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ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए खुशखबरी, लेटलतीफी को दूर करने के लिए रेलवे ने बनाया ये प्लान

अंबाला रेलमार्ग से होकर चलने वाली शताब्दी समेत 34 ट्रेनों की रफ्तार बढ़ी है। कोरोना काल में रेल की पटरियों की दशा सुधरने और आधारभूत ढांचे में हुए परिवर्तन से लंबी दूरी के साथ लोकल ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ गई है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 08:46 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 12:33 PM (IST)
ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए खुशखबरी, लेटलतीफी को दूर करने के लिए रेलवे ने बनाया ये प्लान
पैसेंजर ट्रेनों की औसत गति 31.97 से बढ़कर 34.76 किमी प्रति घंटे हो गई है।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। कोरोना काल में रेल की पटरियों की दशा सुधरने और आधारभूत ढांचे में हुए परिवर्तन से लंबी दूरी के साथ लोकल ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ गई है। इससे ट्रेनों को समय पर चलाने में मदद मिल रही है। कोरोना से पहले उत्तर रेलवे में ट्रेनों की समयबद्धता 70 प्रतिशत के आसपास थी, जो अब 90 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है।

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110 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 130 हुई गति : दिल्ली-अंबाला और दिल्ली-पलवल रेल मार्ग की गति क्षमता 110 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 130 हो गई है। इससे अंबाला रेलमार्ग से होकर चलने वाली शताब्दी समेत 34 ट्रेनों की रफ्तार बढ़ी है। इसी मार्ग पर कटड़ा वंदेभारत एक्सप्रेस भी चलती है। नई दिल्ली-पलवल रेलमार्ग पर 76 ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिली है। इन दोनों रेल मार्गो पर चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति पहले 46 किमी प्रति घंटे थी, अब बढ़कर 50.53 किमी प्रति घंटे हो गई है। पैसेंजर ट्रेनों की औसत गति 31.97 से बढ़कर 34.76 किमी प्रति घंटे हो गई है।

सबसे ज्यादा काम कोरोना की पहली लहर में हुआ : वर्ष 2020 में लगे लाकडाउन के दौरान मार्च अंतिम सप्ताह से लेकर मई तक रेल पटरियों पर दबाव बहुत कम था, जिसका फायदा उठाकर पटरियों को दुरुस्त करने और आधारभूत ढांचा को मजबूत करने का काम किया गया। अधिकारियों का कहना है कि रेल मार्ग व्यस्त होने पर किसी काम को पूरा करने के लिए ट्रैफिक ब्लाक (ट्रेनों की आवाजाही रोकने) लेने से रेल परिचालन बाधित होता है। अल्ट्रा सोनिक फ्लो डिटेक्शन (यूएसएफडी) मशीन से ट्रैक की जांच करके कमियां दूर की जा रही हैं। लेवल क्रासिंग की भी जांच करके खामियां दूर की जा रही हैं।

दोहरीकरण और विद्युतीकरण का काम हुआ तेज

दिल्ली से हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की ओर जाने वाले रूट पर पटरियों को दुरुस्त करने के साथ ही कई लंबित निर्माण कार्य पूरे किए गए। कई स्टेशनों व रेलमार्ग पर इंटरलाकिंग का काम पूरा किया गया। दोहरीकरण और विद्युतीकरण के काम में तेजी आई है। निजामुद्दीन ओखला तक स्वचालित सिग्नल प्रणाली का काम पूरा होने से दिल्ली से पलवल के बीच ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिली है।


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