिजन शव लेने के मोर्चरी के बाहर पहुंच गए थे। शवों की संख्या ज्यादा होने के कारण दिनभर मोर्चरी में पोस्टमार्टम चलता रहा।
दोपहर एक बजे के करीब लोकनायक अस्पताल से शव सौंपना शुरू हुआ। एक एंबुलेंस में दो-दो शवों को भेजा जा रहा था। शवों की पहचान के लिए परिजनों से आधार कार्ड या फिर अन्य पहचान प्रमाण पत्र देखा जा रहा था। इसके बाद शवों की पहचान कराई जा रही थी। देर शाम तक मोर्चरी से शवों को भेजने का सिलसिला जारी रहा। जिन शवों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ है, उनके परिजनों को अब मंगलवार तक का इंतजार करना होगा।
जो लोग रविवार की रात तक अपनों की पहचान नहीं कर सके थे, वे सोमवार की सुबह भी लोक नायक और लेडी हार्डिंग अस्पताल के चक्कर लगाते रहे। घायलों की पहचान किए जाने के बाद लोग दिल पर पत्थर रखकर मोर्चरी की तरफ बढ़ते रहे। यहां भी पुलिस और गाडरें ने लोगों को अंदर नहीं जाने दिया। लोग कई बार जाने का आग्रह करते तो किसी एक व्यक्ति को अंदर भेजा जाता। इस कारण शवों की पहचान किए जाने में अधिक समय लगा।
वहीं, अनाजमंडी हादसे के मृतकों के शव एंबुलेंस की जगह ट्रेन से ले जाने को कहा गया तो मोर्चरी पर मौजूद उनके परिवार वालों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मोर्चरी के बाहर हंगामा करना शुरू कर दिया। पुलिस ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत करने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। बिहार व दिल्ली सरकार द्वारा शवों को बिहार भेजने के लिए एंबुलेंस मुहैया कराए जाने का आश्वासन दिए जाने पर ही वे शांत हुए।
सोमवार की सुबह से ही परिजन पोस्टमार्टम के बाद शव को सौंपे जाने का इंतजार कर रहे थे। मृतकों में अधिकतर लोग बिहार के रहने वाले थे। ऐसे में परिजन शव को ले जाने को लेकर चिंतित थे। दरअसल, निजी एंबुलेंस वाले इसके लिए 30-40 हजार रुपये मांग रहे थे। हालांकि, सुबह दिल्ली सरकार के मंत्री इमरान हुसैन ने सभी शवों को एंबुलेंस से बिहार भिजवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन दोपहर बाद बिहार प्रशासन द्वारा शवों को ट्रेन से ले जाए जाने की बात कही गई। इस पर मृतकों के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि बेशक सड़क द्वारा उन्हें हजारों किमी की दूरी तय करनी पड़े, लेकिन ट्रेन से नहीं जाएंगे। बिहार के मधुबनी निवासी जाकिर हुसैन के भाई साकिर की हादसे में मौत हो गई थी। जाकिर का कहना था कि पहले एंबुलेंस से शव भेजने की बात हुई थी, लेकिन फिर ट्रेन से बोला जा रहा है। रेलवे स्टेशन से उनका गांव दूर है। वहीं, बेगूसराय के रहने वाले मो. शमशीर ने बताया कि उन्हें स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन से भेजा जा रहा था, जोकि समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर रुकती। वहां से उनका गांव करीब 70 किमी दूर है। शमशीर को अपने पड़ोसी नवीन का शव बेगूसराय लेकर जाना था। उधर, बिहार भवन में तैनात संयुक्त श्रम आयुक्त कुमार दिग्विजय ने कहा कि शवों को ट्रेन से भेजने के लिए पीयूष गोयल से आग्रह कर अतिरिक्त कोच की भी व्यवस्था की गई थी, लेकिन लोगों के न मानने पर एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। एक एंबुलेंस से दो शवों को भेजा जा रहा है।
सामाजिक संस्थाओं ने बांटा खाना
सुबह से जुटे परिजन भूखे प्यासे थे, ऐसे में कुछ सामाजिक संस्थाओं ने आगे बढ़कर मोर्चरी के बाहर खाने पीने की वस्तुएं बांटी। इसमें पुरानी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में रहने वाले लोगों ने समोसा, बिरयानी व पानी की बोतलें वितरित कीं। इससे सुबह से भूखे लोगों को कुछ हद तक राहत मिली।