प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों में जल रही पराली जिम्मेदार, अटकी केजरीवाल सरकार
दिल्ली सरकार यह मानने को तैयार नहीं हुई कि राजधानी में प्रदूषण के लिए वाहनो से निकलने वाला धुआं, सड़कों व निर्माण स्थलों के आसपास उड़ने वाली धूल जिम्मेदार है।
नई दिल्ली [आशुतोष झा]। दिल्ली-एनसीआर की प्रदूषित आबोहवा के लिए केजरीवाल सरकार पड़ोसी राज्यों के कुछ इलाकों में पराली जलाने को जिम्मेदार मानती रही है। शुक्रवार को जब राजनिवास में उपराज्यपाल अनिल बैजल ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार के जिम्मेदार लोगों व ईपीसीए के प्रमुख भूरेलाल व अन्य सदस्यों की बैठक बुलाई तब भी दिल्ली सरकार यह मानने को तैयार नहीं हुई कि राजधानी में प्रदूषण के लिए वाहनों से निकलने वाला धुआं, सड़कों व निर्माण स्थलों के आसपास उड़ने वाली धूल जिम्मेदार है।
नहीं निकला ठोस नतीजा
अपराह्न तीन बजे बुलाई गई बैठक शाम पौने पांच बजे जाकर खत्म हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार और ईपीसीए का पक्ष सुनने के बाद ट्वीट कर सिर्फ यह जानकारी दी कि प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए मशीनों से सड़कों की सफाई, खुले में कूड़ा व अन्य चीजें जलाने आदि पर जो पहले से प्रतिबंध था, उसे जारी रखने का आदेश दिया गया है।
सीएम केजरीवाल रहे मौजूद
प्रदूषण को लेकर बुलाई गई बैठक में पहली बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन, परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एक साथ उपस्थित हुए। वहीं ईपीसीए (पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण) के प्रमुख भूरेलाल, सदस्य सुनीता नारायण, सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी व अन्य अधिकारी आमने-सामने होकर अपना पक्ष रखने के लिए मौजूद हुए।
चुप हो गए परिवहन मंत्री
बैठक में जब ईपीसीए की ओर से सार्वजनिक परिवहन सेवा के अंतर्गत बसों की संख्या बढ़ाने की बात हुई तब दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि नई बसें खड़ी करने के लिए डीडीए जमीन नहीं दे रहा है। फिर उनसे पूछा गया कि डीटीसी की मौजूदा डिपो को मल्टीलेवल बनाने के लिए डीडीए ने वर्षो पहले मंजूरी दे दी थी, फिर दिल्ली सरकार ने क्यों नहीं मौजूदा डिपो को मल्टीलेवल किया। ऐसा हो गया रहता तो कम से कम 11 हजार बसों की पार्किंग की सुविधा उपलब्ध हो गई होती। ईपीसीए की ओर से दिए गए इस तर्क के सामने परिवहन मंत्री भी चुप हो गए। हालांकि उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत तक नई बसें खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिए जाएंगे।
परली है मुख्य समस्या
गत दिनों पार्किंग शुल्क में चार गुणा बढ़ोतरी, सभी तरह के निर्माण कार्य अगले आदेश तक बंद रखने, शहर में ट्रकों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया गया था। दिल्ली सरकार के अनुसार इससे प्रदूषण पर कोई खास असर नहीं पड़ा। मुख्यमंत्री से लेकर अन्य मंत्रियों ने प्रदूषण के लिए पराली जलने को ही मुख्य कारण बताया। जबकि पर्यावरणविद् के अनुसार इस प्रतिबंध से 20 फीसद तक प्रदूषण कम हुआ। इतना ही नहीं अभी जो हालात हैं और आगे जो स्थिति होने वाली है इसमे उक्त उपाय कारगर साबित हो सकते हैं।
सार्वजनिक परिवहन सेवा हो मजबूत
भूरेलाल ने कहा कि विश्व के अन्य प्रदूषित शहरों में कंजेशन शुल्क, निर्धारित समयसीमा के दौरान अधिक पार्किग शुल्क, ऑड-इवेन आदि जो लगाए गए थे, वह आज तक जारी हैं। सरकार और ईपीसीए का पक्ष सुनने के बाद उपराज्यपाल ने फिलहाल सरकार को धूल को कम करने व सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।
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