हाइकोर्ट में बेवजह दायर हो रही थी याचिकाएं, कोर्ट ने की ये टिप्पणी और लगाया 50 हजार का जुर्माना
घर पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेते हुए या पार्क में सैर करते हुए कोई आइडिया आए तो उसे आधार बनाकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर न करें। इससे आपकी जेब पर तो नुकसान होगा ही साथ ही जजों की नाराजगी का अलग से सामना करना पड़ेगा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। घर पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेते हुए या पार्क में सैर करते हुए कोई आइडिया आए तो उसे आधार बनाकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर न करें। इससे आपकी जेब पर तो नुकसान होगा ही, साथ ही जजों की नाराजगी का अलग से सामना करना पड़ेगा। एक ऐसी ही जनहित याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने चाय पीते हुए किसी का ट्वीट देखा और बगैर कोई मेहनत करे जनहित याचिका दायर कर दी। इतना भी नहीं सोचा कि इस तरह अदालत का कीमती समय खराब किया जाता है। हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उपराज्यपाल एवं मुख्यमंत्री राहत कोष में आने वाले दान की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई थी।
इसके अलावा एक अन्य याचिका खारिज करते हुए 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार को आदेश दिया जाए कि ऐसी नीति तैयार हो, जिसके तहत प्लाजमा से ठीक होने वाले कोविड-19 मरीज काे भी प्लाजमा दान करना होगा। हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह से किसी पर दान करने का दबाव नहीं बनाया जा सकता। यह याचिका डीयू के छात्रों द्वारा गठित एक गैर सरकारी संगठन की तरफ से दायर की गई थी।
हाई कोर्ट ने एक अन्य याचिका को खारिज करते हुए भी नाराजगी जताई है, जिसमें मांग की गई थी कोविड-19 के समाचार प्रसारण को लेकर नियम बनाए जाने चाहिएं। कई नकारात्मक खबरें दिमाग पर बुरा असर डालती हैं। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी घटना के दो पहलु होते हैं। एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक। अब यह आपको तय करना है कि किस पहलु पर गौर करना है और किसे दिमाग में नहीं बैठने देना है।