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सर्वाधिक प्रदूषित दिल्ली के इन 5 इलाकों में रहने वालों को मिलती रही स्वच्छ आबोहवा, जानें वो इलाके

सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार दिल्ली के पांच इलाके ऐसे भी हैं जहां की आबोहवा अपेक्षाकृत काफी स्वच्छ है। यहां के लोग साल भर बेहतर हवा में सांस लेते हैं। हैरानी की बात यह कि जब समूचा दिल्ली-एनसीआर की हवा गंभीर श्रेणी का प्रदूषण झेल रहा होता है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 06:35 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 06:35 AM (IST)
सर्वाधिक प्रदूषित दिल्ली के इन 5 इलाकों में रहने वालों को मिलती रही स्वच्छ आबोहवा, जानें वो इलाके
दिल्ली के 5 इलाकों में रहने वालों को साफ हवा मिलती रही। (फाइल फोटो)

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। देश दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार दिल्ली के पांच इलाके ऐसे भी हैं जहां की आबोहवा अपेक्षाकृत काफी स्वच्छ है। यहां के लोग साल भर बेहतर हवा में सांस लेते हैं। हैरानी की बात यह कि जब समूचा दिल्ली-एनसीआर की हवा गंभीर श्रेणी का प्रदूषण झेल रहा होता है, तब भी यहां की हवा अधिकतम खराब श्रेणी तक ही रहती है। 

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गौरतलब है कि दिल्ली एनसीआर में लगभग 40 एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन लगे हुए हैं। यह सभी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), मौसम विभाग और आइआइटीएम पुणे द्वारा संचालित किए जाते हैं। इनसे रियल टाइम एयर क्वालिटी इंडेक्स तो मिलता ही है, पीएम 2.5 और पीएम 10 सहित अन्य प्रदूषक तत्वों व जहरीली गैसों की जानकारी भी उपलब्ध हो जाती है।

वर्ष 2018, 2019 और 2020 (24 नवंबर तक) में देखा गया है कि प्रमुख और अत्यंत महीन (सिर के बाल के बराबर) प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 का स्तर सभी इलाकों में एक जैसा नहीं रहता। कुछ जगह यह गंभीर श्रेणी में रहता है तो कुछ जगह बहुत खराब श्रेणी में। काफी इलाकों में खराब श्रेणी में भी देखने को मिलता है। हैरानी की बात यह कि पांच इलाके ऐसे भी हैं जहां पर इसका स्तर सामान्य श्रेणी में देखा जा रहा है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार आया नगर, कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, लोधी रोड, पूसा और नजफगढ़ ऐसे इलाके हैं जहां के पीएम 2.5 का सालाना औसत स्तर तीन सालों के दौरान 80 से 90 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक रहा है। जबकि अन्य सभी क्षेत्रों में यह स्तर 100, 110, 125, 129, 135 से लेकर 157 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक रहा है। सीएसई के मुताबिक उक्त इलाकों में अपेक्षाकृत साफ आबोहवा के लिए वहां हरित क्षेत्र अधिक होना, धूल कम उड़ना, औद्योगिक प्रदूषण एवं वाहनों का धुआं भी कम रहना मुख्य कारक हैं।

पीएम 2.5 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में) एवं श्रेणियां

1 से 60 : अच्छा

61 से 90 : सामान्य

91 से 120 : खराब

121 से 160 : बहुत खराब

161 या इससे अधिक : खतरनाक

वायु प्र्रदूषण के घटने-बढ़ने में स्थानीय कारकों की भी बहुत बड़ी भूमिका रहती है। अगर स्थानीय स्तर पर प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियां नियंत्रित की जा सकें तो निस्संदेह उसके अच्छे नतीजे सामने आ सकते हैं। कोरोना लॉकडाउन ने भी इस दिशा में बेहतर राह दिखाई है।

-अविकल सोमवंशी, प्रोग्राम मैनेजर, सस्टेनेबल सिटीज प्रोग्राम, सीएसई 

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