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सौतेली बेटी से पिता बार-बार करता रहा दुष्कर्म, हो गई गर्भवती; HC ने बरकरार रखी 20 साल की सजा

सात अगस्त 2014 को दर्ज की गई रिपोर्ट के अनुसार 13 वर्षीय किशोरी ने आरोप लगाया था कि उसके सौतेले पिता ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया। साथ ही उसने धमकी दी थी कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया तो वह उसे जान से मार देगा।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 09:29 AM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 09:37 AM (IST)
सौतेली बेटी से पिता बार-बार करता रहा दुष्कर्म, हो गई गर्भवती; HC ने बरकरार रखी 20 साल की सजा
सौतेले पिता द्वारा दुष्कर्म की शिकार लड़की का सांकेतिक फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अपनी ही नाबालिग सौतेली बेटी से दुष्कर्म और उसे गर्भवती करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई 20 साल की जेल व पांच हजार का जुर्माना लगाने की सजा को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति विभु बाखरू की पीठ ने कहा कि नाबालिग लड़की दोषी पिता की देखरेख में रह रही थी और उसने बार-बार उसके साथ दुष्कर्म किया। फारेंसिक रिपोर्ट में संदेह के लिए कोई जगह नहीं है कि याचिकाकर्ता ने अपराध किया था। ऐसे में यौन अपराध अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) से बच्चों की सुरक्षा की धारा-छह के तहत अपीलकर्ता को दोषी ठहराए जाने के फैसले में दखल नहीं दिया जा सकता है।

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सात अगस्त 2014 को दर्ज की गई रिपोर्ट के अनुसार 13 वर्षीय किशोरी ने आरोप लगाया था कि उसके सौतेले पिता ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया। साथ ही उसने धमकी दी थी कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया, तो वह उसे जान से मार देगा। अपील याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने मामले में सभी तथ्यों को पेश किया और फारेंसिक साक्ष्य भी किशोरी के पक्ष में हैं। ऐसे में सजायाफ्ता को राहत नहीं दी जा सकती है।

यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि 90 फीसद मामलों में आरोपित पीड़ित के जानकार होते हैं। कामकाजी दंपती की बच्चियां ज्यादातर शिकार होती हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सामाजिक और आर्थिक असमानता इसके प्रमुख कारण हैं। लोगों में नैतिक मूल्यों की कमी और सामाजिक बिखराव भी वजह है। दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में वर्ष 2016 में एक सर्वे कराया था। इसमें सामने आया था कि 84 फीसद मामलों में झुग्गी इलाके में या पीड़िता के घर में ही दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया। ज्यादातर आरोपी पीड़ित के जानकार थे। 39 फीसद मामलों में नाबालिग के दोस्तों ने वारदात को अंजाम दिया था। यह भी सामने आया था कि जो नाबालिग दुष्कर्म का शिकार हुई उनके माता और पिता दोनों कामकाजी थे। उन्होंने बच्चों के देखरेख की जिम्मेदारी परिजनों या पड़ोसियों को सौंपी थी। पीड़िता को अकेले पाकर आरोपियों ने वारदात को अंजाम दिया।

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