Move to Jagran APP

Nirbhaya Case: जानें कैसे कानून के नाम पर फांसी को टालते रहे थे दोषियों के वकील

निर्भया के दोषियों के वकील की तरफ से कोर्ट में फांसी टालने का हर पैंतरा इस्‍तेमाल किया गया। कोर्ट में बारी-बारी से एक ही चीजों पर बहस और जांच करवाने की मांग की गई लेकिन सब विफल रहा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 10:58 AM (IST)Updated: Sat, 21 Mar 2020 08:23 AM (IST)
Nirbhaya Case: जानें कैसे कानून के नाम पर फांसी को टालते रहे थे दोषियों के वकील
Nirbhaya Case: जानें कैसे कानून के नाम पर फांसी को टालते रहे थे दोषियों के वकील

नई दिल्‍ली। निर्भया मामले में दोषियों के वकील की तरफ से फांसी टालने के लिए कई तरह के अड़ंगे लगाए गए, लेकिन उनका कोई अड़ंगा काम नहीं आ सका। हालांकि वो दोषियों की फांसी को चार माह टालने में जरूर कामयाब रहे। आखिरी समय तक दोषियों के वकीलों ने पहले हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लगभग पूरी रात चले कानूनी दांवपेंच के बाद दोनों ही कोर्ट की तरफ से उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया। दोनों कोर्ट में कहा गया कि दोषियों के वकील जो भी दलील दे रहे हैं उन्‍हें वो पहले भी सुन चुके हैं। अब इस पर कोई बहस कर समय बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है। 

loksabha election banner

गुरुवार को निचली अदालत में मामले के एक दोषी अक्षय की तरफ से दलील दी गई कि उसकी दया याचिका राष्‍ट्रपति के पास लंबित है, इसलिए उसकी फांसी को टाल दिया जाए। आपको बता दें कि भारतीय कानून में किसी भी मामले में फांसी पाए सभी दोषियों को एक साथ सजा देने का प्रावधान है। यही वजह थी कि दोषियों के वकील की तरफ से बारी-बारी से हर दोषी की तरफ से अलग-अलग कोर्ट में याचिका लगाई जा रही थी। निचली अदालत में जाने का मकसद भी यही था कि यदि ये मौहलत उन्‍हें मिल जाएगी तो कानूनन फांसी टल जाएगी और फिर कोर्ट को दोबारा डेथ वारंट जारी करना होगा। इस तरह से उन्‍हें फिर से दो सप्‍ताह का समय मिल जाता।  

इसी दौरान सरकारी पक्ष की तरफ से कोर्ट को जानकारी दी गई कि राष्ट्रपति ने दोषी अक्षय व पवन की दूसरी बार दाखिल दया याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। दोपहर बाद अदालत ने दोषी अक्षय की याचिका को आधारहीन करार देते हुए दोषियों की सजा पर तय तारीख और समय पर तामील का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि यह समाज को संदेश और ऐसा गुनाह करने वालों को सीख देने का समय है। दोषियों के वकीलों की दलीलों के जवाब में जज ने कहा कि गुनहगारों ने इस जघन्‍य अपराध करते समय कानून और सजा की परवाह नहीं की। अब समय आ गया है कि अदालत और कानून समाज को संदेश और ऐसा न करने की सीख दे।

कोर्ट में दोषियों की वकीलों की तरफ से ये भी कहा गया कि ये बेहद गरीब लोग हैं और इनके मां-बाप, बीवी बच्‍चे हैं। इनके अलावा परिवार का कोई नहीं है। इस पर कोर्ट का कहना था जिस युवती के साथ उन्‍होंने दरिंदगी दिखाई उसका भी परिवार था, लेकिन उस वक्‍त उन्‍हें इसका अहसास नहीं था। लिहाजा अब इन दोषियों को अपने किए की सजा भुगतनी ही होगी। अदालत ने ये भी कहा कि जो कानून का हवाला देकर सजा को टलवाना चाहते हैं उन्‍‍‍‍‍हें कानून का संरक्षण पाने की इच्छा तभी रखनी चाहिए, जब पहले उन्हें कानून का सम्मान करना आता हो।

फांसी में रोड़े अटकाने की राह में दोषियों के वकील की तरफ से ये तक कहा गया कि दोषी मुकेश घटना के समय दिल्‍ली में नहीं था। इसके अलावा ये भी कहा गया जिन चारों को दुष्‍कर्म और हत्‍या के लिए दोषी करार देते हुए फांसी की सजा दी गई है उनमें से एक नाबालिग है। इतना ही नहीं कोर्ट में वकील की तरफ सेराष्‍ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। सुप्रीम कोर्ट में क्‍यू‍रेटिव पेटिशन के दौरान वकील की तरफ से कहा गया कि जो तथ्‍य उन्‍होंने बताए था उन पर कोर्ट ने गौर नहीं किया, लिहाजा पहले इन पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा कोर्ट में ये भी कहा गया कि चारों दोषियोंं पर लूटपाट का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। ऐसे में इन्‍हें फांसी नहीं दी जा सकती है। 

दोषियों के वकील की तरफ से यहां तक कहा गया कि वे चारों देश की सेवा करना चाहते हैं। इसके लिए इन्‍हें सीमा पर सेवा का मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट के समक्ष पेश दोषियों के वकील की तरफ लगातार कभी इनकी उम्र, कभी इनके परिवार, कभी जेल में इन्‍हें मारने-पीटने और प्रताडि़त किए जाने को लेकर याचिका लगाई जाती रही। कोर्ट के समक्ष जेल में आत्‍महत्‍या करने वाले राम सिंह की मौत को एक हत्‍या बताए जाने की बात भी याचिका में कही गई। कोर्ट के समक्ष दोषियों के वकील ने अपील की कि पहले इन याचिकाओं पर विचार किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं कोर्ट में दोषियों के वकील की तरफ से यहां तक कहा गया कि अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट में इनकी सजा के खिलाफ याचिका पर सुनवाई लंबित है। 

इसके अलावा ये भी कहा गया कि अक्षय के परिजनों ने अब तक उससे मुलाकात नहीं की है। लिहाजा उन्‍हें आखिरी बार मुलाकात का मौका दिया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने उनकी कोई भी दलील मानने से इनकार कर दिया। दोषियों के वकील द्वारा लगातार फांसी की राह में अड़चनें पैदा करने की वजह से कोर्ट को इनकी फांसी के लिए चार बार डेथ वारंट जारी करना पड़ा था । लेकिन अंतत: उनके सारे दांवपेंच फेल साबित हुए और दोषियों को 20 मार्च 2020 को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। 

ये भी पढ़ें:- 

सात साल बाद मिला निर्भया को इंसाफ फांसी पर चढ़ाए गए सभी दोषी, जानें क्‍या था पूरा मामला 

निर्भया से पहले याकूब मेमन और कर्नाटक के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट में हुई थी आधी रात को सुनवाई 10 प्‍वाइंट्स में जानें पीएम मोदी ने देशवासियों को कोरोना वायरस से लड़ने का क्‍या दिया मूल मंत्र

Coronavirus से अपनों को बचाने के लिए इमरान खान के पास नहीं पैसे, लेकिन चीन को की थी मदद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.