दिल्ली-एनसीआर के लोग हो जाएं सावधान, प्रदूषित इलाकों में तेजी से फैलता है कोरोना का संक्रमण
कई देशों में हुए अध्ययन से यह साफ है कि जैसे-जैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है वैसे ही संक्रमण के मामले भी बढ़ते हैं और इससे होने वाली मौतें भी बढ़ती हैं। वहीं प्रदूषित इलाकों में रहने वालों में संक्रमण तेजी से फैलता है और अधिक मौत भी होती है।
नई दिल्ली। दिल्ली के लोग करीब आठ माह से कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं। अब प्रदूषण बढ़ने से यहां की आबोहवा भी सांस लेने लायक नहीं रही। यह देखा जा रहा है कि प्रदूषण बढ़ने के बाद कोरोना के मामले भी बढ़ गए हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर दोहरी मार पड़ रही है। स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव, कोरोना के बढ़ते मामलों और बचाव के तौर-तरीकों को लेकर लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार से राहुल चौहान ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:
कोरोना संक्रमण और इससे मौत के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके क्या कारण हैं?
- पिछले तीन हफ्ते से कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा है। उसके दो मूल कारण हैं। पहला, प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। दूसरा, पिछले एक माह से त्योहारों का सीजन चलने से बाजारों में भीड़ बढ़ी है। लोग शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। कई लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं। वे सामूहिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। ये सभी कोरोना के मामले बढ़ने के कारण हैं। कोरोना के मामले बढ़ेंगे तो उसके अनुपात में मौत के मामले भी बढ़ेंगे। इसलिए बहुत सजग रहने की जरूरत है।
प्रदूषण संक्रमण के मामले बढ़ने के लिए कितना जिम्मेदार है?
-कोरोना के जो मामले सामने आ रहे हैं, उनमें कितने प्रदूषण की वजह से आ रहे हैं और कितने अन्य कारणों से, ऐसा तो कोई अध्ययन अब तक सामने नहीं आया है। लेकिन कई देशों में हुए अध्ययन से यह साफ है कि जैसे-जैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, वैसे ही संक्रमण के मामले भी बढ़ते हैं और इससे होने वाली मौतें भी बढ़ती हैं। वहीं प्रदूषित इलाकों में रहने वालों में संक्रमण भी तेजी से फैलता है और अधिक मौत भी होती है।
प्रदूषण शरीर के किन-किन हिस्सों को प्रभावित करता है?
- प्रदूषण शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करता है क्योंकि इनके माध्यम से प्रदूषण शरीर के अंदर प्रवेश करता है। फिर प्रदूषण में पाए जाने जहरीले पदार्थ रक्त के माध्यम से शरीर के सभी अंगों के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। इससे सभी अंग प्रभावित होते हैं। साथ ही बुजुर्गो, गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को अधिक नुकसान पहुंचाता है। कोरोना का असर भी फेफड़े पर सबसे अधिक होता है। इस वजह से मौजूदा हालात फेफड़े के लिए ज्यादा नुकसानदायक हैं।
मौजूदा परिस्थिति में बचाव के लिए क्या किया जाना चाहिए?
-कोरोना और प्रदूषण दोनों से बचने के लिए सबसे पहले मास्क अतिआवश्यक है। घर से निकलते समय मास्क जरूर पहनें। साथ ही डेढ़ से दो मीटर को दूरी प्रत्येक व्यक्ति से बनाकर रखें और बार-बार हाथ धोते रहें। इसके अलावा दिवाली का त्योहार नजदीक है। इस बार दीपावली पर पटाखे बिल्कुल न चलाएं। कोशिश करें कि मोमबत्ती और दीये भी कम से कम जलाने की। इस तरह से हम प्रदूषण को कम कर सकते हैं। अगर इस बार दीपावली पर भी अन्य वर्षों की तरह पटाखे जलाकर प्रदूषण बढ़ाया गया तो कोरोना के मामलों की स्थिति गंभीर होगी और ज्यादा मामले सामने आएंगे।
कपड़े का मास्क और सर्जिकल मास्क प्रदूषण व कोरोना से बचाव में कितने असरदार हैं?
- बिना मास्क के होने से तो अच्छा है किसी भी तरह के मास्क का इस्तेमाल करना। अगर अधिकतम सुरक्षा प्रदान करने वाले मास्क की बात करें तो एन-95, सर्जिकल मास्क और फिर कपड़े वाले मास्क का नंबर आता है। कपड़े वाल मास्क भी अगर तीन लेयर का हो तो वह कोरोना और प्रदूषण दोनों से बचाव के लिए ज्यादा असरदार होगा।
दीपावली भी नजदीक है, लोगों को क्या सलाह देना चाहेंगे?
- इस बार दीपावली पर एक-दूसरे के घर जाने से परहेज करें। मिठाइयों का आदान-प्रदान और मिलना-जुलना इस बार न करें। अगर ऐसा करेंगे तो कहीं न कहीं शारीरिक दूरी के नियम का उल्लंघन होगा और संक्रमण बढ़ने का खतरा रहेगा। इसलिए सामूहिक गतिविधियों से बचें। बचाव के नियमों का पालन करते हुए घर पर ही दीपावली मनाएं। एक साल निश्चित दायरे में रहकर त्योहार मनाना ज्यादा अच्छा है बजाय इसके कि जान को जोखिम में डाला जाए। त्योहार हर साल आएंगे, लेकिन इसको मनाने में अगर कोरोना से बचाव में लापरवाही बरती और उससे जान चली गई तो वह वापस नहीं आएगी।
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